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वैदिक ज्योतिष में चतुर्थांश चार्ट डी4 बनाने की विधि

वैदिक ज्योतिष में, D4 चार्ट, जिसे चतुर्थांश चार्ट भी कहा जाता है, जीवन के विशिष्ट पहलुओं के विस्तृत विश्लेषण के लिए उपयोग किए जाने वाले सोलह वर्ग चार्टों में से एक है ! षोडश वर्ग चार्ट का प्रत्येक वर्ग चार्ट जीवन के एक विशिष्ट क्षेत्र पर केंद्रित होता है और मुख्य जन्म कुण्डली (लग्न चार्ट) से अलग अतिरिक्त अंतर्दृष्टि और जनकारी प्रदान करता है !

 

डी4 चार्ट या चतुर्थांश चार्ट, मुख्य रूप से जीवन में मिलने वाले सुख सुविधा, आराम, भौतिक संशाधन, एवं सम्पत्तियों पर केंद्रित होता है, जिसमें भूमि और भवन जैसी अचल संपत्तियां भी शामिल हैं !

 

चतुर्थांश चार्ट – D4 चार्ट, क्या दर्शाता है और इसे कैसे बनाते हैँ :

 

विभाजन: D4 चार्ट प्रत्येक राशि के 30° को चार बराबर भागों में विभाजित किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक भाग एक चतुर्थांश का प्रतिनिधित्व करता है ! प्रत्येक चतुर्थांश एक राशि के भीतर 7°30′ अंश को कवर करता है, जिसके परिणामस्वरूप कुण्डली के सम्पूर्ण राशि चक्र में कुल 90 चतुर्थांश विभाजन हो जाते हैं !

 

गणना: D4 चार्ट बनाने के लिए गणना जन्म के समय लग्न के सटीक देशांतर के आधार पर की जाती है ! प्रत्येक चतुर्थांश उसी तत्व (अग्नि, पृथ्वी, वायु या जल) से सम्बंधित एक विशिष्ट राशि से जुड़ा होता है, जो लग्न से शुरू होता है !

 

विश्लेषण:  D4 चार्ट व्यक्ति के भौतिक सुख-सुविधाओं और सम्पत्ति, विशेष रूप से ज़मीन, व अन्य अचल सम्पत्ति, जैसे निजी भवन जैसी अचल सम्पत्तियों के स्तर के बारे में जानकारी प्रदान करता है ! प्रत्येक चतुर्थांश जीवन के इन क्षेत्रों से सम्बंधित विभिन्न गुणों और अनुभवों का प्रतिनिधित्व करता है !

 

ग्रहों_का_प्रभाव : D4 चार्ट में ग्रहों की स्थिति सुख, आराम के स्तर और सम्पत्ति के स्वामित्व की व्याख्या को प्रभावित करती है !D4 चार्ट विशिष्ट चतुर्थांश वर्गों पर शुभ या अशुभ प्रभाव धन और सम्पत्ति से सम्बंधित सकारात्मक या चुनौतीपूर्ण अनुभवों का संकेत देता है !

 

उपचारात्मक_उपाय :

वैदिक ज्योतिषी D4 कुण्डली के विश्लेषण के आधार पर सुख-समृद्धि भौतिक संसाधन बढ़ाने, सुख-सुविधाओं में सुधार लाने और सम्पत्ति प्राप्ति में सुगमता लाने के लिए विशिष्ट उपचारात्मक उपाय के बारे में सुझाव दे सकता है ! इन उपायों में रत्न धारण करना, अनुष्ठान करना, या शुभ ग्रहों से सम्बंधित विशिष्ट आध्यात्मिक साधनाओं का अभ्यास करके सिद्धि प्राप्त करना शामिल हो सकता है !

कुल मिलाकर, D4 चार्ट, या चतुर्थांश चार्ट, व्यक्ति के सुख, आराम और सम्पत्ति के स्वामित्व के स्तर के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है ! यह ज्योतिषियों को समग्र कल्याण में सुधार, भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि, और अचल सम्पत्तियों को प्रभावी ढंग से प्राप्त करने और प्रबंधित करने के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करने में मदद करता है !

 

बनाने_की_विधि :

राशि के 30° को 7°30′ अंश के चार बराबर भागों में विभाजित करते हैं !

पहला भाग 0° से 7°30′, दूसरा भाग 7°30′ से 15°, तीसरा भाग 15°से 22°30′, चौथे भाग में 22°30′ से 30° को रखा जाता है !

अब लग्न कुण्डली में लग्न व ग्रहों के अंश देखकर पता करते हैं कि वह चतुर्थांश के किस भाग में आता है !

पहले भाग में आने वाले ग्रह को उसी राशि में अंकित किया जाता है !

दूसरे भाग में आने वाले ग्रह या लग्न को उसी  के चतुर्थ भाव में अंकित करते हैँ जिसमें वह स्थित है !

तीसरे भाग में जाने वाले ग्रह को उसके सप्तम भाव में अंकित करते हैं !

चौथे भाग में जाने वाले ग्रह को उसकी राशि के दशम भाव में अंकित करते हैँ।

 

लग्न कुण्डली में लग्न वृश्चिक राशि में 10°09′ अंश पर स्थित है, यह चतुर्थांश के दूसरे भाग में जाता है, अतः लग्न वृश्घिक के चतुर्थ भाव कुम्भ राशि की होती है, अतः लग्न मे 11 लिखकर पूरी कुण्डली बना लेंगें !

सूर्य कर्क राशि में 9°40′ अंश पर अंकित है, यह चतुर्थांश के दूसरे भाग में आयेगा, अतः सूर्य को कर्क के चतुर्थ भाव तुला राशि में अंकित कर देंगे !

इसी प्रकार चन्द्रमा मेष राशि में 20°38′ पर है जो तीसरे भाग में आता है, अतः इसे तुला राशि में अंकित किया जायेगा !

मंगल सिंह राशि में 1°09′ पर पहले भाग में स्थित है, अतः मंगल को सिंह राशि में ही अंकित कर दिया जायेगा !

बुध कर्क राशि में 18°35′ पर है, जो तीसरे चतुर्थांश में आता है, अतः बुध को मकर राशि में अंकित किया जायेगा !

गुरु 5°19′ पर मिथुन राशि में स्थित है, जो पहले भाग में आता है, अतः गुरु को मिथुन राशि में अंकित किया जायेगा !

शुक्र सिंह राशि में 09°06′ पर स्थित है जो दूसरे भाग में आता है, अतः शुक्र को वृश्चिक राशि में अंकित किया जायेगा !

शनि धनु राशि में 15°13′ पर स्थित है जो तीसरे भाग में आता है, अतः शनि को धनु से सातवें भाव मिथुन राशि में अंकित किया जायेगा !

राहु कुम्भ राशि में 3°08′ पर स्थित है, जो पहले भाग में आता है, अतः राहु को कुम्भ राशि में अंकित किया जायेगा !

केतु सिंह राशि में 3°08′ पर स्थित है, अतः केतु को सिंह राशि में ही अंकित कर दिया जायेगा !

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