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मुक़ादमो से छुटकारा कब तक मिल सकता है

किन ग्रहो और कुण्डली के कौन से भाव मुक़ादमो में जातक या जातिका को फसा देते है और कौन से ग्रह मुक़ादमो से निकालेंगे आज इस विषय पर बात करते है।।                                                          

 

कभी-कभी जीवन मे हम किसी न किसी मुक़ादमे मे फस जाते है जैसे, शादी में पति-पत्नी की पास में न बनने पर तलाक का मुकादमा, प्रॉपर्टी विवाद का मुकादमा, लड़ाई झगड़े में किसी के द्वारा मुकादमा कर दिया गया हो या अन्य किसी भी तरह का मुकादमा हो सकता है।अब मुकदमे में न कोई वेबजह पड़ना चाहता है न करना लेकिन परिस्थिति वश ऐसा हो जाये तो क्या मुकदमे में सफलता मिलेगी, मुक़ादमे में कोई हानि खुद की नही होगी या होगी और कब तक मुकदमे से मुक्ति मिल जाएगी। आज इसी विषय पर बात करते है:-                                                                                    

कुंडली का छठा घर मुक़ादमे(Court Case)का है, साथ ही 9वा घर न्याय या न्यायालय+भाग्य का है तो जब कुंडली का छठा घर और छठे घर का स्वामी बलवान और शुभ स्थिति में होता है तब जातक मुकादमें कोई खास नुकसान नही और मुक़ादमे में सफलता की  स्थिति मजबूत होती है अब मुकादमा में सफलता मिले और मुकदमे का फैसला खुद पक्ष में रहे इसके लिए जरूरी है जिस बात से सबंधित मुकादमा किया गया है उस बात से संबंधित फल का विचार जिस भाव से किया जाता है कुंडली का वह भाव और ग्रह भी अच्छे होने चाहिए, जैसे मुकादमा प्रॉपर्टी विवाद का किसी का होगा, तब छठे भाव सहित कुंडली का चौथा भाव ,चौथे भाव का स्वामी और प्रॉपर्टी का ग्रह मंगल भी अच्छी स्थिति में होना चाहिए, वरना यदि जिस मामले में मुक़ादमे किया गया है उस मामले से सबंधित ग्रह और घर की स्थिति ठीक नही होगी तब मुकादमा चलता रहेगा कुछ हासिल खास नही होगा जैसे मुकादमा शादी से संबंधित हो तब ,तब ऐसी स्थिति में जातक का सातवां घर बलवान होना चाहिए , सातवे घर का स्वामी बलवान होना चाहिए साथ ही कुंडली का छठा घर क्योंकि यह मुक़ादमे का है तब ही शादी /तलाक का मुकादमा जातक या जातिका जीत पायेंगे,  दोनों में से जिसकी कुंडली मे भी जीत की स्थिति अच्छी होगी।

अब कुछ उदहारणों से समझते है:-                                                     

 

उदहरणा_अनुसार1 मिथुन लग्न:-

मिथुन में जैसे यहाँ छठे घर का स्वामी मंगल बनेगा, साथ ही यहाँ मुकादमा प्रॉपर्टी जैसे मकान, दुकान,जमीन आदि से संबंधित हो मतलब कुंडली के चौथे भाव, तब मिथुन लग्न में चौथे घर का स्वामी लग्नेश खुद बुध बनता है, अब यहाँ मंगल और बुध की स्थिति अच्छी हो जैसे, मंगल उदाहरण अनुसार 11वे घर मे अपनी मेष राशि मे बैठेगा तब लाभ स्थान में अपनी मेष राशि मे होने से मुक़ादमे में सफलता के लिए अच्छा है ,अस्त और बहुत ज्यादा पीड़ित या अशुभ योग में न हो, अब साथ ही चौथे घर का स्वामी बुध भी बलवान होकर बैठा हो साथ ही चौथे घर पर गुरु की दृष्टि भी पड़ जाए तब ऐसा जातक या जातिका प्रॉपर्टी का मुक़ादमा जीत जायेगे क्योंकि चौथा और छठा भाव दोनों ही अच्छी स्थिति में है।।                                                                              

 

उदहरणा_अनुसार2 तुला लग्न:-,

जैसे यहाँ मुकदमे के घर(छठे घर)का स्वामी बृहस्पति बनेगा अब बृहस्पति की स्थिति बलवान होनी चाहिए और बृहस्पति पीड़ित और अस्त,अशुभ आदि न हो जैसे बृहस्पति, तीसरे घर मे अपनी धनु राशि मे बैठा हो तब मुक़ादमे में सफलता तो दिलाएगा, साथ ही मुक़ादमा हो यहाँ जैसे तलाक का तब यहाँ सातवे घर का स्वामी मंगल बनेगा तब ऐसी स्थिति में मंगल भी बलवान होना चाहिए जैसे, तुला लग्न में मंगल वर्गोत्तम हो, शुभ ग्रह की दृष्टि में बैठे, उच्च आदि हो तब तलाक का मुक़ादमा ऐसे जातक और जातिका के अंततः पक्ष में रहेगा जीत मिलेगी।।                                                                                    

 

अब बात करते है मुकादमा कराते कौन ग्रह है और कब तक सफलता मुक़ादमे में मिलेगी?                                 

