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कुण्डली में कैंसर

जानते हैं कि कैंसर के रोग में किन ग्रहों की प्रमुख भूमिका होती है !

 

किसी जातक की जन्म कुण्डली से ज्योतिष में कैंसर जैसे भयानक रोग की उत्पत्ति के लिए कौन-कौन से ग्रह का प्रभाव है यह ज्ञात किया जा सकता है !

 

कैंसर का नाम सुनते ही रोगी अपने जीवन की अवधि के शीघ्र अंत होने की सम्भावना मान लेता है ! मानव शरीर में कैंसर रोग के लिए कोशिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ! कोशिकाओं में श्वेत रक्तकण एवं लाल रक्तकण होते हैं ! ज्योतिष में श्वेत रक्तकण के लिए कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा तथा लाल रक्तकण के लिए मंगल ग्रह सूचक होता है !

कर्क राशि का चिह्न केकड़ा होता है ! केकड़े की प्रकृति होती है कि वह जिस स्थान को अपने पंजों से जकड़ लेता है उसे अपने साथ लेकर ही छोड़ता है ! इसलिए कैंसर जैसे भयानक रोग के लिए कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा का अधिक प्रभाव माना गया है !

 

इसी प्रकार रक्त में लाल रक्त कण की कमी होने पर प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है ! ज्योतिष में मंगल ग्रह जातक के शरीर के लिए रक्त का कारक, बलशाली, साहसी तथा गर्म प्रकृति का सूचक ग्रह माना गया है !

 

कुछ स्थितियो में पापी ग्रहों की युति होने से होता है कैंसर :

 

किसी व्यक्ति की जन्म कुण्डली में निम्न स्थितियों में ग्रहों की युति होने पर कैंसर जैसे भयानक रोग की उत्पत्ति होती है —

 

* शनि, मंगल, राहु, केतु की युति षष्ठम, अष्ठम, या बारहवें भाव में होने पर कैंसर कारक होता है !

 

* यदि किसी पापी ग्रह की दृष्टि चंद्रमा पर पड़ रही हो और षष्ठम, अष्ठम अथवा बारहवें भाव में पाप ग्रह स्थित हों तब यह स्थिति कैंसर कारक होतीे हैं !

 

* यदि लग्न पर पाप ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो अथवा लग्न का स्वामी षष्ठम, अष्ठम अथवा बारहवें भाव में स्थित हो गया हो ! अथवा षष्ठम, अष्ठम अथवा बारहवें भाव का स्वामी  लग्न में स्थित हो जाय तब कैंसर कारक होता है !

 

* यदि किसी भाव पर पाप ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो जिससे चंद्रमा दूषित हो रहा हो तब उस भाव से सम्बंधित अंग पर कैंसर होता है !

* चंद्रमा तथा मंगल ग्रहों पर अन्य पापी ग्रह की युति या दृष्टि सम्बंध होने पर रक्त कैंसर  होने की ज्यादा आशंका बन जाती है !

 

कैंसर और कर्क राशि का सम्बंध :

 

* चंद्र ग्रह का त्रिक भाव में स्थित होने पर यदि उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि पड़े या पाप ग्रहों की युति हो तब कैंसर का रोग देता है !

 

* षष्ठम, अष्ठम अथवा बारहवें भाव की राशि के स्वामी का परस्पर स्थान परिवर्तन होने पर तथा उसका सम्बंध लग्न भाव के स्वामी से होने पर कैंसर का रोग होता है !

 

* मारक भाव के स्वामी का पाप ग्रहों की महादशांतर होने या दृष्टि सम्बंध होने पर  कैंसर रोग के कारण देहांत होने के योग बनता है !

 

* लग्न निर्बल होकर पाप ग्रहों के साथ षष्ठम, अष्ठम या बारहवें भाव में स्थित होने पर कैंसर का योग बनता है !

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