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"क्या तुम मुस्लिम हो?"

जेहादी / जिहादी शैतान, शायद आज तुम्हारी उपजाति, जाति या धर्म-धम्म देखकर तुम्हें ज़िंदा छोड़ दें… परंतु कल वे तुम्हें निश्चित रूप से मार ही डालेंगे…

 

क्योंकि उनके लिए सिर्फ दो ही वर्ग हैं – जेहादी (जिहादी) और गैर-जेहादी।

 

तुम चाहे जैन, मूल बौद्ध, सिख, पारसी, यहूदी या कोई भी हो, अगर तुम गैर-जेहादी हो तो उनके लिए तुम “काफिर” हो। और काफिर का मतलब है – अशुद्ध।

आज पहलगाम में एक महिला के पति को उसके सामने गोलियों से भून दिया गया। उससे पहले आतंकियों ने पूछा – “क्या तुम मुस्लिम हो?” 

जवाब मिला – “नहीं”, और तुरंत गोलियां चला दी गईं। 

उस जिहादी मुस्लिम आतंकी ने उसकी जाति, उपजाति या धर्म नहीं देखा। उसे बस इतना जानना था कि वह मुस्लिम नहीं है – इसलिए “काफिर” है और मार दिया गया।

जो लोग जातिवाद और आपसी द्वेष में अंधे हो गए हैं, उन्हें अब भी समझ नहीं आई है। 

तुम चाहे किसी भी जाति के क्यों हो, उनके लिए तुम सिर्फ एक “काफिर” हो, और यही तुम्हें मारने के लिए काफी है।

 

अब भी समय है – 

जात-पात भूलो, और हिंदू बनकर एक हो जाओ।

 

यह एक भावनात्मक निवेदन है। 

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