ज्योतिष के कुछ योग जो कुछ तो ज्योतिषीय ग्रंथ किताब की रोशनी में स्व अनुभव परंतु अधिकतर जातक खुद ही ज्योतिषियों को समझा जाते हैं, कुछ इस प्रकार से हैं। शुद्ध हिंदी संस्कृत नहीं आती है इसीलिए अपनी ही आम बोली में लिखे हैं :-
1) केतु + शुक्र
– ठाठ-बाट का शौक दिल में कम रहता है, दिल जल्दी दुनिया से ऊब जाता है, लगता है असली सुकून इबादत, नेकी और अंदर की रोशनी में है। घर-परिवार पर ऊपर वाले की मेहर रहती है, मुसीबतें आती हैं तो हाथ थाम के निकालता भी है। दिमाग में समझ-बूझ बैठ जाती है कि क्या करना है क्या नहीं, खाली दिखावे से दिल नहीं बहलता। कमाने-खाने में हाथ तंग नहीं रहता, कपड़ा-लत्ता अच्छा, खेती-बाड़ी वाली ज़मीन, और गाड़ी-वाड़ी लेने के मौके बनते रहते हैं। इश्क-मोहब्बत में भी इज़्ज़त का लिहाज़ रहता है, पर अंदरुनी चाहत रब की पहचान की तरफ़ रहती है।
2) शनि + राहु
– कमाई में सीधे-सीधे रास्ते पर सब्र कम रहता है, दिमाग शॉर्टकट भी तलाशता है। ऐसा धंधा सूट करता है जिसमें हाथ-पैर कम, अक्ल-सिस्टम ज्यादा—जैसे कंप्यूटर-सॉफ्टवेयर, ऑनलाइन-सर्विस, कागज़ी/डिजिटल डीलिंग। खतरा ये कि तेज़ कमाई के लालच में कानूनी नाज़ुक कामों में पैर पड़ जाए, इसलिए साफ कागज़ात, भरोसेमंद पार्टनर और रूल को फॉलो करना जरूरी है।
3) मंगल + राहु
– गुस्सा फटाफट आता है, दिल नर्म है पर तेवर तगड़े, बात दिल पे जल्दी लगती है। मशीन, फैक्ट्री, औज़ार, तेज रफ्तार चीज़ों से चोट-चपेट का अंदेशा, मगर किस्मत में बचाव भी रहता है—बड़े हादसे टलते हैं। घर-घर में शक-सुब्हा से खींचतान, इसलिए बात वहीं की वहीं सुलझानी बेहतर। अक्सर रहने की जगह के आस-पास फ्लाईओवर, पार्किंग, मैदान, स्टेडियम जैसा माहौल मिलता है। हिम्मत और हौसला भरपूर, बस गुस्से पर काबू रखो तो कमाई और इज़्ज़त दोनो टिकती हैं।
4) शुक्र + बुध + मंगल
– दिमाग तेज़, समझ पैनी, बात को पकड़ने का हुनर—मगर लड़की-दोस्ती के किस्से से नाम खराब भी हो सकता। शुरुआत में रुकावटें, बाद में राहें खुलती हैं। भाई की बात पर चलके फौरन पैसा लगा दोगे तो घाटा हो सकता है, हिसाब-किताब साफ रखना जरूरी। यारी-दोस्ती वाली पार्टनरशिप में भी गलतफहमी से नुकसान, और ज़मीन-जायदाद में पचड़ा। नीयत साफ है, मगर रिश्तों की उलझन से घर का सुकून उड़ जाता है—हर काम में साफगोई और भरोसा जरूरी।
5) सूर्य + शनि + राहु
