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रुद्राक्ष का महत्व अध्यात्म,आयुर्वेद, ज्योतिष एवं वैज्ञानिक श्रावण मास शिव पूजा रुद्राभिषेक कैसे करें आओ जानें

*माना जाता है कि एक बार पृथ्वी पर त्रिपुर नामक एक भयंकर दैत्य उत्पन्न हुआ था । वह बहुत बलशाली और पराक्रमी था । देवताओंके लिये  उसे पराजित करना असंभव था ; तब ब्रह्मा, विष्णु और इन्द्र आदि देवता भगवान शिव की शरण में गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना करने  लगे ।

          *भगवान शिव के पास ‘अघोर’ नाम का एक दिव्य अस्त्र था । वह अस्त्र बहुत विशाल और तेजयुक्त था । उसे सम्पूर्ण देवताओं की आकृति माना जाता है ।

 

  *त्रिपुर का वध करने के उद्देश्य से शिव ने नेत्र बंद करके अघोर अस्त्र का चिंतन किया । अधिक समय तक नेत्र बंद रहने के कारण उनके नेत्रों से जल की कुछ बूंदें निकलकर भूमि पर गिर गईं ।

         *उन्हीं बूंदों से महान रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए । फिर भगवान शिव की आज्ञा से उन वृक्षों पर जो फल लगे उनकी गुठलियों को रुद्राक्ष कहा गया । वैसे भी देखा जाये तो ‘रुद्र’ का अर्थ शिव और ‘अक्ष’ का आँख अथवा आत्मा है ।

 

 *ये रुद्राक्ष अड़तीस प्रकार के कहे गये हैं । माना जाता है कि जो फल शिव प्रभु के सुर्य  नेत्रों से उत्पन्न करवाये  । वे  कत्थई रंग के थे और उन के बारह भिन्न-भिन्न प्रकार माने गये हैं ।  

          *इसी प्रकार चन्द्रमा के नेत्रों से  श्वेतवर्ण के सोलह प्रकार के रुद्राक्षों की उत्त्पति हुई तथा कृष्ण वर्ण वाले दस प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पत्ति अग्नि के नेत्रों से मानी जाती है । ये ही इनके अड़तीस भेद हैं ।

 

 *वैज्ञानिक तौर पर कहें तो रुद्राक्ष एक फल की गुठली (बीज) है । संसार में यहीं एक ऐसा फल है, जिसको खाया नहीं जाता बल्कि गुद्दे को निकालकर उसके बीज को धारण किया जाता है। यह एक ऐसा बीज (काष्ठ रुपक) है, जो पानी में डूब जाता है । पानी में डूबना यह दर्शाता है कि इसका आपेक्षिक घनत्व अधिक है।

         *क्योंकि इसमें लोहा, जस्ता, निकल,मैंगनीज, एल्यूमिनियम, फास्फोरस, कैल्शियम,कोबाल्ट,पोटैशियम, सोडियम, सिलिका, गंधक आदि तत्व होते हैं ।

         *इसी वजह से रुद्राक्ष का मानव शरीर से स्पर्श को महान गुणकारी बतलाया गया है । हमारे देश भारत में इसका उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्रमें ज्यादा तौर पर किया जाता है ।

 

 *हमारे देश में व्यावसायिक तौर से रुद्राक्ष प्राय: तीन रंगो में पाया जाता है। लाल, मिश्रित लाल व काला । इसमें धारियांबनी रहती हैं । इन धारियोंको मुख कहा गया है । एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक रुद्राक्ष होते हैं ।

         *परंतु वर्तमान में चौदहमुखी तक रुद्राक्ष उपलब्ध हैं । रुद्राक्ष के एक ही वृक्ष से कई प्रकार के रुद्राक्ष मिलते हैं । एक मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् शिव का स्वरूप कहा गया है । सभी मुख वाले रुद्राक्षों का अपना एक अलग महत्व होता है । हमारे ऋषि-मुनियों के मुताबिक इन रुद्राक्षोंके मुख के अनुसार देवों की महिमा बतलाई गई है।  

 

 *ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक निम्नानुसार मंत्र-जाप करने से कष्ट निवारण का महत्व दिखलाया गया है। जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है : ⤵

      रुद्राक्ष एवं देवता मंत्र

  1. मुखी👉 शिव 👉 ॐ नमः शिवाय
  2. मुखी👉 अर्धनारीश्वर 👉 ॐ नमः
  3. मुखी👉 अग्निदेव 👉 ॐ क्लीं नमः
  4. मुखी👉 ब्रह्मा,सरस्वती 👉 ॐ ह्रीं नमः
  5. मुखी👉 कालाग्नि रुद्र👉 ॐ ह्रीं नमः
  6. मुखी👉 कार्तिकेय 👉 ॐ ह्रीं हुं नमः
  7. मुखी👉 नागराज 👉 ॐ ह्रीं हुं नमः
  8. मुखी👉 भैरव,अष्ट विनायक 👉 ॐ हुं नमः
  9. मुखी👉 माँ दुर्गा 👉 ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः

                                         ॐ ह्रीं हुं नमः

  1. मुखी👉 विष्णु👉ॐ नमो भवातेवासुदेवाय

                                       ॐ ह्रीं नमः

  1. मुखी👉 एकादश रुद्र 👉

        ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवय ।

   धीमही तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।। ॐ ह्रीं हुं नमः

 

  1. मुखी👉 सूर्य 👉ॐ ह्रीम् घृणिः सूर्यआदित्यः श्रीं

                                 ॐ क्रौं क्ष्रौं रौं नमः

  1. मुखी👉 कार्तिकेय, इंद्र ,इंद्राणी 👉

          ऐं हुं क्षुं क्लीं कुमाराय नमः। ॐ ह्रीं नमः।

  1. मुखी👉 शिव, हनुमान, आज्ञा चक्र 👉ॐ नमः
  2. मुखी👉पशुपति 👉ॐ पशुपत्यै नमः
  3. मुखी👉 महामृत्युंजय ,महाकाल 👉

      ॐ ह्रौं जूं सः त्र्यंबकम् यजमहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम

         उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय सः जूं ह्रौं ॐ।।

  1. मुखी👉 विश्वकर्मा ,माँ कात्यायनी 👉

                          ॐ विश्वकर्मणे नमः

  1. मुखी👉 माँ पार्वती 👉 ॐ नमो भगवाते नारायणाय
  2. मुखी👉नारायण 👉 ॐ नमो भवाते वासुदेवाय
  3. मुखी👉ब्रह्मा 👉ॐ सच्चिदेकं ब्रह्ममुखी

21.मुखी 👉 कुबेर 👉                                                  ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये

        धनधान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा ।।

 

सावन में कब करना चाहिए रुद्राभिषेक

 

 *रुद्राभिषेक ऐसी अनुष्ठान विधि है, जिससे शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं.सावन मास के अलावा भी अन्य दिनों में रुद्राभिषेक किया जा सकता है. लेकिन सावन माह के सावन सोमवार,सावन शिवरात्रि और नाग पंचमी जैसे अवसरों पर रुद्राभिषेक करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है हमारे संस्थान द्वारा विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा विधि पूर्वक अपने घर फैक्ट्री फ्लैट ऑफिस में बैठकर या देश विदेश में ऑनलाइन पूजा कराने का लाभ निश्चित तौर पर मिलता है।

किसी भी पूजा में सबसे अधिक महत्व नाम और गोत्र का होता है। आप पूरे विश्व में कहीं भी रहने पर आपकी पहचान आपके नाम और गोत्र से होती है,तो पूजा किसके नाम से आयोजित हो रही है यह निर्धारित करता है कि पूजा का फल किसे मिलेगा। कोई भी समस्या,बीमारी या दोष हो सभी पूजाओं को नाम और गोत्र से ही संपन्न किया जा सकता है। ऐसे में किसी भी तीर्थ स्थान या मंदिर में आपके नाम और गोत्र के उच्चारण से पूजा का फल आपको प्राप्त होता ही है।

परन्तु कई बार हम किसी तीर्थ स्थान या सिद्ध मंदिर में स्वयं नहीं जा पाते हैं। तब आप हमारे द्वारा कोई भी पूजा पाठ करा सकते हैं साथ ही पूजा पाठ अनुष्ठान परंपराओं के बारे में उचित ज्ञान रखने वाले वैष्णव विद्वान ब्राह्मण के माध्यम से अपनी पूजा संपन्न करा सकते हैं।।

 रुद्राभिषेक करने की शुभ तिथियां

 

सोमवार, 14 जुलाई 2025             पहला सावन सोमवार 

 

सोमवार, 21 जुलाई 2025             दूसरा सावन सोमवार

 

बुधवार, 23 जुलाई 2025 सावन शिवरात्रि

 

सोमवार, 28 जुलाई 2025             तीसरा सावन सोमवार

 

मंगलवार 29 जुलाई 2025             नाग पंचमी”

 

सोमवार, 4 अगस्त 2025 चौथा सावन सोमवार।।

 *आयुर्वेद चिकित्सा क्षेत्र में  रुद्राक्षका एक विशिष्ट वर्णन मिलता है । बहुत से रोगों का उपचार रुद्राक्ष से आयुर्वेद में वर्णित है :⤵

       ⏩ *माना जाता है कि दाहिनी भुजा पर रुद्राक्ष बांधने से बल व वीर्य शक्ति बढती है । वात रोगों का प्रकोप भी कम होता है।

       ⏩ *कंठ में धारण करने से गले के समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं, टांसिल नहीं बढते । स्वर का भारीपन भी मिटता है ।

