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दुर्योंग काल

इस वर्ष आषाढ़ मास का कृष्ण पक्ष केवल 13 दिन का, ऐसा संयोग द्वापर युग के महाभारत काल में था।

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आषाढ़ मास 23 जून से शुरू है और 21 जुलाई तक चलेगा

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल संवत् 2081 में बहुत समय बाद आषाढ़ कृष्ण पक्ष केवल 13 दिन का पर रहा है।

 

 ज्योतिष शास्त्र में इसे दुर्योंग काल माना जा रहा है।

 ऐसा संयोग महाभारत काल में पड़ा था। इस साल दुर्योग काल के चलते प्रकृति का प्रकोप बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

 विक्रम संवत् का प्रत्येक महीना दो पखवाड़ा यानी-15-15 दिनों का होता है। इसे कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष कहा जाता है। जब किसी पक्ष में एक तिथि दो दिन पड़ती है तो यह पक्ष 16 दिनों का हो जाता है और तिथि के घटने पर 14 दिनों का होता है।

इस साल विक्रम संवत 2081 में आषाढ महीने का कृष्ण पक्ष 23 जून से शुरू होकर 5 जुलाई तक चलेगा अर्थात कृष्ण पक्ष 13 दिनों का रहेगा।अब शुक्ल पक्ष 6 जुलाई से शुरू हो रहा है जो 21जुलाई तक चलेगा। इस कृष्ण पक्ष में दो तिथियों द्वतिया और चतुर्थी का क्षय हो रहा है, इसलिए यह कृष्ण पक्ष केवल 13 दिनों का होगा। ऐसा संयोग बहुत सालों में आता है।इसे “विश्व घस्र” पक्ष कहते हैं। यह बहुत बड़ा दुर्योग है,बहुत वर्ष बाद ऐसा दुर्योग आता है।

 

महाभारत युद्ध के पहले 13 दिन के पक्ष का दुर्योग काल आया था। उस समय बड़ी जनधन हानि हुई थी। घनघोर युद्ध था।

 

 

पक्षस्य मध्ये द्वितिथि पतेतां यदा भवेद्रौरव काल योगः।

पक्षे विनष्टं सकलं विनष्ट मित्याहुराचार्यवराः समस्ताः

एकपक्षे_यदा_यान्ति_तिथियश्च_त्रयोदश।

त्रयस्तत्र क्षयं यान्ति वाजिनो मनुजा गज:।।

त्रयोदश दिने पक्षे तदा संहरेत जगत् ।

अपि वर्षे सहस्रेण कालयोग प्रकीर्तित:।।

द्वितियामारभ्य चतुर्दश्यन्तं तिथिद्वये ह्रासे।

त्रयोदश दिनात्मक: पक्षोऽति दोषोवतो भवति।।

 

 

 

अर्थात आषाढ़ कृष्ण पक्ष 13 दोनों का है यह 13 दिन का पक्ष होने से पृथ्वी पर जनहानि युद्ध की संभावना होती है जिस वर्ष 13 दिन का पक्ष होता है उसे वर्ष संपूर्ण विश्व के लिए हानिकारक होता है विशेष कर द्वितीया तिथि से लेकर चतुर्दशी तिथि पर्यंत अगर दो तिथि का क्षय हो तो विशेष रूप से संपूर्ण विश्व के लिए हानिकारक होता है यह पक्ष मंगल कार्य हेतु भी उत्तम नहीं है

यह “रौरव काल” संज्ञक दुर्योग होता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे अच्छा नहीं माना गया है। ऐसा दुर्योग होने से अतिवृष्टि, अनावृष्टि, राजसत्ता का परिवर्तन, विप्लव, वर्ग भेद आदि उपद्रव होने की संभावना पूरे साल बनी रहती है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि

 

*त्रयोदशदिने पक्षे तदा संहरते जगत्।

 

अपिवर्षसहस्रेण कालयोगःप्रकीर्तितः।**

 

अर्थात समस्त प्रकृति को पीड़ित करने वाला यह दुर्योग संक्रामक रोगों की भी वृद्धि कर सकता है। इस पक्ष में मांगलिक कार्य, व्रतारम्भ,उद्यापन,भूमि भवन का क्रय विक्रय,गृह प्रवेश आदि शुभ कार्यों का त्याग कर देना चाहिए।

 

काल चक्र की गणना भारी।

जाने मुरारी त्रिपुरारी।।

 

25 साल बाद बन रहा है दुर्योग काल, देश-दुनिया में हो सकती हैं अमंगलकारी घटनाएं

हिंदू पंचांग और कैलेंडर के अनुसार एक पक्ष 15 दिन का होता है। 2 पक्ष का 1 माह होता है। इस बार 25 वर्षों के बाद आषाढ़ माह में ऐसा नहीं होने वाला है। दूसरी और तीसरी तिथियों के क्षय के चलते आषाढ़ माह का एक पक्ष 15 की बजाय 13 दिनों का रहने वाला है। ज्योतिष के अनुसार 13 दिन के पखवाड़े को दुर्योग काल कहा गया  है। इस काल में देश दुनिया में अमंगलकारी घटनाएं हो सकती हैं।

 

अनेक युग सहस्त्रयां दैवयोत्प्रजायते। त्रयोदश दिने पक्ष स्तदा संहरते जगत।- वेद

 

  • अर्थ- देव योग से कई एक युगों में तेरह दिन का पक्ष आता है। इस संयोग में प्रजा को नुकसान, रोग, मंहगाई व प्राकृतिक प्रकोप, झगड़ों का सामना करना पड़ सकता है।

 

  • इस बार हिंदू नववर्ष का राजा मंगल, मंत्री शनि और बृहस्पति कृषि मंत्री है। इस नववर्ष में मंगल और शनि का अशुभ षडाष्टक और राहु का ग्रहण योग पूरे वर्ष उथल पुथल मचाएगा। इसके बीच सूर्य और चंद्र की गति के कारण 13 दिन के पखवाड़े का संयोग बन रहा है।

 

पूर्व के दुर्योग का परिणाम:-

ऐसे कहते हैं कि जब भी 13 दिन का पखवाड़ा आता है तब भूकंप समेत कई अप्रिय घटनाएं होती हैं।

 

ऐसा ही एक संयोग में 1937 में जब बना था तब भूकंप आया था।

 

इसके बाद 1962 में भी यह दुर्योग बना था तब भारत-चीन का युद्ध हुआ था।

 

1999 में कारगिल युद्ध हुआ था तभी यह दुर्योग था।

 

1999 के बाद अब 2024 में यह दुर्योग बना है तो अप्रिय घटना का संकेत देता है।

 

वर्ष का परिणाम:- इस वर्ष का राजा मंगल, गृहमंत्री शनि और कृषि मंत्री शनि है। मंगल और शनि का अशुभ षडाष्टक और राहु का ग्रहण योग पूरे वर्ष उथल पुथल मचाएगा। इससे शासन प्रशासन में कड़ा अनुशासन देखने को मिलेगा। वर्षा पर्याप्त मात्रा में होगी। भारत की अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी होगी, परंतु कई दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था में ऊथल-पुथल होगी। महंगाई काबू में रहेगी। नवसंवत्सर का प्रवेश धनु लग्न में होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि, सिद्धि योग, वैधती योग के साथ ही रेवती नक्षत्र रहेगा। धनु लग्न होने से उत्तर पूर्व दिशा में सुख समृद्धि रहेगी, मध्यक्षेत्र में वर्षा की अधिकता रहेगी। पश्चिम में खाद्य वस्तुएं सस्ती होगी। वरुण नाम का मेघ बारिश कराएगा |

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