– घर में समझ की कमी रहती है, छोटी बात बड़ी बन जाती है। औलाद में देर-सबेर, सेहत की फिक्र लगती है, इलाज-तबीब का चक्कर भी। सरकारी दफ्तर-कचेहरी के चक्कर, फाइलों में अटकाव। कभी बच्चा ऐसा आता है जिसे ज्यादा प्यार और देखभाल चाहिए—घर वालों को सब्र और एकता रखना चाहिए। अहंकार छोड़कर अदब से काम लोगे तो मुश्किलें ढीली पड़ती हैं।
6) शुक्र + बुध
– चालाकी नहीं—समझदारी है, मगर धोखे से बचना चाहिए। दिमाग दुरुस्त, दूर की सोच बढ़िया, उठना-बैठना, मोहब्बत—सबमें संजीदगी। रहन-सहन और कमाई दोनों में धीरे-धीरे रोशनी आती है। बोलचाल मीठी, लोगों को जोड़ने का हुनर—लिखत-पढ़त, सौदेबाजी, पब्लिक डीलिंग में फायदा मिलता है।
7) शुक्र + मंगल
– ज़मीन-जायदाद का झमेला बनता है मगर आखिर में हाथ में जीत आती है। इश्क में धोखे का अंदेशा, इसलिए दिल के मामले में होशियारी। रहने की जगह बाज़ार, दफ्तर, बिज़नेस वाली साइट के पास। स्टाइल और हिम्मत साथ, मगर जल्दबाजी और गुस्से से नुकसान—इज़्ज़त ऊपर रखो।
8) बुध + मंगल
– दिल बैक़रार, दिमाग चालाक, प्लानिंग तेज़—मगर घर में कहा-सुनी हो सकती है। घर के पास पानी का ठिकाना—कुआं, तालाब, नहर। नई तरकीबें, सेल्स-मार्केटिंग में हाथ साफ, मगर ज्यादा चतुराई उल्टा भी पड़ती है—हद में रहो, लाभ पक्का।
9) सूर्य + शनि
– मुकाबले बहुत, दुश्मन भी तैयार। बाप-बेटे में अक्खड़पन से टकराव, दोनों को झुकना सीखना चाहिए। मेहनत और नियम से ही नाव पार, वरना अहंकार नाव डुबो देता है।
10) शुक्र + सूर्य + गुरु
– घर पढ़ा-लिखा, अदब-तहज़ीब वाला, या दीन-धर्म/इलाज से जुड़ा। इज़्ज़त-दौलत, समाज में नाम, खैरात-दान का दिल। घर अक्सर मंदिर या सुकून वाली जगह के पास। शादी-ब्याह का सुकून बेहतर—शोहरत आती है, नीयत साफ रखो।
11) सूर्य + गुरु
– हुनर कुदरती, काम में पहचान। आगे बढ़ने का मौक़ा, समाज में असर। जिम्मेदारी खुद-ब-खुद आती है—मिसाल बनके चलो।
12) बुध + शनि + राहु
– घर-धंधे में रुकावटें, कोर्ट-कचहरी और बदनामी के आसार। छुपे रिश्ते या उल्टे काम से आफ़त—क्लीन काम, क्लियर कागज़ात, और सच्ची बात ही बचाव हैं।
13) केतु + शुक्र + बुध
– कानून और कागज़ी काम में पकड़। तंग गलियां, भीड़भाड़ वाले इलाके में घर। ज़मीन-जायदाद में फंसावट—डीड-पत्र ठोस रखना चाहिए। दीन-ईमान और शौक-सुविधा दोनों साथ, मगर इश्क में स्कैंडल का खतरा—इज़्ज़त का लिहाज़ जरूरी।
14) शुक्र + बुध + सूर्य
– पैसा और प्लॉट-कोठी का फायदा, खानदान में दो-दो शादियों का किस्सा। बुजुर्गों के साथ चलके फायदा। दिमाग तेज़, लोग बात मानते—घमंड से बचो, बरकत बनी रहेगी।
15) केतु + शुक्र
– दिल में रब की याद, औरत-मर्द के मामले में भी समझदारी। कम में खुश रहने की आदत—यही बरकत की जड़ है।
