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ज्योतिष- ग्रह- नक्षत्र { कुंज केतु योग }

सिंह राशि में बना कुंज केतु योग 07 जून से 28 जुलाई तक विद्यमान रहेगा, लगभग 50 दिन का यह योग देश- विदेश की गतिविधियों को प्रभावित करेगा। इसके नकारात्मक प्रभाव इस समय के दौरान ज्यादा देखने को मिल सकते हैं।

 

* मंगल और केतु की युति से कुजकेतु योग बनता है, जो ज्योतिष में एक अशुभ योग माना जाता है। यह योग अग्नि तत्व की सिंह राशि में बनने से विशेष रूप से ज्यादा प्रभाव वाला हो जाता है। इस योग के दौरान, जातकों को क्रोध, जल्दबाजी, वाद- विवाद, चिड़चिड़ापन, आक्रामकता, मति भ्रम की स्थिति पैदा करता है।

* जब मंगल और केतु ग्रह एक साथ आते हैं। मंगल ऊर्जा, क्रोध और युद्ध का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि केतु अलगाव, भ्रम और रुकावटों का प्रतिनिधित्व करता है। जब ये दोनों ग्रह एक साथ आते हैं, तो यह एक उग्र और अप्रत्याशित स्थिति पैदा कर सकते है।

 

🔸सावधानियां-:

क्रोध पर नियंत्रण-:

* कुंज योग के दौरान, जातकों को अपने क्रोध व आक्रामकता पर विशेष नियंत्रण रखना चाहिए, यह आपके पारिवारिक व वैवाहिक जीवन को भी प्रभावित कर सकता है।

 

 धैर्य-:

* इस समय के दौरान प्रत्येक कार्य सोच विचार कर करना चाहिए और जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचना चाहिए।

 

 वाद-विवाद से बचें-:

* इस समय के दौरान किसी भी तरह के छोटे-मोटे विवादों से बचना चाहिए। यदि कोई विवाद हो तो उसे बैठकर सुलझाना चाहिए। क्योंकि इस समय के दौरान  विवाद का विस्तार भयंकर रूप ले सकता है।

 सुरक्षा-:

* दुर्घटनाओं और चोटों से बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिए नशे इत्यादि में गाड़ी नहीं चलाना है।

 

 धार्मिक उपाय-:

* कुज केतु जैसे अशुभ योग के दुष्प्रभाव  को समाप्त करने के लिए श्री हनुमान जी की सेवा उपासना विशेष फलदाई मानी गई है। सुंदरकांड के पाठ या श्री हनुमान चालीसा के पाठ नियमित रूप से करने चाहिए। हनुमान जी के दर्शन करने चाहिए और मंगलवार शनिवार को सिंदूर इत्यादि अर्पित करना चाहिए। महिलाओं के लिए इसमें शिव उपासना विशेष प्रभावकारी मानी गई है अतः सेवा, उपासना करके उसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। इस समय के दौरान अपने ईष्ट के सुमिरन व स्मरण में रहना ही श्रेष्ठ उपाय है।

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