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श्री गणेश जी से जुड़ी कुछ पौराणिक कथा और सिद्धिप्रद मन्त्र :

     श्रीगणेश जी के बारे में कुछ पारम्परिक लोककथा तथा पौराणिक वर्णन है। उन सबसे तीन अद्भुत कहानी विशेष उल्लेखयोग्य; यथा–

 

    एकदा श्रीगणेश जी की गोल- मटोल शरीर को देखकर चन्द्रमा ने उनका हंसी उड़ाई तो श्रीगणेश जी को गुस्सा आ गया और चन्द्रमा को श्राप दिया कि ‘उनकी प्रकाश नष्ट हो जाये’। वही हुआ और पृथ्वी की हालत क्रमशः वद होना सुरु हो गया। श्राप के लिए अत्यंत भितत्रस्त चंद्रमा ने अपनी नादानी गलत- हरकत के लिए अनुतप्त हुई और गणेश जी को विनम्र मिनती की– “है विघ्नहर्त्ता, मैं आपके शरण में हूँ; अब आप मुझे क्षमा कर दीजिए।” श्राप तो नहीं कटेगा; इसलिए गणेश जी थोड़ीसी कम कर दिया, जिस कारण से चन्द्रमा की पक्ष- भित्तिक ह्रास- वृद्धि सुरु हुई और गणेश चतुर्थी में कलंकित चन्द्रमा को दर्शन करना अशुभ माना गया।।

 

     अन्य एक पुराण कथा के अनुसार जब तिनलोकों में तीन असुरों की मिलित शक्ति रूप “त्रिपुरा राक्षस” ने उत्पात रचकर हाहाकार मचाया, तब असुर वध के लिए एकमात्र उपाय था कि भगवान शिव जी यदि श्रीगणेश जी की यथायथ पूजा करेंगे, गणेश जी की आशीर्वाद से हि त्रिपुरासुर को वध करना सम्भव होगा। तब शिव जी ने वही किया और युद्ध में त्रिपुरासुर मारा गया।।

 

     एक बहु चर्चित अद्भुत पुराण कथा भी है, जिसके अनुसार महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत जैसे महाकाव्य को श्री गणेश जी ने उनके अनुरोध से ही लिखा था। इसमें बड़ी बात यही है की इस मुद्दे पर श्रीगणेश जी ने शर्त रखा था– “वे बिना रुके लिखेंगे और इस समय अगर व्यास जी कंही रुके, तो वे लिखना छोड़ देंगे।” व्यास जी ने भी अपनी शर्त रखी कि– “श्रीगणेश जी को हर श्लोक का अर्थ समझने के बाद ही लिखना होगा।।” — इस प्रकार, महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत की सभी श्लोक को मुख से कहा था और श्रीगणेश जी ने अर्थ को समझकर लिखा था।।

 

कुछ सिद्धिप्रद मन्त्र :

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       💐”ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा।।”

     — यह गणेश जी का  सबसे सरल और प्रभावी मंत्र है। सच्चे मन और श्रद्धा से इस मंत्र का जाप करने से कार्य में आने वाली बाधाएं दूर होती ह।।

 

       💐”गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।”

       –अगर किसी विशेष कार्य में बहुत दिनों से सफलता नहीं प्राप्त हो रही है, तो कार्य को शुरू करने से पहले इस ‘गणेश- गायत्री’ मंत्र को 108 बार जप करना सुफलप्रद।।

 

        💐”वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”

       –किसी भी मंगल कार्य आरम्भ करने से पहले इस मंत्र को कमसेकम एकबार जाप करना चाहिए।।

 

        💐”विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं। नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमोनमः।।”

       — गणेश जी को दर्शन कर पहले यही मन्त्र एक बार जाप करना उचित है।।

 

        💐”ॐ भूर्भुवः स्वः सिद्धि- बुद्धि- सहिताय गणपतये नमः, गणपतिमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च।।”   

       — यह मंत्र पढ़कर हाथ के अक्षत को गणेश जी पर चढ़ा दें। फिर अक्षत लेकर गणेश जी की दाहिनी तरफ गौरी जी को आवाहन कर अक्षत समर्पित करें।।

 

      💐बीज मंत्र से परिशुद्ध मंत्र– ”ओम गं गणपतये नमः” का जाप करने से आसपास सकारात्मकता वृद्धि होकर मनो- कामनाओं की पूर्ति होती है।।

 

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