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पंचांगों की अवहेलना — विद्वता नहीं, विचलित है - दीपावली शुभ मुहूर्त

विषय : दीपावली निर्णय 21 अक्टूबर 2025 के पक्ष में

वर्तमान समय में जब दीपावली जैसी महान सांस्कृतिक परंपरा का प्रश्न उठता है, तो अनेक नवोदित विद्वान अपनी-अपनी मतानुसार तिथि निर्धारण कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है मानो जो जितना अधिक परंपरा से हटकर निर्णय देगा, वही अधिक “आधुनिक” और “गंभीर” विद्वान कहलाएगा।

 

परंतु यह प्रवृत्ति चिंताजनक है।

क्योंकि धर्म निर्णय व्यक्तिगत नहीं, सिद्धांत आधारित होता है।

हमारे आचार्यों, सिद्धांतों और प्राचीन निर्णय ग्रंथों ने सहस्राब्दियों पूर्व ही समय गणना के गूढ़ नियम निर्धारित किए हैं। आचार्य ईश्वर भारद्वाज ने आगे बताया इन्हीं नियमों के आधार पर निर्णय सागर, दिवाकर पंचांग, वार्षिक पंचांग, धर्मसिन्धु, निर्णयामृत, और अन्य प्रमाणिक ग्रंथ 21 October 2025 के पक्ष में पूर्व ही स्पष्ट निर्णय दे चुके हैं।

 

अब यदि कोई नवोदित विचारधारा यह कहती है कि इन प्रमाणित पंचांगों का निर्णय अमान्य है — तो प्रश्न यह उठता है कि जब इन्हें आप अस्वीकार कर ही चुके हैं, तो आगे से इन पंचांगों को किसी भी निर्णय, मुहूर्त या गणना के लिए क्यों देखना चाहते हैं?

फिर तो आप अपने-अपने स्वतंत्र सिद्धांत बना लीजिए।

परंतु एक बात स्मरण रखें —

जब आधार ही नकार दिया गया, तो निर्णय की प्रमाणिकता शून्य हो जाती है।

21 अक्टूबर 2025 के पक्ष में अपना निर्णय रखने वालें पंचांगों के नाम भी नीचे पोस्ट के अन्त में दिए हैं।

विद्वता का अर्थ यह नहीं कि प्राचीन परंपरा को झुठलाया जाए।

सच्चा विद्वान वह नहीं जो भिन्नता लाए, बल्कि वह है जो सिद्धांत और प्रमाण दोनों को यथावत रखकर सम्यक निर्णय करे।

अतः आवश्यकता है कि हम विद्वता के नाम पर मतभेद न फैलाएं,

बल्कि सत्य, प्रमाण और परंपरा — इन तीनों के संगम से धर्म का संरक्षण करें।

 

दीपावली केवल एक तिथि नहीं — यह सनातन परंपरा की धड़कन है।

इसका निर्णय भावनाओं या व्यक्तिगत मत से नहीं, बल्कि प्रमाणिक पंचांगों और आचार्यों के निर्णय से होता है।

जो निर्णय सागर, दिवाकर आदि अन्य मान्य पंचांगों ने कह दिया — वही सनातन का स्वर है, और उसी का सम्मान धर्म की रक्षा है।

 

🔶 दीपावली तिथि विवाद: परंपरा पर प्रश्न या प्रमाण पर अविश्वास? 🔶

 

हर वर्ष पंचांग छपते हैं — जिनमें तिथि, वार, नक्षत्र, योग, पर्व और मुहूर्तों का विस्तारपूर्वक विवरण दिया जाता है।

यह पंचांग केवल तिथि-सूची नहीं, बल्कि सनातन कालगणना का जीवित प्रमाण हैं।

और जब कोई शताब्दी पंचांग सैकड़ों वर्षों का निर्णय पहले ही स्पष्ट कर चुका होता है —

जिसमें धनतेरस 19 अक्टूबर, छोटी दीपावली 20 अक्टूबर और दीपावली 21 अक्टूबर बताई गई है —

तो उस निर्णय पर शंका करना केवल पंचांग पर नहीं, बल्कि परंपरा की आत्मा पर प्रश्न उठाना है।

 

आज की स्थिति देखकर मन में हंसी भी आती है और दुख भी —

क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि अब पंचांगों को नहीं,

बल्कि “नवोदित विद्वानों” की राय को संशोधन का आधार मानना पड़ेगा!

अब यह चर्चा हो रही है कि पंचांगों में ही परिवर्तन किया जाए,

क्योंकि कुछ लोगों को दीपावली की तिथि बदलकर अलग दिखना अधिक विद्वतापूर्ण लग रहा है।

 

मैंने अनेक पंचांग कर्ताओं से इस विषय में संवाद किया —

सभी का मत यही था कि निर्णय तो परंपरा का है, प्रतियोगिता का नहीं।

यदि संशोधन करना ही है, तो उसे पंचांग निर्माण के समय,

विस्तृत गणना और निर्णय सभा के साथ करना चाहिए —

ना कि पर्व से पाँच-दस दिन पूर्व केवल चर्चा के माध्यम से।

 

जो पंचांग हमारे बाबा, पिताजी, आचार्यगण और परंपरा मानते चले आए हैं,

उन पर अविश्वास करके यदि हम स्वयं को अधिक विद्वान समझने लगें,

तो यह “विद्वता” नहीं — अभिमान है।

धर्म का निर्णय तर्क से नहीं, श्रद्धा और प्रमाण से होता है।

 

