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मदन मोहन मालवीय

… कॉलेज में जाने तक मुझे MMM का मतलब सिर्फ मालाड का MM मिठाईवाला ही पता था…
… आगे चलकर जब जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्पर्श हुआ, तब जाकर पता चला कि MMM का मतलब मदन मोहन मालवीय  भी होता है…
… लेकिन मज़ाक में लोग MMM को Money Making Machine (पैसे बनाने की मशीन) कहते थे…
… जब बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के समय पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने ज़मीन से लेकर फंड तक जो साधन जुटाए, तो “मनी मेकिंग मशीन” का असली अर्थ समझ में आता है…
… लगभग सौ-सवा सौ साल पहले, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को खड़ा करने के लिए उन्होंने करोड़ों की राशि अत्यंत प्रेम और कुशलता से इकट्ठा की थी…

… इसी चंदे के लिए वो हैदराबाद के निज़ाम से भी मिले… विश्वविद्यालय के नाम में “हिंदू” शब्द निज़ाम को चुभ रहा था… लेकिन “हिंदू” शब्द से रत्ती भर भी समझौता करने को पंडित मदन मोहन मालवीय तैयार नहीं थे…
… पंडितजी के सामने बैठा नवाब, अपने एक पाँव को दूसरे पर रखकर उसे हिला रहा था और बात कर रहा था… उसके पैरों में मोजड़ी थी… एक तरह से नवाब अप्रत्यक्ष रूप से पंडितजी को जूते दिखा रहा था…
… पंडितजी उठे, और अत्यंत नम्रता से नवाब के पैरों से मोजड़ी उतार ली… नवाब ने दूसरा पैर आगे किया, पंडितजी ने वो भी उतार ली और बोले —
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लिए मैं समझता हूँ कि यह (मोजड़ी) ही आपकी ओर से दी गई भेंट है।”

… और वे बाहर निकल गए…
… यह सोचकर कि मैंने पंडितजी को जूते दिए!” नवाब खुशी में गाजर खा रहा था…
… लेकिन तभी नवाब के कानों तक यह खबर पहुँची कि पंडितजी उस मोजड़ी की हैदराबाद के बीच बाज़ार में नीलामी करने वाले हैं… नवाब की इज़्ज़त दाँव पर लग गई थी…
… और वाकई अगली सुबह, पंडितजी नवाब की मोजड़ियाँ लेकर हैदराबाद के बीच बाज़ार में खड़े हो गए… नीलामी शुरू हुई…
… नवाब का खास आदमी हर बोली के ऊपर अपनी बोली लगाता गया… पंडितजी के करीबी सहयोगी भीड़ में मौजूद थे और हर बार नवाब के आदमी से ज़्यादा बोली लगाते गए…
… यह सब खुद पंडितजी की योजना थी…
… जब बोली उस राशि तक पहुँची जितनी पंडितजी चाहते थे (शायद तीन से साढ़े तीन लाख रुपये), उन्होंने आँखों के इशारे से अपने साथियों को रोक दिया… नीलामी वहीं थम गई…
… आखिरकार अपनी ही मोजड़ी को तीन-साढ़े तीन लाख रुपये देकर नवाब ने खुद खरीद लिया
… और यह बात उस दौर की है जब ₹1 = 64 पैसे होता था और एक रुपये में 32 नारियल मिलते थे!
… “हिंदू” शब्द के लिए अपनी पूरी बुद्धिमत्ता, चालाकी, और आत्मसम्मान को दांव पर लगाने वाले…
… नवाब की घमंड और अकड़ को उसकी ही मोजड़ी उसके गले में डालने वाले…
… भारत माता के महान सपूत… MMM…
… देश की स्वतंत्रता के लिए तन-मन-धन समर्पित करने वाले यह आधुनिक महर्षि,
… और स्वतंत्रता से सिर्फ दस महीने पहले ही स्वर्गवासी हो गए – यह क्या दुर्भाग्यपूर्ण विडंबना है…

पुण्यतिथि वर्ष के अवसर पर पंडितजी के चरणों में शत-कोटि वंदन 🙏🙏💐💐

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