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जन्मकुंडली में चंद्र नक्षत्र और लग्न नक्षत्र का महत्व

ज्योतिष में जन्म नक्षत्र का विशेष स्थान है, और इसे प्रायः चंद्र नक्षत्र के आधार पर देखा जाता है। यह व्यक्ति के मन, मानसिक स्थिति, प्रवृत्ति, और जीवन की दिशा को दर्शाता है।

लग्न नक्षत्र का भी विशिष्ट महत्व है, क्योंकि यह व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति, व्यवहार, व्यक्तित्व और बाहरी दुनिया के साथ उसके संबंधों को दर्शाता है। फिर भी, ज्योतिषीय अध्ययन में चंद्र नक्षत्र को प्राथमिकता दी जाती है।

चंद्रमा व्यक्ति के मन और भावनाओं का कारक है। हमारे निर्णय, इच्छाएं और कर्म मुख्यतः मन की स्थिति पर आधारित होते हैं।

चंद्र नक्षत्र से मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियों, सोचने के तरीके और मानसिक संतुलन को समझा जाता है।

व्यक्ति का भाग्य, विचार और कर्म काफी हद तक मानसिक स्थिति पर निर्भर करते हैं, इसलिए चंद्र नक्षत्र को प्रमुखता दी जाती है।

चंद्र नक्षत्र के आधार पर ही विम्शोत्तरी दशा प्रणाली तैयार की जाती है, जो जीवन की घटनाओं और समय को समझने का एक प्रभावी माध्यम है। त्रिपुर सुंदरी ज्योतिष

लग्न नक्षत्र से यह पता चलता है कि व्यक्ति का स्वभाव कैसा होगा, वह अपने जीवन को किस दृष्टिकोण से देखेगा, और उसका आचरण समाज में कैसा रहेगा।

लग्न नक्षत्र व्यक्ति की शारीरिक बनावट, स्वास्थ्य और ऊर्जा स्तर को दर्शाता है।

यदि लग्न नक्षत्र किसी शुभ ग्रह के प्रभाव में हो, तो व्यक्ति शारीरिक रूप से मजबूत और आकर्षक हो सकता है। 

लग्न नक्षत्र यह बताता है कि व्यक्ति बाहरी दुनिया के साथ कैसे जुड़ता है और उसका सामाजिक जीवन कैसा रहेगा।

लग्न नक्षत्र व्यक्ति के बचपन और उसके जीवन के आरंभिक चरणों को प्रभावित करता है।

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