नेटफ्लिक्स पर ‘द क्राउन’ के नाम से एक ड्रामा सिरीज है। वैसे तो ये इंग्लिश मे है, मगर अगर इसे पूरी तरह से समझना चाहते है, तो मै सलाह दूंगा कि आप इसे भाषा बदल कर हिंदी मे देखिये। सबटाइटल इंग्लिश मे ही रहने दीजिए।
वैसे तो हर किसी की रूचि अलग होती है, ये कंटेट मेरी रूचि के विषयो से मिलता जुलता है, तो मुझे ये कंटेंट बेहद ही उम्दा लगा। विशेषकर इसका फिल्माँकन और संवाद।
ये ड्रामा सिरीज ब्रिटेन की महारानी “क्वीन ऐलिजाबेथ” के जीवन पर आधारित है। सन् 1940 से लेकर, मॉडर्न जमाने तक की अवधि को समाविष्ट किया गया है। ब्रिटेन की राजशाही, शाही परिवार का जीवन, और प्रत्यक्ष शासन मे महारानी का किरदार ही इस ड्रामे मे विषय वस्तु है।
मैने एक बार देखना शुरू किया तो बस इसी मे खो गया था। मै फिर से सुझाव देना चाहूंगा कि आप इसे हिंदी मे ही देखे, नेटफ्लिक्स मे आपके पास कंटेंट को अनेक भाषाओ मे देखने की सुविधा मिलती है।
बेहद ही दिलचस्प कंटेंट, मै स्वयं उस वक्त हैरान हुआ, जब कंटेंट देखकर मुझे पता चला कि ब्रिटेन की महारानी ऐलिजाबेथ, अपने प्रधानमंत्रियो, और मंत्रियो, और अधिकारियो से बात करने मे खुद का नाकाबिल पाती है, क्योंकि वो लोग बेहद काबिल है। ब्रिटेन के मशहूर ईटन स्कूल और हैरो स्कूल जैसे संस्थानो से निकले, ज्ञानी, जहीन, विद्वान लोग, जिनकी दुनिया के हर एक विषय पर गहरी पकड़, और जानकारियों का भंडार है। विस्टंन चर्चिल, ऐंथोनी ईडन, हैरोल्ड मैकमिलन जैसे लोग।
दूसरी तरफ महारानी दसवीं पास भी नही है। उसने कभी कोई विधिवत स्कूली शिक्षा ही नही ली थी, ड्रिगी तो दूर की बात है, उसने तो जीवन मे कभी कोई परीक्षा ही पास नही की है। शिक्षा के नाम पर मात्र ईटन स्कूल के प्रोवोस्ट ने, राजनीति, और कांस्टीट्यूशन, विभिन्न चार्टरो के बारे मे दस बीस प्वाईंट रटाये थे।
महारानी बस केवल साक्षर है, थोड़ा लिखना पढना जानती है। जबकि उनकी सरकार, अफसर, मंत्री और प्रधानमंत्री काबिलियत के चलते फिरते पुलिंदे। ईटन स्कूल, हैरो स्कूल, कैम्ब्रिज, और ऑक्सफोर्ड से निकले तूफान।
बचपन मे ईटन स्कूल का प्रोवोस्ट, महारानी को दो चार लाईने रटाता है और विशेष रूप से इस बात को रेखांकित करवाता है, कि सत्ता को चलाने के लिए, सत्ता संतुलन के लिए दो ही लोग बेहद अहम है…
१. काबिल २. इज्जतदार…
वो महारानी को बताता है, कि ये पूरा तंत्र काबिल लोग संभालते है। और ये काबिल लोग सचमुच मे ही इस काम मे दक्ष है।
वो एक बच्ची को, जो भविष्य की महारानी है, बडे ही शानदार अंदाज से समझाता है, कि राजकुमारी जी, आपको काबिल नही बनना है, क्योकि आप वंशानुक्रम से ही इज्जतदार है, नोबेल है, शाही है। ये पूरी काबिलियत केवल इज्जतदारो के नियंत्रण मे काम करेगी। इज्जतदार को काबिल होने की जरूरत नही। काबिल लोग तो उन्हे सलाम ठोकने, और तंत्र को चलाने के लिए बने है।
भारत मे ….
राजशाही नही है। मगर सिस्टम वही है। काबिल लोग, जहीन, और विद्वान, दरअसल ईज्जतदार यानि नेता के लिए ही काम करते है। और ईज्जतदार के लिए पढा लिखा होना कोई अनिवार्य शर्त बिल्कुल नही है।
रूलिंग ईलीट वर्ग ईज्जतदार होता है । और सिस्टम, यानि तंत्र काबिल…
और दुनिया मे काबिल को ईज्जतदार यानि ईलीट वर्ग ही संचालित करता है।
राजशाही हो या फिर लोकतंत्र, चाहे कारपोरेट सेक्टर को ही ले लीजिए।
काबिलियत, झक मारकर, बाॅस के नीचे काम करती है, और करती रहेगी। अंबानी के कितने ही कर्मचारी, पढाई लिखाई मे उससे ज्यादा काबिल होंगें, मगर वो अंबानी नही हो सकते।
पूरा इतिहास उठा लीजिए। काबिलियत, ईज्जतदारो के सजदे मे झुककर चलती आई है, और चलती रहेगी। चाहे वो अनपढ, निरक्षर अकबर हो, या फिर कोई इंग्लिशतान की महारानी, या आधुनिक युग का कोई नेता। सिस्टम एक ही ढर्रे पर चलता है।
ना जाने कितने IAS और IPS अफसरो ने लालू प्रसाद यादव के लिए खैनी बनाई है। ना जाने कितने वरिष्ठ और काबिल IAS लोगो ने मुलायम सिंह यादव की जूतिया उठाई है।
अनगिनत सैन्य जनरलो ने रक्षा मंत्री जगजीवन राम से ज्यादा काबिल होकर भी उन्हे सैल्यूट ठोके है। अपने दांये बांये देख लीजिए, ना जाने कितने इंजीनियरिंग टाॅपर, MBA करके मैनेजमेंट स्कूलो से निकलने वाले काबिल लगभग अनपढ, कंपनियो के मालिक धन्ना सेठो यानि इज्जतदारो के यहाँ नौकरी के लिए लाईन लगाये खडे होते है।
साभार
जुगनु