16) शुक्र + शनि
– मोहब्बत वाला दिल, मीठी बोली, फनकारी—मगर इश्क में चोट का डर। भरोसा और वक्त—यही असल कसौटी है।
17) बुध + सूर्य
– सियासत की चाल समझ, बात रखने का अंदाज़, दीन-धर्म में झुकाव। लीडरशिप और पब्लिक प्लेटफॉर्म में हाथ साफ।
18) केतु + मंगल + राहु
– घर में झगड़ा-फसाद, शादी-ब्याह में टेंशन, पैसा हाथ से फिसलना। गुस्सा कम, इज़्ज़त और बुजुर्गों की राय ज्यादा—यही इलाज है।
19) शुक्र + मंगल + राहु
– शादीशुदा जिंदगी में तना-तन, गलतफहमी से नुकसान। साफगोई और भरोसा—घर बचाने की चाबी।
20) केतु + बुध + राहु
– दिमागी बोझ, घर की उठापटक, केस-मुकदमा, शादी में देरी, सेहत की कसर। इलाज, दुआ, और वक्त—तीनों साथ चलेंगे तो राह निकलेगी।
21) सूर्य + शनि + राहु
– शादी देर से, सरकारी-कानूनी अड़चनें, घर में झगड़ा—अलगाव तक नौबत। अदालत लंबी—सुलह सबसे बेहतर।
22) शुक्र + शनि + राहु
– शादी से पहले भी मुश्किल, बाद में भी झटके—मगर तीन बरस में रास्ते खुलते हैं। सब्र, परहेज़ और बड़ों की सलाह—यही नुस्खा।
23) केतु + शुक्र + शनि
– शुरू में जिंदगी टेढ़ी-मेढ़ी, मगर हिम्मत से आगे जाकर बरकत। मेहनत की तपिश आगे चलकर रोशनी बनती है।
24) केतु + शुक्र + राहु
– पहले कड़वाहट, बाद में मिठास—कमाई और इज्ज़त दोनों बढ़ती हैं। लालच से दूर रहोगे तो जो बना है, वो बचा रहेगा।
25) केतु + शनि + राहु
– धंधा बार-बार बदलोगे तो घाटा होगा, टिकाव जरूरी। बाहर वालों से नाता, बाहर जाने का इमकान—एक लाइन पकड़के रहोगे तो रंग दिखेगा।
26) केतु + बुध + चंद्र
– तर्क, कानून, कला—तीनों में पकड़ बनती है, बड़े पैमाने पर सफर। कुदरत की रौनक से मोहब्बत, मगर कान से कच्चा होने से लोग धोखा दे जाते हैं। परिवार के मामले कमजोर पड़ जाते हो, अकेलापन पसंद—एकांत भी भाता है।
– ईश्वर की रहमत मिलती है, खतरे टलते हैं। गैर-कानूनी विदेश कारोबार की तरफ़ खिंचाव वाले लोग रास्ते में रुकते हैं। अवैध रिश्ता का खटका—इज़्ज़त बचा के चलो। जन्म-स्थान पवित्र नदी/तीर्थ के पास मिलना आम है।
27) केतु + चंद्र + सूर्य
– बसने से पहले कई कड़वी-मीठी मुश्किलें, अफसरों से टकराहट और बदनामी का डर। बाप और नाना—दोनों तरफ़ ऊपर वाले की तरफ़ खिंचाव। बीमारियों के कारण घर को परेशानियां, मगर गिरकर संभलते हो।
28) शुक्र + बुध + चंद्र
– मोहब्बत के किस्से बनते-बिगड़ते, मीठी ज़बान से लोग खिंचते हैं। किसी परदेसी औरत से रिश्ता, शादी होकर नॉर्मल जिंदगी, अपना घर-ज़मीन बनना।