       ⏩ *कमर में बांधने से कमर का दर्द समाप्त हो जाता है ।

       ⏩ *शुद्ध जल में तीन घंटे रुद्राक्ष को रखकर उसका पानी किसी अन्य पात्र में निकालकर पीने से बेचैनी, घबराहट, मिचली व आंखों की जलन रोकने के लिए किया जा सकता है ।

        ⏩  *दो बूंद रुद्राक्ष का जल दोनों कानों में डालने से सिरदर्द में आराम मिलता है ।

       ⏩ *रुद्राक्ष का जल हृदय रोग के लिए भी लाभकारी है ।

       ⏩  *चरणामृत की तरह प्रतिदिन दो घूंट इस जल को पीने से शरीर स्वस्थ रहता है ।

 

 *इस प्रकार से कई रोगों का उपचार रुद्राक्ष से संभव होता है ऐसा हमारे विद्वानों द्वारा कहा गया है ।

इसी वजह से वर्तमान समय में लोग रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं ।

          *क्योंकि इस के धारण करने से कोई प्रतिकूल (साइड इफेक्ट्स) प्रभाव नहीं होता है । इसी कारण वे चाहते हैं कि सही रुद्राक्ष को खरीदें ।

          

 *रुद्राक्ष की पहचान को लेकर अनेक भ्रातियां मौजूद हैं । जिनके कारण आम व्यक्ति असल रुद्राक्ष की पहचान उचित प्रकार से नहीं कर पाता है एवं स्वयं को असाध्य पाता है । असली रुद्राक्ष का ज्ञान न हो पाना , उसके प्रभाव को निष्फल करता है । अत: ज़रूरी है कि रुद्राक्ष असली हो ।

           *रुद्राक्ष के समान ही एक अन्य फल होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है, और यह रुद्राक्ष के जैसा हो दिखाई देता है इसलिए कुछ लोग रुद्राक्ष के स्थान पर इसे भी नकली रुद्राक्ष के रुप में बेचते हैं । भद्राक्ष दिखता तो रुद्राक्ष की भांति ही है किंतु इसमें रुद्राक्ष जैसे गुण नहीं होते ।

 

*असली रुद्राक्ष की पहचान के

                       कुछ तरीके बताए जाते हैं: ⤵

 

➡ 1.रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को कुछ घंटे के लिए पानी में उबालें यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वह असली होगा।

➡ 2.रुद्राक्ष को काटने पर यदि उसके भीतर उतने ही घेर दिखाई दें जितने की बाहर हैं तो यह असली रुद्राक्ष होगा। यह परीक्षण सही माना जाता है, किंतु इसका नकारात्मक पहलू यह है कि इस परीक्षण से रुद्राक्ष नष्ट हो जाता है।

➡ 3.रुद्राक्ष की पहचान के लिए उसे किसी नुकिली वस्तु द्वारा कुरेदें यदि उसमे से रेशा निकले तो समझें की रुद्राक्ष असली है।

➡ 4. दो असली रुद्राक्षों की उपरी सतह यानि के पठार समान नहीं होती किंतु नकली रुद्राक्ष के पठार समान होते हैं।

➡ 5.एक अन्य उपाय है कि रुद्राक्ष को पानी में डालें अगर यह डूब जाए, तो असली होगा,  यदि नहीं डूबता तो नकली लेकिन यह जांच उपयोगी नहीं मानी जाती है ।  

          *क्योंकि रुद्राक्ष के डूबने या तैरने की क्षमता उसके घनत्व एवं कच्चे या पक्के  होने पर निर्भर करती है और रुद्राक्ष धातु या किसी अन्य भारी चीज से भी बनाया जा सकता है जिस के कारण वह भी पानी में डूब सकता है।, सो ये प्रयोग बहुत कारगर नहीं कहा जा सकता है।

➡ 6.एक अन्य उपयोग द्वारा भी परीक्षण किया जा सकता है। रुद्राक्ष के मनके को तांबे के दो सिक्कों के बीच में रखा जाए, तो थोड़ा सा हिल जाता है क्योंकि रुद्राक्ष में चुंबकत्व होता है जिस की वजह से ऐसा होता है।

          *कहा जाता है कि दोनो अंगुठों के नाखूनों के बीच में रुद्राक्ष को रखें यदि वह घुमता है तो असली होगा अन्यथा नकली परंतु यह तरीका भी सही नही है क्योंकि बाहरी तौर से धातु की मिलावट करना असंभव नहीं है।

          

 *मेरा मानना है कि रुद्राक्ष को खरीदने से पहले कुछ मूलभूत बातों का आप  अवश्य ध्यान रखें  जैसे की  रुद्राक्ष में किडा़ न लगा हो, टूटा-फूटा न हो, पूर्ण गोल न हो । सही बात है कि रुद्राक्षों का अपना एक अलग ही महत्व है ।

आप सभी लोगों से निवेदन है कि हमारी पोस्ट अधिक से अधिक शेयर करें जिससे अधिक से अधिक लोगों को पोस्ट पढ़कर फायदा मिले |
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