गरारे:नमक से करना है फायदेमंद आज जरूरत की खबर में गार्गल करने के सही तरीके पर बात करेंगे... सवाल: गले में खराश के कारण क्या हो सकते हैं?जवाब: आमतौर से इन 3 वजहों से गले में खराश होते हैं… सर्दी-जुकामबैक्टीरियल इन्फेक्शनवायरल इन्फेक्शनसवाल: क्या गार्गल करना सच में गले के लिए अच्छा होता है? जवाब: जनरल फिजिशियन डॉ. बाल कृष्ण श्रीवास्तव कहते हैं कि ये सिर्फ शरीर में मौजूद एसिड को न्यूट्रलाइज ही नहीं करता बल्कि गले को भी साफ करता है। माउथवॉश से भी गार्गल किया जा सकता है। इससे मुंह के बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। बैक्टीरिया अक्सर मुंह के नैचुरल पीएच बैलेंस को डिस्टर्ब कर देते हैं जिसे मेंटेन करने में ये मदद करता है। सवाल: क्या गार्गल करने से दूसरी बीमारियां भी ठीक हो सकती हैं?जवाब: एचएन रिलायंस हॉस्पिटल मुंबई की डॉ. गौरी मार्चेंट के मुताबिक गार्गल से दूसरी कई परेशानियां भी सॉल्व होती हैं। जैसे- एलर्जी: कई बार धूल, बदबू वाली जगहों पर जाने से एलर्जी हो जाती है। जिसकी वजह से गले में सूजन आ जाती है। ऐसे में नमक के पानी से गरारे करने से सूजन और एलर्जी दूर हो जाती है। दांतों में कीटाणु: दांतों में कुछ फंसने की वजह से कीटाणुओं से कई तरह के इन्फेक्शन मुंह में हो जाते हैं। नमक पानी से गरारे करने से मुंह से हार्मफुल बैक्टीरिया को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इससे मसूड़े की सूजन, कैविटी का रिस्क भी कम हो जाता है। Playlist 3 Videos Sshree Astro Vastu| SSAV Astro Workshop & Panchang Rahasyam Course Review | Astro- Kishor Konkane Ji 3:09 Sshree Astro Vastu | Business Consultation - Review | Mr Mahendra Patel | In Gujarati 0:52 Sshree Astro Vastu | Astro Vastu Workshop | Review | Astro Bhumi patel | In Gujarati 2:18 साइनसाइटिस और रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन: कभी कदार रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन और साइनसाइटिस की वजह से गले में दर्द हो जाता है। जिससे फ्लू, जुकाम और खांसी हो जाती है। गार्गल से ये दिक्कतें काफी कम हो जाती हैं। सवाल: गार्गल करने का सही तरीका क्या है?जवाब: ऊपर लिखी तमाम बातों को ध्यान में रखकर इन टिप्स अपना सकते हैं… एक गिलास गुनगुना गर्म पानी में सेंधा नमक या सादा नमक डालकर गार्गल करें।पानी ज्यादा गर्म नहीं होना चाहिए, इससे आपका गला जल सकता है।अब इस पानी का घूंट मुंह में लें, गर्दन पीछे झुकाएं और गार्गल करें।गार्गल करते समय पानी मुंह में दस सेकेंड से ज्यादा नहीं रखें।गार्गल के पूरे प्रोसेस को तीन से चार बार दोहराएं।गार्गल करने के बाद सीधे खुली हवा या एसी में न जाएं।गले को कपड़े से अच्छी तरह ढंककर रखना चाहिए।सवाल: दिन में कितनी बार गॉर्गल करना चाहिए?जवाब: अगर आपको डॉक्टर ने गार्गल करने की सलाह दी है तो उनके निर्देश के हिसाब से ही गार्गल करें। डाॅक्टर आपके कान, नाक और गले को देखकर और आपकी बीमारी के लक्षण को पहचानकर यह तय करते हैं कि दिन में दो बार गार्गल करना है तीन बार या फिर चार बार। अगर आप खुद अपनी परेशानी की वजह से गार्गल कर रहे हैं तो दिन भर में 2 बार से ज्यादा न करें। यहीं नहीं डॉक्टर बीमारी के आधार पर ही आपको यह बताते हैं कि नमक से गार्गल करना है, बीटाडीन से या फिर डिस्प्रिन से। खुद कुछ भी आजमाएं नहीं। सुबह खाली पेट गार्गल करने से बचें। मुंह को साफ रखने के लिए खाना खाने के बाद पानी से गार्गल करना अच्छा होता है। सवाल: आम तौर से लोग नमक पानी गार्गल करते हैं, इसके लिए नमक किस हिसाब से डालना चाहिए?