– औरतों के साथ उठना-बैठना ज्यादा, पैसा भी उन पर बहना, शक करने की बीमारी—घर में क्लेश। चालाकी से कमाई, मगर अवैध रिश्ता बदनामी लाता है। शादी के बाद संपत्ति में फायदा, मगर भरोसे की डोरी कस कर रखो।
29) शुक्र + चंद्र + सूर्य
– पानी के पास खूबसूरत घर, मगर शक करने की आदत से पैतृक धन का नुकसान। उच्च पद वालों से वास्ता, सुख-सुविधा पर खर्च। घर बदलने के मौके, जमीन-गहराई से फायदा। शक से घर की फज़ा खराब न करो।
30) बुध + चंद्र + सूर्य
– पढ़ाई और विदेशी विषयों में पकड़, मगर मन चंचल। बात-चीत अच्छी, समझ में कमी नहीं—बस टालमटोल से बचो।
31) केतु + चंद्र
– जन्म-स्थान के पास देवी-देवता का थान, उम्र में एक बड़ा खतरा टलना, दिल का दुनिया से उचटना। इबादत-सुहबत से दिल को सुकून।
32) शुक्र + चंद्र
– चाल-चलन पर उंगली, बदनामी और पैसा लसकना, घर की औरतों का उठना-बढ़ना धीमा। रिश्तों में साफगोई रखो।
33) चंद्र + सूर्य
– खुद को सुधारने की तलब, सियासत की समझ—पब्लिक काम में फायदा। अपने-आप को निखारना मंज़िल तक ले जाता है।
34) चंद्र + सूर्य + गुरु
– माँ-बाप-बच्चों का सहारा, कला का हुनर, बड़ों का अदब, भलाई का काम, दुश्मनों पर फतह, दौलत-इज़्ज़त। बाहर जाकर तरक्की, सरकार-समाज से मान, सफर बहुत, दिल कोमल। कभी-कभी फैसला डांवाडोल—मगर नीयत साफ रखो।
35) बुध + चंद्र + राहु
– अक्ल तेज़, मगर गैर-कानूनी चाल से बदनामी का खतरा। घटिया रिश्तों से पैसा डूब सकता है। दोस्त मदद करते हैं, पर नाजायज़ रिश्ते से बदनामी पक्की। पानी-किनारे हादसा, अक्ल गलत जगह लगाना—फौरन लाभ, बाद में घाटा; इससे बचो।
36) बुध + शनि + राहु
– विदेशियों से कारोबार, पैसा और कम्युनिकेशन का धंधा, डर-घबराहट से रफ्तार कम, मगर बाहर वालों से सहारा। कागज़ात दुरुस्त, टैक्स-कॉम्प्लायंस मजबूत रखो।
37) बुध + राहु
– अक्लमंद, पर डर दिल में बैठा। घर/काम की जगह के पास मस्जिद, मुस्लिम बिरादरी से मेलजोल। माथे पर निशान, आलस की लत—रूटीन ठीक रखो। गलत-संगत से परहेज़।
38) सूर्य + मंगल + राहु
– फालतू झगड़ों में फँसना और फिर निकल आना, दुश्मन के आगे झुकना भी पड़ सकता है। घर की शांति कम, बात कड़क, अफसरों से भिड़ंत—नरमी में बरकत है।
39) सूर्य + मंगल
– मिज़ाज गरम, घर सामने सड़क-मंदिर-सरकारी दफ्तर। बोलते कम, काम ज्यादा—तो फायदा।
40) चंद्र + मंगल + राहु
– मन में उथल-पुथल, सिर पे चोट का डर, धंधे में एक दौर अच्छा। घर में बैचेनी, चालाक औरत से चोट, पानी-आग जैसा बड़ा खतरा टलता है, बड़े तालाब/झील/समुंदर के पास घर। सेफ्टी-रूल पक्का फॉलो करो।
