पहले यह ध्यान दें कि लग्न कौन सा है। हो सकता है कि मकर लग्न 29 अंश पर हो ऐसे में बहुत बड़ी बात ये है मकर लग्न में कारक ग्रह पर कुंभ लग्न में कारक ग्रह दोनों को निकलना होगा
मकर लग्न में कारक ग्रह शनि देव शुक्र देव और बुध देव हैं सम ग्रह मंगल हैं जबकि गुरु,सूर्य,चन्द्र अशुभ ग्रह हैं राहु,केतु का अलग भी लग्नेश पंचमेश नवमेश का मित्र हैं
कुंभ लग्न में कारक ग्रह शनि देव शुक्र देव और बुध देव हैं सम ग्रह मंगल हैं जबकि गुरु,सूर्य,चन्द्र अशुभ ग्रह हैं राहु,केतु का अलग भी लग्नेश पंचमेश नवमेश का मित्र हैं
ऐसे में मकर लग्न अस्त या कुंभ लग्न का उदय अंश संधि लग्न नहीं माना जाएगा
कर्क लग्न का अस्त और सिंह का उदय अंश में लग्न का होना सिर्फ सूर्य या चंद्र पर ही असर डाल सकता है गुरु,मंगल,शुक्र पर इसका कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा राहु केतु विनाशकारी हैं शनि भी खराब फल देंगे बुध की दशा में ध्यान रखना होगा
मेष लग्न का अस्त्र वृष लग्न का उदय संधि लग्न है
वृष लग्न का अस्त और मिथुन लग्न का उदय संधि लग्न नहीं है
मिथुन लग्न का अस्त्र और कर्क लग्न का उदय संधि लग्न है
कर्क लग्न का अस्त और सिंह लग्न का उदय संधि लग्न नहीं है
सिंह लग्न का अस्त और कन्या लग्न का उदय संधि लग्न है
कन्या लग्न का अस्त और तुला लग्न का उदय संधि लग्न नहीं है
तुला लग्न का अस्त और वृश्चिक लग्न का उदय संधि लग्न है
वृश्चिक लग्न का अस्त होना और धनु लग्न का उदय होना संधि लग नहीं है
धुन लग्न का अस्त और मकर लग्न का उदय संधि लग्न हैं
मकर लग्न का अस्त का कुंभ का उदय संधि लग्न नहीं है
कुंभ लग्न का अस्त और मीन लग्न का उदय संधि लग्न है
मीन लग्न का अस्त और मेष लग्न का उदय संधि लग्न नहीं है
संधि लग्न में योगकार ग्रह दोनों ही लग्न का निकलना होगा जो ग्रह दोनों ही लग्न में जो ग्रह अशुभ भाव का स्वामी ज्यादा हों सबसे खराब फल देने वाले होंगे जैसे तुला लग्न 29 अंश का है तो गुरु बहुत खराब होंगे कारण है कि तुला में गुरु 3,6 का मलिक हैं
जबकि वृश्चिक लग्न में दूसरे और पांचवें घर का स्वामी हैं ऐसे में 2,3,5,6 का मलिक बन रहे हैं ऐसे में दोनों लग्न में गुरु 4 और 5 में बैठे हों तो अशुभ फल में कमी आएगी लेकिन 7,8 में होंगे ऐसा नहीं होगा दोनों में बहुत खराब फल देंगे 7 और 8 में होंगे तो
याद रहे संधि लग्न में ग्रह बहुत अलग पावर में होते हैं अलग फल देने योग्य होते हैं