जवाब: नमक के पानी से गार्गल करने के लिए आधा कप पानी में 1/4 छोटा चम्मच नमक डालना चाहिए। इसके बाद अच्छी तरह से घोलने के बाद गार्गल करें। सवाल: क्या रोज नमक के पानी से गार्गल करना ठीक है?जवाब: नमक के पानी से गार्गल हफ्ते में तीन से चार बार किया जा सकता है। बिना कारण रोजाना करना रिस्की हो सकता है। याद रखें कि नमक में सोडियम होता है और बहुत अधिक सोडियम आपके दांतों के इनेमल को खराब कर देता है। नोट: जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम है, उन्हें भी नमक पानी गार्गल नहीं करना चाहिए। डॉक्टर अगर आपको इसकी सलाह दे रहा है तो फौरन उसे बता दें कि आप बीपी के पेशेंट हैं। सवाल: ओरल हेल्थ से रिलेटेड कोई प्रॉब्लम होने पर भी डेंटिस्ट माउथवॉश से गार्गल करने की सलाह देते हैं, क्या आप बता सकते हैं कि इसका सही तरीका क्या है?जवाब: रूबी हॉल क्लिनिक पुणे के प्रोस्थोडोन्टिक्स, डॉ. सचिव नंदा ओरल हेल्थ से जुड़ी कुछ टिप्स बता रहे हैं… ऐसे टूथपेस्ट को यूज करें जिसमें फ्लोराइड मिला हो। इससे ब्रश करने के बाद दो बार फ्लॉस जरूर करें। फिर साफ पानी से कुल्ला करें। इसके बाद ही माउथवॉश यूज करना चाहिए, तभी फायदा मिलेगा।गार्गल करने के बाद 30 मिनट खाना-पीना नहीं चाहिए।6 साल से कम उम्र के बच्चों को माउथवॉश यूज नहीं करना चाहिए। यह बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है।बेटाडीन गार्गल और माउथवॉश में 2% पोविडोन आयोडीन होता है। यह बैक्टीरिया, वायरस, फंगल आदि कीटाणुओं को मारता है इसलिए इसका इस्तेमाल हमेशा मुंह और गले में होने वाले एक्यूट इन्फेक्शन में किया जाता है। जैसे- मसूड़ों की सूजन, मुंह के छाले, दांत और मुंह की सर्जरी से पहले, उसके दौरान और बाद में मुंह को साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अगर आपको पोविडोन आयोडीन से एलर्जी है तो बेटाडीन गार्गल माउथवॉश यूज न करें। थायराइड के पेशेंट और वो लोग जो डिप्रेशन के लिए लिथियम थेरेपी ले रहे हैं वो भी इसे यूज न करें। इससे आपकी बीमारी बढ़ सकती है। ऐसे लोग गुनगुने पानी से गार्गल कर सकते हैं।किसी भी माउथवॉश को निगलना नहीं चाहिए।माउथवॉश का पैक खुलने के 15 दिन बाद तक ही यूज करना चाहिए।किसी भी तरह का माउथवॉश लगातार महीनों तक यूज न करें, 15 दिन यूज करने के बाद 15 दिन का ब्रेक लें। इसके बाद दोबारा यूज कर सकते हैं।सवाल: क्या गार्गल से कुछ नुकसान हो सकता है?जवाब: गार्गल के यूं तो फायदे ही होते हैं, लेकिन इसे जरूरत से ज्यादा कर लेने से नुकसान भी हो सकते हैं। कोरोना के दौरान लोगों ने खूब गार्गल किया था। कुछ लोगों को ऐसा भी लगता था कि तेज गर्म पानी से गार्गल करने की वजह से कोरोना नहीं होगा। इस बेवकूफी से उनकी जीभ जल गई थी। गले की परेशानी भी बढ़ गई थी। इसलिए गार्गल करने वाले नीचे लिखी बातों को याद रखें। जैसे- आमतौर पर लोग नमक वाले गुनगुने पानी से गार्गल करते हैं, लेकिन अगर आप हाई ब्लड प्रेशर के पेशेंट हैं तो नमक का इस्तेमाल न करें। ऐसा इसलिए क्योंकि आपका शरीर नमक को सोखने लगता है जिससे ब्लड प्रेशर पर असर हो सकता है। कुछ लोग दिन में कई बार गार्गल कर रहे हैं, जिसकी वजह से गले में सूजन भी आ सकती है। इसलिए अगर आपको इंफेक्शन नहीं है, तो हफ्तेें में सिर्फ दो बार गार्गल करना काफी है। सवाल: छोटे बच्चों के लिए गार्गल करना कितना सेफ है?