
आप अपने जन्म नक्षत्र से अच्छी तरह से परिचित ये किसी माह में किसी वार के आधार पर कुछ रोचक तथ्य :-
यदि किसी माह में जन्म नक्षत्र रविवार को पड़े तो उस दिन प्रायः मन में बेचैनी बनी रहती है।
व्यर्थ की यात्राएँ करनी पड़ सकती हैं तथा विवाद या कलह की स्थितियाँ बन सकती हैं।
यदि किसी माह में जन्म नक्षत्र सोमवार को पड़े तो उस दिन अच्छे भोजन-पेय एवं पहनने योग्य वस्त्र की प्राप्ति होती है।
धन में वृद्धि की संभावना रहती है। यदि जन्मकालीन चन्द्रमा शुभ एवं सशक्त हो तो यह लाभ और अधिक बढ़ जाता है।
यदि किसी माह में जन्म नक्षत्र मंगलवार को पड़े तो उस दिन प्रायः अग्नि-संपर्क की संभावना रहती है।
रक्षा सेवाओं अथवा सैनिक वर्ग से परिचय होता है।
भाइयों से संवाद अधिक रहता है।
दिन का अधिकांश भाग परिश्रम और पुरुषार्थ में व्यतीत होता है।
गणित अथवा तकनीकी विषयों का अभ्यास बढ़ता है तथा बिजली संबंधी उपकरणों से जुड़ा कार्य होता है।
यदि तिथि तृतीया, अष्टमी या त्रयोदशी हो तो फल और भी प्रबल होता है।
यदि किसी माह में जन्म नक्षत्र बुधवार को पड़े और कुंडली में बुध ग्रह शुभ प्रभाव में हो तो उस दिन व्यक्ति से परोपकार के कार्य सम्पन्न होते हैं।
दूसरों के प्रति सद्भावना बढ़ती है।
रिश्तेदारों से सहयोग एवं लाभ मिलता है।
विद्या में रुचि रहती है तथा व्यापार में उन्नति होती है।
यदि तिथि द्वितीया, सप्तमी या द्वादशी हो तो लाभ और भी अधिक होता है।
यदि किसी माह में जन्म नक्षत्र गुरुवार को पड़े और गुरु ग्रह बलवान हो तो उस दिन ज्ञानार्जन की प्रेरणा अधिक होती है।
मन में शांति और संतोष का अनुभव होता है।
विद्वानों, गुरुओं अथवा महात्माओं से संपर्क स्थापित होता है।
शासन अथवा राज्य कर्मचारियों से सहयोग प्राप्त होता है और धन में वृद्धि होती है।
यदि तिथि पंचमी, दशमी या पूर्णिमा हो तो ये फल और अधिक प्रबल होते हैं।
यदि किसी माह में जन्म नक्षत्र शुक्रवार को पड़े और शुक्र ग्रह शुभ एवं प्रभावशाली हो तो उस दिन विभिन्न प्रकार के आमोद-प्रमोद के अवसर मिलते हैं।
उत्तम भोजन तथा सुंदर वस्त्र प्राप्त होते हैं।
स्त्रियों से संपर्क और मेल-जोल अधिक होता है।
संगीत, नृत्य तथा सौंदर्य-संबंधी विषयों में रुचि बढ़ती है।
यदि तिथि प्रथमा या एकादशी हो तो यह फल और अधिक फलदायी सिद्ध होता है।
यदि किसी माह में जन्म नक्षत्र शनिवार को पड़े और शनि ग्रह बलवान एवं शुभ प्रभाव में हो तो उस दिन परिश्रम और धैर्य की प्रधानता रहती है।
भूमि, भवन अथवा लोहे-धातु से जुड़े कार्यों में लाभ की संभावना रहती है।
सेवा क्षेत्र, प्रशासन अथवा श्रमप्रधान कार्यों से जुड़ाव बढ़ता है।
मन में कभी-कभी गंभीरता एवं एकांतप्रियता का भाव रहता है।
यदि तिथि षष्ठी, अमावस्या या चतुर्दशी हो तो परिणाम और भी सशक्त रूप में सामने आते हैं।