41) गुरु + मंगल
– थोड़ा अक्खड़, थोड़ा जज़्बाती—पर दिल के साफ। टोकाटाकी नागवार, लोगों को उठाने की आदत—कई बार उपकार का उल्टा जवाब। गुस्से में चोट, फिर पछतावा; रिश्तेदारों की तंज। धर्म-ध्यान, खर्च खुल्ला, चापलूसों से बचो। पढ़े-लिखे लोगों का साथ, बुढ़ापे में घर वाले मन दुखा सकते—जिद कम करो। किस्मत साथ, स्कूल-कॉलेज के पास ठिकाना।
42) केतु + शुक्र + शनि
– मन और घर दोनों तरफ़ उलझन, फिर ऊपर वाले की तरफ रुख। शादी टालना, रिश्तों में उलट-फेर, मुकदमें। पहले दौर में तंगी, बाद में दौलत। शादी के बाद चमक। जात-पात के पचड़े से रिश्ता टूटे—तो इज़्ज़त से बाहर निकलो। बच्चों में देर-सबेर—नज़र-टोने से बचाव करो। पैसा फिसलेगा—बजट संभालो। पहले प्यार से शादी न होना, जमीन-खेत के केस—सबर से जीत।
43) केतु + शुक्र + राहु
– पैसा आए भी तो टिके नहीं—बेवजह दावेदार लूट लें। हमेशा पैसे की तकलीफ़, बीवी से अनबन, गुप्त सौदे का नुकसान। क़ानूनी ढांचे में रहकर डील करो।
44) केतु + शनि + राहु
– मेहनत कड़ी, शुरुआत में कमाई कम; मिड-एज में रफ्तार पकड़ती है। पेशे में रुकावटें, जगह बदलनी पड़ती—सिस्टमेटिक बनो, फोकस्ड रहो।
45) शुक्र + शनि + राहु
– गाड़ी-घोड़ा जल्दी, बिना बहुत पसीना बहाए पैसा-संपत्ति। बीवी को जहर/कुत्ते का खतरा—हेल्थ-सेफ़्टी पर जोर। औलाद में दिक्कत का डर। कमाई अच्छी, नीचे वर्ग की औरत से भी मदद। शादी के बाद किस्मत खुलना। विदेश सफर, ऊंची बिल्डिंग में रहना, रूहानी-रहस्यमयी दिलचस्पी। दो शादियां तक, पहली पत्नी का पहले जाना भी—सावधानी जरूरी। होशियार सहेली से मदद, काला धन/छुपा खजाना, आलस की बुरी आदत से बचो।
46) केतु + शनि
– त्याग, सादगी, दुनियावी चमक का लोभ कम। पैसा और समृद्धि में किस्मत कच्ची—पर मन का सुकून मजबूत। उम्मीद हकीकत पर रखो।
47) शुक्र + शनि
– कभी-कभार जोर से किस्मत खुलती है। शादी के बाद सितारे बुलंद। घर-ज़मीन का सुकून—धैर्य से सब हासिल।
48) शुक्र + राहु
– घराना मालदार टाइप—पैसा, गाड़ी, गहने। कम मेहनत में भी आमदनी, रहन-सहन में टशन, ऊंचे-बड़े घर। फालतू शान में फिजूलखर्ची न करो।
49) केतु + शुक्र + मंगल
– जिस्मानी चक्कर से घर में टेंशन, अच्छी पत्नी होते हुए भी दिल परेशान। रिश्तेदारों से पैसे का झगड़ा, अपने अलग। बीवी से दूरियां, पुराना घर सौदे में मिलना। 27 के बाद तरक्की, झगड़े होते हैं—बाद में सुलह भी।
50) केतु + मंगल + राहु
– शादी में अड़चनें, हो जाए तो रोज़ की खींचतान। भाई-रिश्तेदारों से पंगा। अवैध सौदा फंसा देता है। अलगाव तक बात जाती है—बचकर चलो।
