चाळीसगाव जैसे छोटे से स्थान पर, अपने जीवन के 50 वर्षों तक प्रेमिका का इंतजार करते हुए और घर की दहलीज न लांघते हुए केकी मूस विश्वविख्यात छायाचित्रकार बने। उन्होंने 300 से अधिक स्वर्णपदक प्राप्त किए।
अपनी कई कलाकृतियों और छायाचित्रों को उन्होंने अपने पत्थर के हवेलीनुमा घर में रहकर ही जन्म दिया। इस महान कलाकार ने अपने जीवन का लगभग आधा हिस्सा एकांतवास में बिताया।
हर रात, रेलवे के डिब्बों की ओर आँखें लगाए, प्रेमिका के स्वागत के लिए तैयार रहने वाले इस व्यक्ति ने अपनी कला और प्रेम को अंतिम सांस तक समर्पित कर दिया।
50 वर्षों तक प्रेमिका का इंतजार
केकी मूस की प्रेमकथा किसी किंवदंती जैसी लगती है। अपनी प्रेमिका के वचन पर विश्वास करते हुए उन्होंने 50 वर्षों तक हर दिन “पंजाब मेल” नामक ट्रेन के गुजरने का इंतजार किया और उसके बाद ही भोजन ग्रहण किया।
उनके इंतजार और प्रेम ने चाळीसगाव में ‘मूस आर्ट गैलरी’ का निर्माण किया। यह गैलरी उनकी कलात्मकता और प्रेम की प्रतीक बन गई।
प्रेमिका का दिया वचन
जब केकी मुंबई छोड़कर चाळीसगाव जा रहे थे, उनकी प्रेमिका निलोफर मोदी उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (तत्कालीन विक्टोरिया स्टेशन) पर विदा करने आई थीं। उन्होंने केकी का हाथ थामकर वचन दिया कि वह एक दिन “पंजाब मेल” से चाळीसगाव आएंगी और उनके साथ भोजन करेंगी।
केकी ने इस वचन को अपना जीवन बना लिया। हर दिन, ट्रेन के आने के समय, वह अपने बंगले के दरवाजे-खिड़कियां खोलते, दीप जलाते, और बगीचे के ताजे फूलों से गुलदस्ता तैयार रखते। जब बगीचे में फूल कम हो गए, तो उन्होंने रंगीन कागजों से एक स्थायी गुलदस्ता बना लिया।
प्रेम और कला के प्रति समर्पित जीवन
1939 से 1989 के बीच, 50 वर्षों के दौरान, केकी केवल दो बार घर से बाहर निकले। पहली बार अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए और दूसरी बार विनोबा भावे का चित्र बनाने के लिए।
उनके घर पर कई महान हस्तियों ने आकर उनसे मुलाकात की, जिनमें जवाहरलाल नेहरू, बाबा आम्टे, साने गुरुजी, जयप्रकाश नारायण, और बालगंधर्व शामिल हैं।
कला के प्रति योगदान
केकी मूस एक बहुआयामी कलाकार थे। वह छायाचित्रकार, चित्रकार, शिल्पकार, ओरिगामिस्ट, लेखक, अनुवादक और संगीत प्रेमी थे। उनकी टेबल-टॉप फोटोग्राफी ने उन्हें विश्व प्रसिद्धि दिलाई। उनके छायाचित्रों “द विच”, “बगर विदाउट”, “शिव-पार्वती” और “तृषार्त” ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई।
उन्होंने विभिन्न भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया और लगभग 4000 पुस्तकों का संग्रह किया।
प्रेरणास्त्रोत
डच चित्रकार रेम्ब्रांट उनके प्रेरणास्त्रोत थे। उनके घर का नाम “आशीर्वाद” बदलकर “रेम्ब्रांज रिट्रीट” रखा गया।
अंतिम समय और स्मृति
31 दिसंबर 1989 को सुबह 11 बजे, इस महान कलाकार ने अपने घर से ही संसार को अलविदा कहा। उनकी स्मृति में हर वर्ष “कलामहर्षि केकी मूस कलादालन” में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
उनकी प्रेम कहानी, समर्पण, और कला के प्रति जुनून आज भी लाखों दिलों को प्रेरित करता है।