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वकालत में कैरियर (सफल वकील)

वकालत करके एक अच्छा और सफल वकील बन जाना यह अब कुण्डली में वकालत में सफलता के योग होनर पर ही निर्भर करता है, वकील बनने के बाद भी अच्छा काम इस क्षेत्र में मिलते रहना, सरकारी वकील रहेगे या केवल गैरसरकारी यह सब निर्भर करेगा कुण्डली में ग्रहों की स्थिति पर।इसी विषय पर अब बात समझते है।।                                                                                                                सबसे पहले तो वकालत में सफलता मिलने के लिए कुण्डली का लग्न, दूसरा भाव, पांचवा भाव, छठा भाव और नवा साथ ही दसवा भाव अच्छी स्थिति में होना और कही न कही इन भावों के बीच आपसी संबंध होना जरूरी है ऐसा क्यों? क्योंकि लग्न जातक खुद है, दूसरा भाव वाणी और बोलने की कला का है एक वकील के लिए अच्छा वक्ता होना, कब क्या किस मुद्दे पर क्या बोलना है

 यह दूसरे भाव और बुध  की अच्छी स्थिति पर ही निर्भर करता है।पांचवा भाव/पंचमेश यह बुद्धि और सोच समझ का है वकील के लिए बुद्धि-विवेक का होना और चतुर होना यह दोनो ही जरूरी है इस कारण यह भाव आवश्यक है।छठा भाव इस कारक क्योंकि यह मुकदमे(case)का है जो कि एक वकील और वकालत में सफलताके लिए बहुत जरूरी है क्योंकि जब मुकादमे ज्यादा मिलेंगे और यह भाव के बलवान और शुभ होने से मुकादमो में सफ़लता अच्छी मिलेगी तब ही सफल वकील बनने में मदद मिलेगी , नवा भाव न्यायालय से संबंधित है तो दसवा भाव कैरियर और कार्य क्षेत्र का है इस कारक यह सब भाव एक बड़े स्तर के सफल बनाने के लिए जरूरी है।।                                                                                            

अब ग्रहो में वकील के लिए बुध गुरु शनि और मंगल राहु का अनुकुल होना जरूरी है बुध बुद्धि है राहु चतुराई, चतुराई एक वकील के लिए जरूरी है, शनि गुरु न्यायालय से सबंधित है, मंगल साहस(हिम्मत) देता है इस कारण मुख्य रूप से यह ग्रह तो अनुकयल होने चाहिए, चन्द्र भी बलवान होगा तब और ज्यादा अच्छा है।।                                                        

 

अब जब दशमेश या दशम भाव मे दूसरे भाव से संबंध होने साथ ही बुध बलवान होगा तब ऐसा जातक अच्छा वक्ता होता है साथ ही पंचम भाव पंचमेश से भी संबंध बन जाने से बुद्धि का प्रयोग भी अच्छे से ऐसा जातक करेगा मुक़ादमे जितने में, साथ हु छठा भाव भी बलि है तब अब जातक मुक़ादमे लड़ने पर मुक़ादमो में सफल होता जाता है और जातक एक सफल वकील बन जाता है।यदि दशमेश और दशम भाव ज्यादा बलवान है तब ऐसा जातक बड़े स्तर का वकील बनता है दसवे भाव या भाव के कमजोर होने पर ज्यादा सफलता मे कमी रहती है इसी तरह छठा भाव कमजोर या दूषित हुआ तब मुक़ादमे आसानी से ऐसे वकील के द्वारा नही सुलझ पाते है, इस कारण यह भाव अनुकूल होना जरूरी है गुरु बुध शनि राहु का मुख्य रूप से बलवान होने के साथ, सूर्य बहुत ज्यादा बलवान हो या दसवे भाव या भावेश से संबंध सूर्य का होगा तब यह स्थिति जातक को सरकारी वकील बना देती है।।                                            

 

अब_एक_उदाहरण_से_समझे                                                               किसी जातक या जातिका की वृष लग्न की कुंडली हो तब यहाँ, लग्नेश शुक्र बलवान हो साथ ही दूसरे पाचवे भाव का स्वामी बुध होता है, छठे भाव का स्वामी शुक्र तो नवे दसवे भाव का स्वामी शनि होगा अब यहाँ इन तीनो ग्रहो दूसरे-पाचवे भाव स्वामी बुध, लग्नेश+छठे भाव स्वामी शुक्र और नवमेश दशमेश शनि का संबंध एक सफल वकील यहाँ जातक को बना देगा, यह संबंध  दूसरे भाव, पाचवे, छठे, नवे या ग्यारहवे भाव मे होना सबसे ज्यादा उत्तम रहता है क्योंकि वकील के लिए दूसरे, पाचवे, छठे, नवे भाव और ग्यारहवे भाव की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होतीं है यह भाव वकालत से संबंधित है।। इस तरह से वकालत में सफलता के लिए इस तरह के संबंध होना या इनमे से कुछ थोड़े भी आपस मे संबंध भावेशों के बीच होने से वकालत के क्षेत्र में अच्छी सफलता मिलती है।।

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