51) शुक्र + मंगल + राहु
– बीवी के नसीब से उन्नति, शादी के बाद शुरुआत में तनाव, फिर तीन साल में राह स्पष्ट। ऐशो-आराम, गाड़ी-सवारी। बीच-बचाव की दखल से तकरार—सीमाएं तय करो। कच्चे पैसे का चक्कर नुकसानदेह। घर थिएटर/बड़े अस्पताल के पास भी हो सकता।
52) केतु + मंगल
– आवाज ऊंची, घरवालों पर रोब, अनबन। घर के पास दर्जी/बिजली/नाई की दुकानें, बंद गली जैसा रास्ता—थोड़ा तंग माहौल। नरमी में बरकत है।
53) शुक्र + मंगल
– ज़मीन का झमेला बनता और सुलझता, इश्क में धोखा—मगर फिर संभल जाते हो। बीवी से गहरा प्यार। बैंक-अस्पताल-सैलून-जूस-चाय दुकान पास—सुविधा और खर्च दोनों।
54) केतु + शुक्र + सूर्य
– हुकूमत की मेहर से पैसा-इज़्ज़त, कभी-कभी अफसरों से नुकसान। सरकार से नाम-शोहरत। एक औलाद दूर शहर में नाम कमाती। घर की औरत को रुकावट/बीमारी—ख़याल रखना। मामा के घर दबा खज़ाना जैसा इशारा—क़ानूनी दायरे में रहो।
55) बुध + गुरु
– दिमाग तेज़, जन्म-स्थान के आसपास हरियाली। पुरखों के ज्ञान से फायदा, बहुत से विषयों में महारत। बचपन का प्यार किसी और से निकाह में बदल सकता है। सच और हकीकत की तरफ झुकाव—इसी में राहत है।
56) गुरु + चंद्र + बुध
– समझ ऊंची, जटिल बातों की पकड़। बहुत सफर, तजुर्बा, अंदर की आवाज़। पढ़ाई में इश्क और बदनामी, ज़मीन के सौदे में कभी बेइन्साफी, कभी फायदा। जन्म के वक्त बड़ा खतरा टला—अब दूर-दराज़ के सफर, घर बदलना। बीवी और यार—दोनों तरफ से उलझन भी, सुख भी—हद में रहोगे तो इज़्ज़त बचेगी। ख्याल गहरे, औरतों पर भरोसा करके चोट, मगर पर्सनैलिटी आकर्षक। बाहर का रिश्ता चल भी सकता—फिर घर संभालना मुश्किल; सोच-समझकर कदम रखो। परिवार में चालाक-रोमांटिक लोग, किसी का बाहर गर्भ ठहरना तक—हद से बाहर न जाओ। दो घरों का खर्च उठाने की नौबत—मत लाओ।
57) चंद्र + गुरु
– जन्म-स्थान से दूर बसना, पैदाइश में सेहत का खतरा, बड़े पैमाने पर यात्राएं। पुरखों, उलेमा/उपदेशकों, नदियों—इन सबसे दिली लगाव।
58) चंद्र + शनि + गुरु
– फर्ज़ और सूक्ष्म समझ, आत्म-चिंतन, इज्ज़तदार जिंदगी। बीमारियों से ऊब और बदनामी, बाद में वैराग्य। जवानी में लंबे सफर, ऊपर वाले का नाम जुड़ा रहता है। शुरू में सफर और अड़चनें, काम के कारण घर बदलना। 31/35 के बाद समृद्धि-प्रतिष्ठा, धार्मिक-संजीदा-मुस्कुराते, ओहदा और दूर जगह बसना।
59) गुरु + शनि + बुध