इसलिए निवेदन है —

कृपया भ्रम न फैलाएँ।

निर्णय सागर, दिवाकर और अन्य प्रमाणित पंचांगों के अनुसार

21 अक्टूबर 2025 ही दीपावली की तिथि मान्य है।

और हम उसी परंपरा को स्वीकार करते हैं,

जो प्रमाण और श्रद्धा — दोनों में अडिग है।

 

 

✍ “पंचांगों पर विश्वास रखिए, भ्रम पर नहीं।

 

परंपरा का आदर कीजिए, प्रतिस्पर्धा का नहीं।”

 

 

 

दि. 21-10-25 की दीपावली

 

  1. चामुंडा पंचांग, गुजरात
  2. श्री भादवामाता पंचांग, नीमच
  3. श्रीधर शिवलाल पंचांग, अजमेर
  4. दाते पंचांग, सोलापुर
  5. निर्णय सागर पंचांग, नीमच
  6. गृहस्थ दर्पण पंचांग, कलकत्ता
  7. सनातन ज्योतिष पंचांग, सुमेरपुर
  8. अर्बुद श्री पंचांग, जावाल
  9. श्री गणेशमार्तन्ड पंचांग, उत्तराखंड
  10. श्री कालचक्र पंचांग, राजोद
  11. श्री मेवाड़ विजय पंचांग, उदयपुर
  12. श्री जयमार्तंड पंचांग, जयपुर
  13. सवाई जयपुर पंचांग, जयपुर
  14. ज्योतिष सम्राट् पंचांग, जयपुर
  15. राज-पचार पंचांग, पचार शेखावाटी
  16. अखिल भारतवर्षीय पंचांग, जयपुर
  17. ज्योतिष सम्राट् कालदर्शक
  18. किशोर जंत्री, जयपुर
  19. किशोर कालचक्र, जयपुर
  20. गुरु-धाम पंचांग, सालासर
  21. गुरु धाम कालदर्शक, सालासर
  22. छ: न्याति कालदर्शक, बीकानेर
  23. श्रोत्रिय पंचांग, जयपुर
  24. श्री सिद्धेश्वर पंचांग उज्जैन
  25. मगभास्कर पंचांग ग्वालियर
  26. दैवज्ञ प्रबोध पंचांग
  27. श्री साकेत पंचांग बूंदी
  28. श्री साकेत जंत्री बूंदी
  29. श्री नैना देवी पंचांग अमलोह पंजाब
  30. श्री बद्रिकाशी पंचांग अशोक नगर
  31. श्री ताराप्रसाद दिव्य पंचांग उत्तराखंड
  32. श्रीधरी कालदर्शक पंचांग अजमेर
  33. निर्णयसागर कालदर्शक पंचांग नीमच
  34. Bbs सिद्धांति पंचांग हैदराबाद
  35. Indrakanti Vari Panchang Kadappa
  36. सिया भवानी पंचांग सागर MP
  37. कैलाश पंचांग हरियाणा
  38. कालनिर्णय पंचांग मुंबई
  39. स्वामी समर्थ पंचांग मुंबई
  40. महालक्ष्मी पंचांग कोल्हापुर
  41. स्वामी समर्थ गादी पंचांग मुंबई
  42. मुंबई समाचार गुजराती पंचांग
  43. राजंदेकर पंचांग नागपूर
  44. निर्णयसागर पंचांग मुंबई.
  45. सोमण पंचांग ठाणे
  46. शताब्दी पंचांग मुंबई
  47. मार्वल कालदर्शक, जयपुर
  48. रस्तोगी कालदर्शक, अजमेर
  49. राम कालदर्शक, हरियाणा
  50. श्री राघवेन्द्र पञ्चाङ्गम्, जम्मू
  51. पंचांग दिवाकर, जालन्धर, पंजाब
  52. श्रीमार्तण्ड पञ्चाङ्ग, पंजाब
  53. पप्पी पंचांग, दिल्ली

 

सभी सनातनीय पाठकों और सनातनियों को सादर नमस्कारम अभी-अभी दीपावली पर्व को लेकर उत्तराखंड के चारों धामों के धर्माधिकारियों ने सभी प्रकार के संशयों को दूर करते हुए 21 अक्टूबर 2025 को सर्व सम्मति से आधिकारिक घोषणा करते हुए कहा –

उत्तराखंड के चारों धामों ने कहा है 🕉 देवभूमि से बड़ी घोषणा 🕯

 

चारों धाम — बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के धर्माचार्यों एवं विद्वानों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि —

 

 दीपावली का मुख्य पर्व 21 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को ही मनाया जाएगा।

 

 प्रदोषकाल में अमावस्या तिथि और लक्ष्मी–गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त इसी दिन प्राप्त हो रहा है।

 यह निर्णय पूर्णतः शास्त्रसम्मत और धर्मसम्मत है।–

यतो धर्मस्ततो जयः

अतः सभी संशय समाप्त हो चुके हैं प्रफुल्लित होकर संपूर्ण राष्ट्र के साथ 21 अक्टूबर 2025 को दीपावली पर्व सभी मनाएं।

धर्म की विजय हुई

कार्तिक में दीपदान

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