
पुणे की एक सोसायटी में कल कुछ छोटे बच्चे हैलोवीन के भूतों का मेकअप कर “ट्रिक ऑर ट्रीट” कहते हुए कैंडी माँगने आए।
सोसायटी के व्हाट्सएप ग्रुप पर कुछ माताओं ने उनकी तस्वीरें डालते हुए लिखा –
“आवर हैलोवीन गैंग, सो क्यूट!”
आज सुबह उसी ग्रुप में एक पुणेरी काका ने उन फोटोज़ के नीचे यह मैसेज फॉरवर्ड किया —
जिसके आखिरी दो पैराग्राफ तो बिल्कुल मज़ेदार हैं 👇
“पिछले कुछ वर्षों में ‘हैलोवीन’ नाम का विदेशी पागलपन हिंदुओं के घरों में घुस आया है…
घरों में हड्डियाँ, उल्लू, फ्रेंकस्टीन, भूत-प्रेत, मकड़ी के जाले सजाए जाते हैं और कहा जाता है —
हैप्पी हैलोवीन!! 🤦🏻♂🥺
हिंदू दीपावली में हम कहते हैं —
घर का अमंगल, दरिद्रता दूर हो; लक्ष्मी माता शुभ कदमों से घर में आएं!
और कुछ दिन बाद ही उसी घर में भूत-प्रेतों को बुलाने की प्रथा शुरू कर देते हैं??
पाडवा के दिन हम सुंदर नए कपड़े पहनकर लक्ष्मी पूजन करते हैं,
मंदिर जाकर यह प्रार्थना करते हैं —
“अज्ञानता दूर हो, बुद्धि और विवेक मिले; चिंता, क्लेश और दरिद्रता देश से दूर हों।” 🙏😊
और फिर कुछ ही दिनों में बच्चे भूतों का रूप धरकर घूमते हैं…
यह कैसी विचित्र परंपरा है?? 🙄🥺
मुंडन संस्कार के बाद बच्चे दो घरों में भिक्षा माँगने में शर्माते हैं,
पर भूतों का मेकअप कर घर-घर जाकर चॉकलेट माँगते हैं —
यह कैसी विकृति मना रहे हैं हम??
जो माता-पिता इस सबका उत्सव मनाते हैं, वे अपनी मूर्खता पर गर्व करते हैं!
बच्चों को डाँटिए, उन्हें रोकिए,
और याद दिलाइए कि हम कुछ ही दिन पहले दीपावली जैसा मंगलमय उत्सव मना चुके हैं।
जिन्हें श्राद्धपक्ष में अपने पूर्वजों की याद में दान देना शर्म की बात लगती है,
वे हैलोवीन मनाने में आगे हैं!
अगली बार अगर ऐसे विदेशी भूतों का खेल फिर हुआ,
तो आपके दरवाज़े पर श्राद्ध का खाना, नींबू-मिर्च, काली गुड़िया,
और गुलाल वाला चावल रख आएँगे!
हमारे हिंदू समाज में भूतों की कमी नहीं है कि अब विदेशी भूत बुलाने की ज़रूरत पड़े!