– चतुराई, धर्म की सोच, इश्क में उलझन। तीस के पास जमीन का फायदा। इज़्ज़तदार जिंदगी, प्लानिंग में वक्त लगता है। जवाब नपा-तुला, समाज-सेवा में रुचि, चेहरा प्यारा, तनाव में भी मीठी बोली। चल-अचल संपदा, नाम-शोहरत, गुरु-टाइप सम्मान। मीठी बात से गलत रिश्ता भी बन जाए—फिर छोड़ना पड़ेगा; बेहतर है बचो। साइंस की पकड़, प्रेमिका की वजह से घर-ज़मीन-यश—मगर इज़्ज़त पहले।
60) गुरु + शनि
– नक्श-नक्शा आकर्षक, अच्छी चीजों का शौक। जो पेशा पकड़ो उसमें उस्तादी। शुरुआत में ही नाम-यश। समाज में असर, मिज़ाज शांत, काम आसान तरीके से। घमंड नहीं—काम दिखेगा।
61) गुरु + चंद्र + बुध
– इज्ज़त-मान, कला और सोच में पकड़, इलाज/राहनुमाई के काम में कामयाबी। मीठी ज़बान, दूर बसकर तरक्की, मददगार लोग मिलते। बड़ों का अदब—बरकत बढ़ती है।
62) गुरु + शनि + बुध
– सधा हुआ मिजाज, बड़े इदारे में तरक्की, शादीशुदा खटास से निकलना, लोगों में इज्ज़त। समझदारी से फैसला—इसी में जीत।
63) बुध + चंद्र + मंगल
– धीरे-धीरे तरक्की, शादी में दिक्कत, मोहब्बत में धोखा, घर में तकरार। सब्र और साफगोई—यही इलाज।
64) बुध + सूर्य + गुरु
– आदर-इज़्ज़त, ऊंचा ओहदा, समाज की सराहना। जिम्मेदारी उठाओ—इज्ज़त कायम रहेगी।
65) केतु + शुक्र + बुध
– शादी में रुकावट, शादीशुदा जीवन में टेंशन, घर-ज़मीन पर केस। मुश्किल हालात से निकलकर तरक्की—दस्तावेज़ मजबूत रखो, भरोसा बरक़रार।
66) केतु + बुध + सूर्य
– रिश्तों में खटास, शादी में देरी, जिंदगी में अड़चनें। सुलह और सब्र—यही रास्ता।
67) शुक्र + बुध + सूर्य
– पिता/सरकार से संपत्ति, किस्मत साथ, मोहब्बत से शादी का इशारा। मगर नियम-कायदा न टूटे—इसी में इज्ज़त।
68) केतु + बुध
– भक्ति-भाव, तपस्या, दांपत्य सुख कम। कम में खुश रहने का हुनर—दिल बड़ा रखो।
69) शुक्र + बुध
– अक्ल का सिक्का चलता है, इज्ज़त और अधिकार मिलता है। मीठी बोली से दुनिया जीती जाती है—बस सच्चाई रखो।
70) बुध + सूर्य
– बड़े अफसरों से सहारा, उज्ज्वल भविष्य। अहंकार छोड़ो—रास्ते खुलते हैं।
71) बुध + चंद्र + शनि
– दुनियादारी सीखने से पहले लोग बात बनाते हैं, दूर जाकर बसना पड़ सकता है। मशविरा और धैर्य—इसी से मंज़िल।
72) केतु + शुक्र + चंद्र
– थोड़े दिनों के लिए विदेश जाना, अंदर भक्ति का एहसास। शादी न हो या शादी में दुख। वेद-किताब पढ़ने-सुनाने का ज़ौक। इज्ज़त रखो—राह निकलेगी।
73) केतु + बुध + चंद्र
– घर-परिवार में अड़चनें, लोग उंगली उठाते हैं, कड़े अनुभव। सच और सब्र—दोनों से गुजरना पड़ेगा।
74) केतु + बुध + चंद्र
– जान में ढीलापन, दिमागी कमजोरी, आँखों की तकलीफ। इलाज समय पे, आराम पक्का।
