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जीवन एवं नौकरी में संतुलन

कॉन्फ़्रेंस रूम में, एचआर विभाग की सबसे अनुभवी वह और कंपनी में अपने तकनीकी ज्ञान के कारण दबदबा रखने वाला वह “एग्ज़िट इंटरव्यू” यानी इस्तीफ़ा देकर कंपनी से बाहर जाने से पहले होने वाली बातचीत के लिए आमने-सामने बैठे थे।

सीधे मुद्दे पर आते हुए उसने कहा,
कंपनी में बेहतरीन परफ़ॉर्मेंस करने वालों में तुम एक हो; लेकिन आख़िरकार निर्णय तुम्हारा है। पर अगर ‘समझौते’ की कोई गुंजाइश है तो तुम हमें दूसरी कंपनी से मिली ‘ऑफ़र’ बताओ। हम वही ऑफ़र देंगे ही… और साथ ही उस ऑफ़र के 20% की रकम तुम्हें ‘स्पेशल बोनस’ के रूप में देंगे।”

उसने गहरी सांस लेकर कहा,
मैंने पहले ही कहा है कि मेरे पास कोई दूसरी ऑफ़र नहीं है। ‘नौकरी छोड़ना’ ही मेरा उद्देश्य है। इसलिए मैंने बिना कोई कारण बताए नोटिस पीरियड पूरा किया। कंपनी या कंपनी के लोगों से भी मुझे कोई शिकायत नहीं है।”

लेकिन वह हार मानने को तैयार नहीं थी। अगला प्रस्ताव रखते हुए बोली,
तुम एक महीना और रुक जाओ। एक नया प्रोजेक्ट रहा है। उसके लिए तुम्हें साल भर ऑनसाइट भेजा जा सकता है।”
उसने कहा,
कंपनी के आठ साल में से लगभग चार साल मैं ऑनसाइट रहा हूँ। जिन देशों के नाम भी नहीं सुने थे, वहाँ भी गया हूँ। अब उसमें मुझे कोई आकर्षण नहीं।”

नेगोशिएशन के सारे पत्ते बेअसर होते देखकर उसने विषय बदलते हुए कहा,
अगर नौकरी छोड़कर तुम स्टार्टअप शुरू करने वाले हो, तो इतना ही कहूँगी कि ‘लाख को बारह हज़ार’ करने जैसा दूसरा रास्ता नहीं।”
उसने सिर हिलाकर कहा,
मुझे पता है कि बिज़नेस करना मेरा स्वभाव नहीं है।”
यह सुनकर वह चिढ़कर बोली,
तो फिर नौकरी छोड़ने के बाद करोगे क्या?”

उसने शांत स्वर में कहा,
एक साल तक मैं कुछ नहीं करने वाला।”

मतलब?”
मतलब, इतने सालों से अंगवस्त्र बने रूटीन को बदलने के लिए, लाइफ़स्टाइल के नाम पर बनी आदतों को छुड़ाने के लिए, और हर महीने सैलरी क्रेडिट होने का संदेश नहीं आएगा – इसकी आदत डालने के लिए मैं खुद को समय दूँगा।”

उसके किसी भी लॉजिक में ये जवाब फिट नहीं बैठ रहे थे, लेकिन जिज्ञासा ज़रूर बढ़ा रहे थे। उसने पूछा,
यह अचानक क्यों?”
उसने गहरी सांस लेते हुए कहा,
मैंने पहले कभी किसी से इस बारे में बात नहीं की। पर यह निर्णय अचानक नहीं है। पिछले एक साल से इसकी तैयारी कर रहा हूँ। सच कहूँ तो जिस दिन ‘एम्प्लॉयी नंबर 437’ के साथ जो हुआ, उसी दिन से।”

‘एम्प्लॉयी नंबर 437’ सुनते ही उसके सामने वह भयावह दिन कौंध गया। सिर्फ़ 42 साल का एक होशियार इंजीनियर, दफ़्तर में काम करते-करते अचानक दिल का दौरा पड़ने से चला गया। कोई मेडिकल हिस्ट्री भी नहीं थी। डॉक्टर ने एक ही शब्द कहा – “स्ट्रेस।” दो दिन बाद उसी का डेस्क और ड्रॉअर खाली करने के लिए जब वह सपोर्ट स्टाफ के साथ गई, तो उसके फैमिली फ़ोटो हटाते समय जो महसूस किया, उसे शब्दों में कहना असंभव था।

उसने कहा,
रोज़ तीन-तीन घंटे का सफ़र, प्रोजेक्ट का दबाव, हमेशा तनाव में जीना – क्यों? और किसके लिए? यही सवाल मैं तब से खुद से पूछ रहा हूँ।”