 

मुकादमा मुख्य रूप से जो ग्रह कराते  है उसमें मुख्य रूप से है अशुभ राहु, शनि और मंगल जब यह अशुभ होकर किसी भाव को प्रभावित करते है तब उससे संबंधित फल के लिए मुकदमे में जातक को आगे करके, मुक़ादमो में उलझाए रखते है साथ ही कुंडली का छठा और आठवां भाव भी मुकदमे में उलझते है, अब इस बात को भी उदाहरणो से समझते है और कब तक सफलता मिलेगी या कब तक मुकदमे से छुटकारा मिलेगा इस बात को भी , मुकदमे से छुटकारा तब ही जल्दी मिल जाता है जब जिस भी विषय से संबंधित मुक़ादमा किया गया है उस विषय/फल से संबंधित कुंडली का भाव ज्यादा अशुभ स्थिति में न हो साथ ही महादशा और अंतरदशा बलवान हो साथ ही छठा घर भी बलवान होना जरूरी है, उदाहरण से समझते है:-                                                                               

 

उदाहरणा_अनुसार3:-

कन्या लग्न अनुसार, जैसे यहाँ छठे घर(मुक़ादमे) का स्वामी शनि बनता है अब यहाँ शनि पीड़ित हो जैसे शनि राहु के साथ बैठे और राहु की दृष्टि छठे घर पर भी पड़े, जैसे शनि राहु दसवे घर मे एक साथ बैठे, तब मुक़ादमा जितने में दिक्कतें आएगी क्योंकि राहु ने छठे घर के स्वामी शनि और छठे घर दोनों को पीड़ित कर रखा है, राहु शनि के साथ भी बैठा है और शनि के घर को 10वे घर से देखेगा भी अपनी 9वी द्रष्टि से, यहाँ मुक़ादमे जितने में दिक्कतें आनी ही है चाहे मुकदमा जिस भी बात से सम्बंधित हो, यहाँ राहु केतु की शांति करके ही मुकदमे से छुटकारा मिलेगा।।                                                        

 

एक_उदाहरण_से_और_समझjhaते_है,                                           

 

मकर_लग्न_अनुसार,

मकर लग्न की कुंडली मे छठे घर का स्वामी बुध बनेगा अब यहाँ बुध शनि की दृष्टि से पीड़ित हो जाये, साथ ही छठे घर मे राहु चन्द्रमा के साथ चन्द्र ग्रहण योग बनाकर अशुभ होकर बैठे तब ऐसा जातक या जातिका मुकदमे में उलझे ही रहते है ,केवल सिर्फ तारीख मिलती रहती है मुकदमे नही सुलझता है क्योंकि मुकदमे का घर पीड़ित और अशुभ है।।                                                                                   

 

जिन जातक या जातिकाओ का छठा घर बलवान और शुभ होगा उन्हें जल्दी ही मुक़ादमो से झुटकारा मिल जाता है सफलता मिलेगी या असफलता यह सब निर्भर करेगा मुकदमा किया किस संबंध में है और उस बात से संबंधित मुकादमें के ग्रहों की स्थिति कैसी है।                                                         

 

मुकादमे का निपटारा छठे घर के स्वामी की दशाओ में या छठे घर मे बैठे ग्रहों की दशाओ में या जिस विषय से सबंधित मुक़ादमा होता है उस विषय से संबंधित फल की जब महादशा या अंतरदशा चलेगी तब मुक़ादमे से मुक्ति मिलेगी साथ ही यह निर्भर करेगा ग्रह बलवान है या नही, बलवान होगा तब बिना परेशानी और जल्दी झुटकारा दिलाएगा और अशुभ स्थिति में होगा तब पूरी दशा निकलेगा ऐसा ग्रह तब मुक़ादमे से धीरे धीरे मुक्ति देगा हालांकि उपाय से समाधान जल्दी हो जाएगा जो ग्रह बिघ्न बनता है उस ग्रह का उपाय करके रास्ते मुक़ादमे से निकालने के बन जाते है।।                                                                   

 

इस तरह मुक़ादमे की क्या स्थिति रहेगी, कब तक

छुटकारा मिलेगा और कैसे यह सब निर्भर करेगा? छठे भाव और जिस विषय से सबंधी मुक़ादमा हैं उससे संबंधित ग्रह और भाव से।।

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