75) शुक्र + बुध + चंद्र
– टॉन्सिल, कान-सुनाई, चमड़ी की दिक्कत। परहेज़ और इलाज—ठीक होता है।
76) शुक्र + चंद्र + सूर्य
– शुगर की बीमारी की तरफ इशारा। खान-पान काबू में रखो—सेहत सुधरेगी।
77) केतु + चंद्र
– आँखों की बीमारी—मोतियाबिंद/टेढ़ी नजर। आंखों का ख्याल—डॉक्टरी इलाज समय पे।
78) शुक्र + चंद्र
– शुगर, औरतों की अंदरूनी बीमारी, पेशाब-नली, किडनी-थैली की तकलीफ। पानी ज्यादा, मीठा कम—भलाई इसी में।
79) चंद्र + सूर्य + गुरु
– खून में खराबी, सर्दी-ज़ुकाम बार-बार। ताक़तवर खुराक, आराम, दवा—ठीक।
80) बुध + शनि + राहु
– चमड़ी की बीमारी। धूप-धूूल से बचो, क्रीम-इलाज से आराम।
81) बुध + राहु
– कान का रोग, बदन पर काले दाग। ईएनटी दिखाओ, परहेज़ करो—बेहतरी आती है।
82) चंद्र + मंगल + राहु
– जान देने जैसे ख़याल तक आ जाएँ—खतरनाक दौर। घर वालों का सहारा, डाक्टरी सलाह, दुआ—तीनों जरूरी।
83) गुरु + मंगल
– हाई ब्लड प्रेशर का संकेत। नमक कम, गुस्सा कम, वॉक ज्यादा—सुधार पक्का।
84) केतु + शुक्र + शनि
– सांस फूलना, दवा से धीरे आराम। एलर्जी-दम घुटना—इनहेलर/इलाज काम आता है।
85) केतु + शुक्र + राहु
– दिल की बीमारी का डर, उम्र बढ़ने पर दिमागी कमजोरी या बड़ी बीमारी। टेस्ट समय पे—बचाव बेहतर।
86) शुक्र + शनि + राहु
– चमड़ी, गुप्त, वात-जोड़ वाले रोग; जनन-तंत्र की दिक्कत; दिल का भी रिस्क; विकलांगता तक का खतरा। रेगुलर चेकअप—लाइफस्टाइल सुधारे।
87) केतु + शनि
– गठिया और जोड़-दर्द। गरम तेल मालिश, दवा, वॉक—आराम होता है।
88) केतु + शुक्र + मंगल
– दिल की बीमारी की तरफ इशारा। स्ट्रेस कम, नींद पूरी, टेस्ट रेगुलर।
89) शुक्र + मंगल + राहु
– दिल के रोग का संकेत। फिजूल तनाव छोड़ो—दिल को राहत मिलेगी।
90) केतु + मंगल
– खून गंदा घूमना, दिमाग सुस्ती। पानी ज्यादा, परहेज़—ठीक होता है।
91) केतु + शुक्र + सूर्य
– दिल की बीमारी का इशारा। दिल का ख्याल—डाइट, वॉक, टेस्ट—सब रखना।
92) बुध + गुरु
– त्वचा नर्म, जल्दी असर लेती। साफ-सफाई, मॉइस्चराइज़र, धूप से बचाव।
93) गुरु + चंद्र + बुध
– नाक-गले में ट्यूमर तक—ऑपरेशन के बाद आराम। डरना नहीं—इंसानी हिम्मत और इलाज से ठीक होता है।
94) केतु + सूर्य
– आँखों की बीमारी—मोतियाबिंद/टेढ़ी नजर। आई-स्पेशलिस्ट के पास टाइम पे जाना फायदेमंद।
95) चंद्र + शनि + गुरु
– दमा, सर्दी-कफ-हवा के रोग। एलर्जी कंट्रोल—इनहेलर/इलाज काम करता है।
96) गुरु + शनि
– पेट में गैस, हज़्म की दिक्कत। सादा खाना, कम तेल-मिर्च—आराम।