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भारत की खुफिया एजेंसियों ने पता लगा लिया है कि घोड़े वालों से लेकर भेलपूरी बेचने वालों तक सारे आतंकियों के ही स्लीपर सेल्स थे।

वहां जो भी था चाहे विडियो बना रहा हो या मदद करने का नाटक कर रहा हो सभी आतंकियों के ही स्लीपर सेल्स थे।

हमला पूरा होते ही सारे गायब हो गये हैं।

 

वहां एक भी छोटी दुकान लगाकर बेचने वाला नहीं मिलेगा।

करीब 35 आतंकी घटनास्थल पर मौजूद थे। और सारे आसपास के घरों में लगभग एक महीने से रह रहे थे। और समझ लिजिए किसी भी घरवाले ने सूचना लीक नहीं होने दी। अब तक लाखों टूर बुकिंग कैंसिल कर दी गई है जिससे 12000करोड़ की हानि की खबर है अब लो भुगतो ज्यादा मिठाई मिल रही थी । अब ज्यादा से ज्यादा वहां हिंदू बढ़ाए जाने चाहिए विथ हथियार ।

एक महीने तक आतंकी यदि आपके घर में  मेहमान बनकर रहे वो भी एक नहीं दो नहीं  35 आतंकी तो क्या मतलब निकलता है। लेकिन किसी भी घर वाले ने पुलिस या फोर्सेज को नहीं बताया।

आदरणीय अमित शाह ने बताया है की उस पर्टिकुलर जगह पर कभी भी बिना पुलिस  की इजाजत के टूर ट्रेवेल्स सर्विस वालों द्वारा  टुरिस्टों को नहीं लाया जाता है लेकिन उस दिन बिना पुलिस को सूचित किए टूर ट्रेवेल्स की बसें सैलानियों को लेकर वहां आ गई  थीं

काफी सारे सैलानी पहुँच चुके थे।  

प्लान A था कि 35 आतंकी एक साथ फायरिंग करके बहुत सारे हिन्दुओं को मार डालेंगे।इस प्लान के मुताबिक  एक खच्चर वाला सारी बंदूकों को गाड़ी से निकालकर घास के नीचे छुपा देगा और दो लोग खच्चर पर और दो लोग बिना नंबर वाली मोटरसाइकिल जो घटनास्थल के पास से बरामद हुई है ,से जगह पर पहुंचेंगे।

बाकी आतंकी पहले से ही भेष बदलकर घटनास्थल पर छुपे हुए थे।  फिर चार आतंकियों ने ही घटनास्थल पर फायरिंग कर लोगों को मारना शुरू किया। बाकी सारे बंदूकों के आभाव में चारों तरफ ध्यान रख रहे थे।

 

अब कल्पना कीजिए अगर वे सारी बंदूकें  वहां पहुंच गई होतीं तो क्या क्या हो सकता था?जो बचकर आए लोग आज टीवी पर इंटरव्यू  दे रहे हैं की मैं वहां से दस मिनट पहले निकला या बीस मिनट पहले निकल गया । या दूर से ही देखकर हम दौड़ के भाग आए। शायद उनमें से एक भी न बचता। अब बताईये ये 35 आतंकियों को एक महीने से वहां के लोकल लोग चारों वक़्त का खाना पीना सब सुविधाएं देकर पाल रहे थे लेकिन मजाल है सिक्योरिटी फोर्सेज को या पुलिस  को सूचना मिल जाए।

इतनी एकता है इनमें। कई विडियो में यह भी दिखाई पड़ता है कि सैलानियों को वहां के लोकल लोगों  ने आसरा देने की कोशिश की है कि हमारे घर पर रूक जाओ ,होटल दूर है तो हमारे घर पर खाना खा लो।आराम कर लो यह सब दिखावटी और हिन्दुओं को धोखा देने बहलाने की कोशिश  करने भर की बात है क्योंकि वे ये अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी कमाई का साधन सिर्फ टूरिस्ट हैं।

 

इनको बहला फुसलाकर रखना बहुत जरूरी है। यह मोहब्बत  घटना के बाद ही क्यूँ  दिखाई पड़ रही है। मजहब में इसे अलकतिया कहते हैं मतलब पहले मारो फिर अपना काम निकालने के लिए इनको बहला फुसलाकर दोस्ती करो।

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