जवाब: पांच साल से छोटे बच्चे को गार्गल करने न दें। इसके बाद अगर बच्चा खुद पानी के गरारे कर सकता है तो उसे हल्के गुनगुने पानी में आधा चुटकी नमक डालकर गरारे करवाएं। सवाल: डिस्प्रिन टेबलेट से गार्गल क्यों किया जाता है?जवाब: डिस्प्रिन पेनकिलर है। इसको खाते हैं तो दर्द में आराम मिलता है। इस वजह से जब गले में ज्यादा दर्द होता है तब डॉक्टर इसके गार्गल करने को कहते हैं। चलते-चलतेगार्गल करने के और भी है तरीके जान लें लेकिन आजमाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें… तुलसी सर्दी खांसी की प्रॉबल्म को दूर करने के लिए तुलसी के पानी से गार्गल कर सकते हैं। इससे गले की खराश, सूजन और दर्द में आराम मिलता है क्योंकि तुलसी एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुणों से भरपूर होती है। हल्दी और नमक नमक एंटी बैक्टीरियल होता है और हल्दी एंटी इंफ्लेमेटरी होती है जो मुंह के अंदर मौजूद बैक्टीरिया को खत्म कर देता है। इसका गार्गल करने से गले की लगभग सारी परेशानी दूर हो जाती है। 🪷🪷।। शुभ वंदन ।।🪷🪷ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।सर्वे सन्तु निरामयाः।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥ उपवास से अधिक सूक्ष्म: पारण का विज्ञान उपवास/व्रत से अधिक सूक्ष्म: पारण का विज्ञान 🔊 Listen to this एक दिन छोड़कर उपवास करने वालों के लिए अग्नि-संतुलन की कला, एक दिन उपवास, एक दिन आहार। जो व्यक्ति—चाहे वे धार्मिक साधक हों या स्वास्थ्य के प्रति सजग—इस अनुशासन को साधते हैं, वे जल्द ही समझ जाते हैं कि असली चुनौती ‘उपवास’ नहीं, बल्कि ‘पारण’ (पुनःभोजन) का संतुलन है। यह संतुलन साधना ही हमारा सबसे सूक्ष्म विषय है। 🔹 1. उपवास का अर्थ — केवल न खाना नहीं आयुर्वेद में उपवास का अर्थ है “अन्नविरति द्वारा अग्नि की विशुद्धि।” इससे पाचन अग्नि को विश्राम मिलता है, शरीर के चेहरा धोने के लिए केमिकल युक्त फेसवॉश की जगह अपनाएं ये 6 प्राकृतिक चीज़ें (आरोग्य धनसंपदा शृंखला) चेहरा धोने के लिए केमिकल युक्त फेसवॉश की जगह अपनाएं ये 6 प्राकृतिक चीज़ें (आरोग्य धनसंपदा शृंखला) 🔊 Listen to this चेहरे की त्वचा की देखभाल के लिए हम स्किन रूटीन के साथ दिन में कम से कम 3 बार फेसवॉश करते हैं। फेसवॉश के लिए हर कोई अपनी त्वचा के हिसाब से सूट करने वाला प्रोडक्ट चुनता है। लेकिन केमिकल युक्त फेसवॉश का इस्तेमाल करने के बजाय आप अपनी रसोई में मौजूद कुछ प्राकृतिक चीज़ों का उपयोग करके भी फेसवॉश कर सकते हैं। आइए जानते हैं ये कौन-कौन सी चीज़ें हैं: दही…त्वचा के लिए दही बेहद फायदेमंद माना जाता सूर्य नमस्कार का अर्थ क्या है…? सूर्य नमस्कार का अर्थ क्या है…? (आरोग्य धनसंपदा श्रृंखला) 🔊 Listen to this हमें स्कूल में आठवीं और नौंवी कक्षा में शरीर रचना विज्ञान (Anatomy) में पढ़ाया गया है कि हमारे पेट में जठर, यकृत (लिवर), प्लीहा, अग्न्याशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, गुर्दे आदि अंग होते हैं। इनमें से छोटी आंत की लंबाई 22 फीट होती है। अब सोचिए, भगवान ने, प्रकृति ने इतनी छोटी जगह में इतने अंग और 22 फीट की आंत को कैसे समायोजित किया होगा? 22 फीट लंबी आंत, जिसका व्यास (डायमीटर) कम से कम हो, इतनी छोटी जगह में कैसे रह सकती है, और हम आप सभी लोगों से निवेदन है कि हमारी पोस्ट अधिक से अधिक शेयर करें जिससे अधिक से अधिक लोगों को पोस्ट पढ़कर फायदा मिले | Join Our Whatsapp Group