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मार्गशीर्ष-महात्म्य – चौथा अध्याय मार्गशीर्ष में स्नान, दान और दीप-पूजन का महत्व

ब्रह्मा ने कहा 👉 हे जनार्दन! आपने पुंड्र, चंदन और शंख-चिह्नों की महिमा मुझे विस्तार से बताई। अब मेरी इच्छा है कि आप मुझे मार्गशीर्ष मास में होने वाले स्नान, दान, दीपदान और व्रतों का रहस्य भी बताइए। यह मास देवों का अत्यंत प्रिय बताया गया है। इसकी दिव्यता कैसी है, हे माधव, यह मुझे जानने की लालसा है।

भगवान श्रीहरि ने कहा 👉 सुनो हे चारमुखी, मार्गशीर्ष मास सम्पूर्ण मासों का मुकुट है। यह मास देवताओं का प्रिय, सिद्धियों का दाता और हरि-भक्तों को परमपद देने वाला कहा गया है। जो मनुष्य इस मास में ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करता है, वह अनेक जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है।

हे विदेहात्मा, इस मास में प्रातःकाल गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से वह पुण्य प्राप्त होता है जो मनुष्य अनेक यज्ञ और हजारों दान देकर भी नहीं पा सकता। यदि नदी उपलब्ध न हो तो घर पर ही शुद्ध जल में स्नान करके नमो नारायणाय” का जप करना चाहिए। इससे जल स्वयं पवित्र गंगाजल के समान हो जाता है।

🌼 मार्गशीर्ष में दीपदान का फल

हे ब्रह्मन, इस मास के प्रत्येक संध्या समय यदि कोई मनुष्य भगवान के समक्ष घी का दीपक जलाता है, तो वह दीपक यमराज के पथ से उसकी रक्षा करता है। उसके पूर्वज तृप्त होते हैं और देवता उस घर में निवास करते हैं।

यदि कोई मनुष्य तुलसी-वृंदावन में दीप लगाए, तो तुलसी देवी उसकी समस्त इच्छाएँ पूर्ण करती हैं। मार्गशीर्ष के प्रत्येक दीप का फल अक्षय होता है; अर्थात् वह कभी नष्ट नहीं होता।

जो व्यक्ति किसी तीर्थ में, नदी के किनारे, देवालय में या पीपल के नीचे दीप जलाता है, उसे उसी जन्म में सभी मनोकामनाओं की सिद्धि प्राप्त होती है।

🌼 मार्गशीर्ष में दान की महिमा

भगवान ने कहा:
हे परमज्ञानी, इस मास में किए गए दान को “महादान” कहा गया है।

  • अन्नदान,
  • वस्त्रदान,
  • तिलदान,
  • जलदान,
  • दीपदान,
    और
  • स्वर्ण का दान

इन सबका फल अन्य मासों की तुलना में सौ गुना बढ़ जाता है।

जो मनुष्य ब्राह्मणों, संतों या गरीबों को गर्म वस्त्र दान करता है, वह जन्म-जन्मांतर की ठंडक (अर्थात क्लेशों) से मुक्त रहता है। यदि कोई मनुष्य एक ब्राह्मण को भोजन कराता है, तो उससे दस करोड़ पितरों की तृप्ति होती है।

🌼 मार्गशीर्ष में उपवास का उपकार

हे ब्रह्मन, जो मनुष्य इस मास के किसी भी दिन उपवास करता है, या केवल एक समय भोजन ग्रहण करता है, वह वैकुण्ठ-पद का अधिकारी बनता है।

इस मास में उपवास करने वाले को

  • वायु,
  • राक्षस,
  • पिशाच,
  • दुष्ट जीव
    ये सभी दूर रहते हैं।

उसके घर में धन, धान्य और शांति स्वतः बढ़ती है।

🌼 मार्गशीर्ष में हरि-पूजन का अद्भुत फल

हे पितामह, मार्गशीर्ष महिना हरि-उपासना का विशेष काल माना गया है।
इस मास में

  • तुलसी के साथ श्रीविष्णु की पूजा,
  • शालिग्राम को जल अर्पण,
  • गीता का पाठ,
  • विष्णु सहस्रनाम
    और
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
    का जप —

मनुष्य को वह फल देता है जो कठिन तपस्या और लंबे योग से भी नहीं मिलता।

यदि किसी मनुष्य ने वर्षभर कोई पाप भी किया हो, तो केवल मार्गशीर्ष में किया हुआ एक दिन का हरिनाम-स्मरण उसे पापों से मुक्त कर देता है।

🌼 मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महान फल

हे ब्रह्मन, मार्गशीर्ष की पूर्णिमा तो अमृतमयी कही गई है।
इस दिन किया गया—

  • दीपदान
  • तिलदान
  • अन्नदान
  • गो-पूजन
  • गंगा स्नान
  • तुलसी-पूजन
    इनका फल अनंत गुना बढ़ जाता है।

जो मनुष्य इस दिन चांद की ओर देखकर पूर्णिमा-व्रत करता है, वह देवताओं में पूजनीय बन जाता है।

यदि कोई गरीब हो, दान न दे सके, तो केवल
नारायण-नारायण”
का नाम जपने मात्र से ही वह इतना पुण्य अर्जित कर लेता है जिसे देवता भी प्राप्त करना चाहें।

🌼 मार्गशीर्ष में यज्ञ, जप और ध्यान का रहस्य

मार्गशीर्ष मास में किया गया—

  • अग्निहोत्र,
  • गायत्री-जप,
  • विष्णु-यज्ञ,
  • तुलसी-माला का परिक्रमा,
  • ब्राह्मण-सत्कार,
    और
  • सत्संग

इन सबका फल अन्य मासों की तुलना में असंख्य गुना बढ़ जाता है।

हे चारमुखी, जो मनुष्य इस मास की एक रात्रि भी जागरण करता है और हरि का भजन करता है, वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर हरि-धाम को प्राप्त होता है।

🌼 धर्म और पितरों को तृप्त करने वाला मास

मार्गशीर्ष ऐसा मास है जिसमें पितर पृथ्वी पर आते हैं और जो मनुष्य इस समय—

  • तिल,
  • जल,
  • दीपक
    और
  • अन्न

से उनका तर्पण करते हैं, उनके कुल में कभी दरिद्रता नहीं आती।

हे ब्रह्मन, मार्गशीर्ष के दान से पितर ऐसे संतुष्ट होते हैं जैसे वर्षा से प्यासा धरती।

भगवान श्रीहरि बोले—
“हे ब्रह्मा! मार्गशीर्ष मास मेरा स्वयं का स्वरूप है। जो मनुष्य इस मास में श्रद्धापूर्वक स्नान, दान, जप, ध्यान, हरि-पूजन, दीपदान और उपवास करता है, उसे इस पृथ्वी पर सुख, समृद्धि और अंत में मोक्ष प्राप्त होता है।

मार्गशीर्ष में जो मनुष्य एक दीप भी जलाता है, मैं उसके घर में स्वयं निवास करता हूँ।”

मार्गशीर्ष-महात्म्य तीसरा अध्याय शंख आदि के चिह्न अंकित करना

 मार्गशीर्ष-महात्म्य दूसरा अध्याय

मार्गशीर्ष महात्म्य पहला अध्याय | मार्गशीर्ष माह में पवित्र स्नान का फल

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