विमान रनवे पर सरक रहा था…
खिड़की के बाहर का शहर धीरे-धीरे छोटा होता जा रहा था,
और अंदर बैठे लोग – कोई पहली बार हवाई यात्रा कर रहा था, कोई रोज करता है…
लेकिन हर किसी के मन में एक जैसी भावना थी –
“पहुँचते ही कॉल करूंगा… इंतज़ार मत करना।”
किसी ने माँ को टेक्स्ट किया,
किसी ने पत्नी को आखिरी फोटो भेजा।
किसी ने ऑफिस के ग्रुप में लिखा – “Take off ✈”
और किसी ने मन ही मन एक प्रार्थना की –
“सब कुछ ठीक से हो जाए।”
लेकिन उसी क्षण…
वक़्त ने अपनी योजना बना ली थी।
एक ज़ोरदार धमाका,
आग की लपटें,
और एक ही पल में – सब कुछ खत्म हो गया।
बैग, पासपोर्ट, मोबाइल, घड़ियाँ – सब वहीं थे…
बस इंसान नहीं थे।
पीछे रह गया सिर्फ धुआँ, राख,
और उन्हें तलाशती आंखें जो अब भी इंतज़ार में थीं…
उन मोबाइल फोनों पर आए आखिरी मैसेज आज भी पढ़े नहीं गए –
“लैंड करते ही कॉल करना…”
“अभी से तुम्हारी याद आ रही है…”
“ध्यान रखना…”
कहीं एक माँ फूट-फूट कर रो रही थी,
कहीं बच्चे घबराए हुए थे,
कहीं कोई बार-बार फोन कट होने के बाद भी कह रहा था –
“हैलो… हैलो?”
कोई नहीं जानता कि आखिरी मैसेज कौन सा होगा,
आखिरी गले लगना कब होगा,
या आखिरी शब्द कौन सा होगा…
जो आज चले गए,
उनकी हँसी की गूंज अब भी किसी की यादों में ज़िंदा है।
जो सपने उन्होंने अधूरे छोड़े,
जो आवाजें उन्होंने पीछे छोड़ीं,
उनकी इंसानियत – यह सब हमें बस एक बात सिखाता है…
“जीवन क्षणभंगुर है…”
इसलिए हर पल जियो – प्यार से,
“क्षण में जीवन, क्षण में अंत…”
प्रतीक जोशी पिछले छह वर्षों से लंदन में रह रहे थे। एक सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल के रूप में उन्होंने विदेश में एक बेहतर भविष्य की नींव रखी थी—अपनी पत्नी और तीन मासूम बच्चों के लिए, जो भारत में ही रह रहे थे।
कई सालों की मेहनत, कागजी प्रक्रिया, धैर्य और इंतज़ार के बाद उनका सपना अब हकीकत बनने जा रहा था। दो दिन पहले ही उनकी पत्नी डॉ. कोमी व्यास, जो भारत में मेडिकल प्रोफेशनल थीं, ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया था। बैग पैक हो चुके थे, विदाई हो चुकी थी, और भविष्य उनके स्वागत को तैयार था।
इस सुबह, आशा, उत्साह और नई ज़िंदगी की योजनाओं से भरे वे पाँचों लोग एयर इंडिया की फ्लाइट 171 में लंदन के लिए सवार हुए। उन्होंने एक सेल्फी खींची, अपने रिश्तेदारों को भेजी—एक तरफ़ा यात्रा थी, एक नई शुरुआत की ओर।
लेकिन वे कभी मंज़िल तक नहीं पहुँचे।
विमान क्रैश हो गया।
उनमें से कोई भी जीवित नहीं बचा।
क्षण भर में वह सपना जो वर्षों से बुना गया था, राख में बदल गया। यह एक क्रूर सच्चाई है—जीवन बेहद नाज़ुक है।
जो कुछ भी हम बनाते हैं, जो कुछ भी हम संजोते हैं—वो सब एक बहुत पतली डोरी पर टिका होता है।
इसलिए जब तक साँसें चल रही हैं—प्यार करो, माफ़ करो, और ज़िंदगी को खुलकर जियो। माफ करते हुए, और पूरी सच्चाई के साथ।
“आप छुट्टी मनाने के लिए यात्रा पर निकलते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं।
आप ट्रॉफी जीतकर लौटते हैं, और आपके शहर के बाहर आपकी मृत्यु हो जाती है।
आप काम के सिलसिले में, खुशी से हवाई जहाज़ में बैठते हैं, और उसी विमान में दुर्घटना घट जाती है।
आपने अपने घर से शिक्षा प्राप्त की होती है, और वह विमान उसी घर पर गिरकर सब कुछ खत्म कर देता है।
आप ट्रेन से काम से घर लौटते होते हैं, और वहीं एक दुर्घटना हो जाती है।
हम जीवन की घटनाओं की योजना नहीं बना सकते।
क्या होगा, कब होगा, किस क्षण हमारे जीवन की डोर टूट जाएगी – यह कोई नहीं जानता।
यह समझने में देर नहीं लगनी चाहिए कि
एक ज़िंदा इंसान का जीवन, एक लाश के वापस आने से कहीं ज़्यादा मूल्यवान है।
इसलिए जब तक जीवन है, उसे खुलकर जीना चाहिए।
यही बात समय ने हमें सिखाई है।
🙏 एक विनम्र श्रद्धांजलि उन सभी आत्माओं को –
जिन्होंने आज की विमान दुर्घटना में अपनी जान गंवाई।
मृत्यु निश्चित है… लेकिन
जब तक वह आती नहीं,
मृत्यु के बिना जीना ही असली जीवन है।
🙏 नम्र श्रद्धांजलि –
उन सभी को जो अचानक समय की धारा में खो गए।