अब उसे उसके नौकरी छोड़ने का कारण समझ में आने लगा था। लेकिन उसने फिर भी कोशिश की और बोली,
आख़िरकार लेन-देन किससे छूटा है?”
वह बोला,
सही है, लेन-देन किसी से नहीं छूटा। पर बस एक ही उम्मीद है कि इस चक्कर में ऐसा नुकसान हो जो कभी भर पाए।”

उसने विषय बदलते हुए पूछा,
छह महीने पहले एक और बात हुई। एक रात मेरे बड़े भाई ने बुलाया। वहाँ जाकर देखा तो भाई-भाभी परेशान थे। चौदह साल के बेटे के बैग में पोर्नोग्राफ़ी का सामान और एक कंडोम मिला था। उन्होंने कहा – ‘वह तुमसे ही बात करता है।’ मैंने सोचा – कैसे करेगा? जन्म से ही डे-केयर में रहा। करियर की दौड़ में वह कभी प्राथमिकता नहीं था, इसलिए आज भी तुम उसके लिए महत्वहीन हो।”

वह अनायास बोल उठी, अरे बाप रे!”
उसने आगे कहा,
अब मैं हर हफ़्ते उससे मिलता हूँ और कोई कोई गतिविधि करता हूँ। सब पटरी पर लाने में समय लगेगा, लेकिन लाऊँगा।”

उसने आगे कहा,
मेरे घर में भी वही स्थिति हो सकती है। माँ-पिता गाँव में रहते हैं। मेरी पत्नी भी आईटी में है। घर आते ही हम दोनों लैपटॉप पर लग जाते हैं। हाल ही में बेटी ने सोसायटी के नाटक में ‘प्रोटेस्ट’ किया – माता-पिता बस फ़ोन और लैपटॉप में डूबे रहते हैं और बच्चों की अनदेखी करते हैं। मुझे लगा, यह संकेत पहचानने चाहिए। करियर की दौड़ थकाती जा रही है। कहीं हमारी भी हालत ‘एम्प्लॉयी नंबर 437’ जैसी हो जाए।”

उसने सुझाव दिया,
तुम ब्रेक ले लो। बची छुट्टियाँ और कुछ अनपेड लीव मिलाकर छह महीने सोचने का समय मिलेगा, नौकरी भी नहीं जाएगी।”

कॉफ़ी आ गई। दोनों ने कप उठाया। उसने मुस्कुराकर कहा,
हम मिल सकते हैं कॉफ़ी के लिए, लेकिन इंटरव्यू आज ही ख़त्म करें। मेरा निर्णय पक्का है।”

वह फिर बोली,
थोड़ा सोचने का ब्रेक क्यों नहीं लेते? नौकरी छह महीने बाद भी छोड़ सकते हो।”

उसने कप रखते हुए कहा,
लेकिन इससे मेरा उद्देश्य पूरा नहीं होगा। असली अनुभव तो नौकरी पूरी तरह छोड़ने पर ही मिलेगा। वरना हमेशा यही लगेगा कि नौकरी सुरक्षित है। तब नए विकल्प तलाशने की मेहनत भी शायद करूँ।”

उसने कहा,
अगर तय कर लिया है तो पूरी कोशिश करोगे ही।”
वह हँसते हुए बोला,
मुझे पता है मेरा स्वभाव। नए रास्ते खोजने के लिए पहले कम्फर्ट ज़ोन छोड़ना होगा। पुराने विषय बंद किए बिना नए शुरू नहीं होते।”

वह चुप हो गई। उसने आगे कहा,
मुझे पता है मेरा यह फ़ैसला व्यवहारिक कसौटी पर गलत ठहर सकता है; लेकिन जीवन जीने के लिए नौकरी होती है, नौकरी करने के लिए जीवन नहीं। बहुत कुछ बिखरा है। सब नहीं सहेज पाऊँगा, पर कोशिश करनी है। डर है, लेकिन जवाब खोजने का यह एग्ज़िट इंटरव्यू मेरे लिए नई यात्रा का एंट्री पॉइंट है।”

अब उसे समझ आ गया कि कोई भी ऑफ़र असरदार नहीं होगा। उसने मुस्कुराते हुए कहा,
हर किसी को जीवन में ऐसा निर्णय लेने का मन होता है, लेकिन हिम्मत बहुत कम लोग करते हैं। ऑल बेस्ट।”
उससे हाथ मिलाया।
उसने कहा, थैंक यू।” और बाहर निकल गया।

उसकी पीठ पीछे जाती छवि को वह देखती रही… और शायद पहली बार, उसकी बातचीत असफल होने पर भी उसे भीतर से संतोष मिला।

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