
राजयोग एक ऐसा योग जो जीवन मे तरक्की, सफलता, उन्नति, धन लाभ, कार्य छेत्र,व्यापार, नौकरी में अच्छी सफलता, सुख आदि देने वाला होता है।अब सबसे पहले राजयोग कुंडली मे बनना चाहिए तब ही राजयोग का फल मिलेगा ,कुंडली मे एक से ज्यादा राजयोग एक साथ बन सकते है, जितने ज्यादा राजयोग(केंद्र और त्रिकोण स्वामियों के बीच होने) कुंडली उतनी ज्यादा लाभ देगी,जैसे,जब केंद्र 1,4,7,10 और त्रिकोण 5,9 के स्वामी एक साथ सम्बन्ध बनाकर बैठते है तब राजयोग होता है।इसके अलावा अन्य शुभ स्थितिया भी ग्रहो की राजयोग के सामान फल देने में सक्षम होती है।अब बात करते है जब राजयोग कारक ग्रहो की या राजयोग की दशा चलती है चलती है तब किस तरह की स्थिति रहती है और कैसे फल मिलते है।
जब राजयोग या राजयोग संबंधी ग्रहो की ग्रह दशा लगतीहै खासकर महादशा तब जीवन मे रोजगार, कैरियर, जैसे व्यापार, नोकरी और कार्य छेत्र में सफलता अच्छी मिलने लगेगी, रुपये-पैसे मतलब आर्थिक स्थिति अच्छी होने लगती है, साथ ही जीवन में अच्छी चमक और कामयाबी मिलने लगती है साथ ही साथ एक तरह से जातक का भाग्योदय हो जाना ही फल होता है और राजयोगकारक ग्रह की दशा का समय सुख दायक होता है।अब सबसे पहले यह देखना जरूरी होता है राजयोग बन किस भाव मे रहा है और किन भावों के बीच किस भाव मे बनेगा और जिन भावों के स्वामियों के बीच बनेगा उसी फल और भाव की तरफ से राजयोग का सुख मिलेगा।राजयोग कारक ग्रह और इनकी महादशा-दशा पूरी तरह अच्छे और सफलता देने वाले सुखी फल दे सके इसके लिए जरूरी है राजयोग ग्रह अस्त , नीच न हो(नीचभंग हो गया है तब ठीक है) पीड़ित न हो साथ ही अशुभ न हो गए हो, तब इन अशुभ स्थितियों में राजयोगग्रह नही है साथ ही बलवान और शुभ स्थिति में बेठे तब बहुत कामयाबी और राजा जैसे सुखों और सफलता का जीवन व्यतीत होगा राजयोग कारक ग्रहो की महादशा या दशाओ में।जब तब राजयोग कारक ग्रहो की दशा नही आती तब तक राजयोग का पूर्णफल नही मिल पायेगा।।
अब उदाहरण से समझते है।
उदाहरण_अनुसार_मेष_लग्न:-
किसी जातक या जातिका की मेष लग्न की कुंडली बने अब यहाँ चतुर्थेश चन्द्र और सप्तमेश शुक्र(केंद्र स्वामी) और नवमेश गुरु(त्रिकोण) स्वामी 9वे भाव मे एक साथ बेठे तब यह राजयोग बनेगा, और यह राजयोग बहुत शक्तिशाली होगा क्योंकि यहाँ केंद्र त्रिकोण भावों के स्वामी भी यह ग्रह है साथ ही चन्द्र के साथ गुरु शुक्र युति गजकेसरी योग+ शुक्र यहाँ दूसरे भाव का भी स्वामी होकर 9वे भाव मे नवमेश गुरु के साथ महालक्ष्मी योग भी बनाएगा(दूसरे व नवे भाव स्वामी युति नवे भाव मे या केंद्र त्रिकोण में महालक्ष्मी योग बनाकर धनवान बनाती है।तब यह राजयोग काफी शक्तिशाली होगा जो बड़ी सफलता शुक्र चन्द्र या गुरु की दशाओ, महादशा में देगा और राजा जैसे सुख, सफलताए, व्यापार नोकरी आदि में खूब उन्नति आदि सर्वसुख देगा यह राजयोग और इसकी दशा।।
उदाहरण_अनुसार_मीन_लग्न:- मीन लग्न में धनेश-नवमेश(त्रिकोण स्वामी) मंगल और लग्नेश दशमेश(केंद्र स्वामी)गुरु का एक साथ 10वे भाव या किसी भी केंद्र त्रिकोण या शुभ भाव मे संबंध जैसे गुरु मंगल 10वे भाव मे ही बेठे तब दोनो बलवान होंगे और ऐसी स्थिति में गुरु की या मंगल की महादशा उच्च स्तरीय राजयोग जैसे बड़ी-बड़ी आर्थिक और नोकरी/व्यापार/कार्य छेत्र में सफलताए, मंगल धनेश भी हैं तो आर्थिक उन्नति, गुरु लग्नेश की भी जिस कारक जातक पूर्ण सुखी और राजयोग का पूर्ण लाभ,नाम इज्जत सम्मान, अच्छी स्थिति जैसा उच्च जीवन और सुखी जीवन राजा जैसा रहेगा।गुरु और महादशाओ में खासकर।।
अब जो राजयोग ग्रह अस्त है, नीच है या अन्य तरह से पीड़ित है तब शुभ फलों में कमी करेंगे, ज्यादा ही पीड़ित या अस्त आदि है तब राजयोग का लाभ नही मिलेगा, उस समय राजयोग कारक ग्रहो की दशा होने पर भी, दशा हो और ग्रह भी अच्छी स्थिति में तब अच्छी स्थिति रहनी ही है।। राजयोगों की ग्रह दशाएं जब चलती है तब जातक बहुत उन्नति करता है, आर्थिक, रोजगरिक, सामाजिक रूप से वाहन, मकान आदि सुख प्राप्त होते है एक तरह से सम्पन्न जीवन व्यवतीत होता है।।