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माघ मास विशेष

 माघ मास के स्नान से बढ़कर पवित्र पाप नाशक दूसरा कोई व्रत नही है.. एकादशी के व्रत की महिमा है, गंगा स्नान की महिमा है, लेकिन माघ मास में सभी तिथियाँ पर्व हैं, सभी तिथियाँ पूनम जितनी पुण्यदाई हैं.. माघ मास में सूर्योदय से थोड़ी देर पहले स्नान करना पाप नाशक और आरोग्य प्रद और आध्यात्मिक प्रभाव बढ़ाने वाला है, पाप नाशनी उर्जा मिलने से बुद्धि शुद्ध होती है, इरादे पवित्र होते हैं ।

 पद्म पुराण में भगवान ब्रह्मा भृगु ऋषि से कहते हैं कि तप परम ध्यानं त्रेता याम जन्म तथाह । द्वापरे व् कलो दानं । माघ सर्व युगे शुच ।।

➡ अर्थात – सतयुग में तपस्या से उत्तम पद की प्राप्ति होती है.. त्रेता में ज्ञान, द्वापर में भगवत पूजा से और कलियुग में दान सर्वोपरी माना गया है.. “दानं केवलं कलियुगे” परन्तु माघ मास का स्नान तो सभी युगों में श्रेष्ठ माना गया है । सतयुग में सत्य की प्रधानता थी, त्रेता में तप की, द्वापर में यज्ञ की, कलियुग में दान की प्रधानता है.. लेकिन माघ मास में सूर्य उदय से पूर्व के स्नान की चारो युगो में बड़ी भारी महिमा है.. सभी दिन माघ मास में स्नान कर सकें तो बहुत अच्छा नहीं तो आखिर के 3 दिन तो लगातार करना ही चाहिए.. माघ मास का इतना प्रभाव है कि सभी जल गंगा जल तीर्थ पर्व के समान हैं ।

 पुष्कर, कुरुक्षेत्र, काशी, प्रयाग में 10 वर्ष पवित्र शौच, संतोष आदि नियम पालने से जो फल मिलता है

माघ मास में 3 दिन स्नान करने से वो मिल जाता है, खाली 3 दिन.. माघ मास प्रात: स्नान सब कुछ देता है आयु, आरोग्य, रूप, बल, सौभाग्य, सदाचरण देता है ।

 जिनके बच्चे सदाचरण से गिर गए हैं उनको भी पुचकार के, इनाम या लालच देकर भी बच्चो को स्नान कराओ तो बच्चों को समझाने से, मारने पीटने से या और कुछ करने से उतना नहीं सुधर सकते हैं, घर से निकाल देने से भी इतना नहीं सुधरेंगे जितना माघ मास के स्नान से उनमें सुधारने की क्षमता आएगी।

 तो सदआचरण, संतान वृद्धि, सत्संग, सत्य और उदार भाव आदि का प्रादितय होता है.. व्यक्ति की सुदंरता उत्तम गुण, समझ से सम्पन होती है.. नर्क का डर उसके लिए सदा के लिए खत्म हो जाता है, मरने के बाद फिर वो नर्क में नही जायेगा ।

 दरिद्रता और पाप दूर हो जायेंगे, दुर्भाग्य का कीचड नाश हो जायेगा, यत्न पूर्वक माघ स्नान करना चाहिए.. माघ प्रात: स्नान से विद्या निर्मल होती है, मलिन विद्या क्या है ? कि पढ़ लिख के दूसरों को ठगों, दारू पियो, क्लबों में जाओ, बॉयफ्रेंड, गर्लफ्रेंड करो ये मलिन विद्या है.. लेकिन निर्मल विद्या होगी तो ये पापाचरण में रूचि नही होगी ।

 माघ प्रात: स्नान से विद्या निर्मल होती है, कीर्ति बढ़ती है, आरोग्य, आयुष्य और अक्षय धन की प्राप्ति होती है.. जो धन कभी नष्ट ना हो, वह अक्षय धन की भी प्राप्ति होती है, रुपये पैसे तो छोड़के मरना पड़ता है, दूसरा अक्षय धन वो भी प्राप्त होता है, समस्त पापों से मुक्ति और इंद्र लोक की प्राप्ति सहज में हो जाती है अर्थात स्वर्ग लोक की प्राप्ति ।

 पद्म पुराण में भगवान राम के गुरु वशिष्ट जी कहते हैं वैशाख में जल, अन्न दान उत्तम हैं.. कार्तिक में तपस्या और पूजा, माघ में जप और होम दान उत्तम है ।

प्रिय वस्तु अर्थात रूचिकर वस्तु का त्याग करने से व्यक्ति वासनाओं की गुलामी के जंजाल को काटने का बल ले आता है.. पवित्र नियम पालने से अधर्म की जड़े कटती हैं, जो लोग तत्व ज्ञान सुनते हैं लेकिन अधर्म करते रहते हैं तो तत्व ज्ञान में रूचि नहीं होती, तत्व ज्ञान उनको पचता नहीं है ।

 मूर्ख हृदय न चेतिए यदपि गुरु मिले विरंची सम ।। ब्रह्मा जी जैसा गुरु मिले लेकिन जिसको अधर्म में रूचि है वह फिर फिसल जाता है.. मैं मिलियनर, बिलियनर, तिलियनर बनू लेकिन वो सुसाईड करके मर गए कई बड़े बड़े मिलियनर, कई तिलियनर वो बड़े धनाढ़्य थे, तब भी उनकी बड़ी दुर्गति हुई.. तो जिस वस्तु में आसक्ति है उस वस्तु को बल पूर्वक त्याग दे तो अधर्म की जड़े कटती हैं ।

 सकाम भावना से माघ महिने का स्नान करने वाले को मनोवांछित फल प्राप्त होता है लेकिन निष्काम भाव से कुछ नहीं चाहिए खाली भगवत प्रसन्नता, भगवत प्राप्ति के लिए माघ का स्नान करता है, तो उसको भगवत प्राप्ति में भी बहुत बहुत आसानी होती है ।

 सामर्थ्य के अनुसार प्रति दिन हवन करें, 1 बार भोजन करें.. माघ मास में 3-3 बार खाना ये आध्यात्मिक जगत में पीछे रखेगा और बच्चों के लिए 3-3 बार भोजन बुद्धि मोटी बना देगा.. माघ मास में 1 टाईम भोजन करना चाहिए अगर एक बार भोजन से काम ना चले तो 2 बार भोजन करना चाहिए इससे ज्यादा नहीं।

 माघ मास में पति पत्नी के सम्पर्क से दूर रहने वाला व्यक्ति दीर्घ आयु वाला होता है और सम्पर्क करने वाले की आयुष्य का नाश होता है.. भूमि पे शयन नहीं तो गद्दा हटाकर सादे बिस्तर पर शयन करना चाहिए.. जो व्यक्ति धन में, विद्या में, कितना भी कमजोर हो, असमर्थ हो, उतना ही उसको बल पूर्वक माघ स्नान कर लेना चाहिए.. तो उसके धन में, बल में, विद्या में बढ़ोत्तरी होगी, माघ मास का स्नान असमर्थ को सामर्थ्य देता है, निर्धन को धन देता है, बीमार को आरोग्य देता है, पापी को पुण्य, निर्बल को बल देता है.. माघ मास में तिल और जौ के उबटन से स्नान करना पुण्य स्नान है.. उबटन स्नान, तर्पण, हवन और दान और तिल मिश्रित भोजन ये सब कष्ट निवारक और धन संपदा प्रदायक है ।

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