Sshree Astro Vastu

वैदिक ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह न केवल विभिन्न रोगों का कारक है, बल्कि शरीर पर विशिष्ट चिन्ह (चिह्न), तिल, मस्सा, कट या दाग आदि भी देता है।

ग्रह, रोग और शरीर चिन्हों का विवरण

 

 सूर्य (Surya)

रोग:

नेत्र रोग (दायाँ नेत्र)

हृदय रोग

अस्थि (हड्डी) विकार

उच्च रक्तचाप (BP)

मानसिक तनाव

शरीर चिन्ह:

जलने का दाग

पुराने घाव या कट का निशान

माथे या सिर पर तिल

कभी-कभी सिर पर बाल कम होना

चन्द्र (Chandra)

रोग

मानसिक रोग (उदासी, अवसाद)

श्वेत प्रदर (Leucorrhoea)

रक्त विकार

मूत्र रोग

ठंडक जन्य रोग

शरीर चिन्ह:

गाल, ठुड्डी या वक्ष पर तिल या मस्सा

शरीर में सफ़ेद दाग (leucoderma)

जली या खरोंच की हल्की पुरानी रेखा

 

 मंगल (Mangal)

रोग:

रक्तस्राव (Bleeding disorders)

रक्तचाप

पित्त विकार

ज्वर (बुखार)

चोट, फोड़ा, फुंसी

अग्नाशय (Pancreas) रोग

शरीर चिन्ह:

कटाव का निशान (कहीं चोट का पुराना दाग)

रक्तवर्ण तिल

दाहिने हाथ या माथे पर घाव का चिह्न

 

 बुध (Budh)

रोग:

त्वचा रोग (Allergy, Eczema)

वाणी दोष

नर्वस सिस्टम (स्नायु) रोग

सिरदर्द (Migraine)

अनिद्रा

शरीर चिन्ह:

गर्दन या कंधे के पास तिल

कंधे या गले में मस्सा

जन्मजात तिल

 

गुरु (Brihaspati/Jupiter)

रोग:

मोटापा

डायबिटीज़

फैटी लीवर

सूजन

लीवर रोग

शरीर चिन्ह:

पेट के दाहिने भाग पर तिल

जांघ या नाभि के पास कोई निशान या तिल

 शुक्र (Shukra)

रोग:

वृषण (Testes) / गर्भाशय रोग

त्वचा विकार

शुक्र धातु रोग

मूत्र रोग

वेंरल डिज़ीज़ (STD)

शरीर चिन्ह:

जननांगों के आसपास तिल

चेहरे पर सौंदर्य तिल

 

दाएं गाल या गर्दन पर तिल

 शनि (Shani)

रोग:

गठिया (Arthritis)

वात रोग

स्नायु विकार

लकवा

पुरानी बीमारियाँ

दांतों की समस्या

शरीर चिन्ह:

घुटनों, टखनों या पैरों पर तिल या दाग

पैर पर चोट या मोच का निशान

पीठ या कमर पर मस्सा

 

राहु (Rahu)

रोग:

मानसिक भ्रम / डर

त्वचा रोग

कैंसर

गैस्ट्रिक समस्या

विषाक्तता

शरीर चिन्ह:

शरीर के किसी रहस्यमय स्थान पर काला तिल (मूलतः बिना कारण का तिल)

अचानक हुए दाग या गहरा मस्सा

पैरों की उंगलियों या तलवे पर तिल

 

केतु (Ketu)

रोग:

नर्व सिस्टम डिसऑर्डर

अनिद्रा

रीढ़ की हड्डी की समस्या

मिर्गी

आध्यात्मिक या मानसिक विचलन

 

शरीर चिन्ह:

रीढ़ की हड्डी या पीठ पर कोई कट या दाग

अजीब आकृति का तिल

ललाट या सिर के पिछले हिस्से पर तिल या निशान

 

विशेष टिप्पणी:

यदि उपरोक्त ग्रह दशा, अंतरदशा, गोचर में बलवान हो या 6/8/12 भाव में हो तो इनके रोग प्रभाव बढ़ जाते हैं।

जिन ग्रहों की दृष्टि लग्न/चन्द्र या उनके नक्षत्रों पर हो, उनके चिन्ह भी जातक के शरीर पर मिल सकते हैं।

नक्षत्रों के चरण भी शरीर के विशेष हिस्सों से जुड़े होते हैं — यदि चाहें तो   उनसे संबंध स्थापित करके और सूक्ष्म गणना कर सकते हैं

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