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भाव अनुसार शरीर के चिन्ह (तिल, दाग, घाव, कट, मस्सा आदि)" का अर्थ है – जन्मकुंडली के 12 भावों से जुड़े शरीर के भागों पर संभावित चिह्न।

यहाँ संक्षिप्त सारणी प्रस्तुत कर रहा हूँ –

 

 भाव अनुसार शरीर के चिन्हों की सूची

 

 भाव ,शरीर का भाग, संभावित चिन्ह , चिह्न विशेष संकेत

 

प्रथम भाव (लग्न) सिर, चेहरा, मस्तक माथे, गाल या सिर पर तिल, मस्सा, कट, जलने का दाग चेहरा आकर्षक/अकर्षक, सिर दर्द या चोट के निशान

 

 द्वितीय भाव मुख, जिह्वा, दांत, गला होंठ पर तिल, दांतों में कटा निशान, गले पर मस्सा वाणी दोष, गले की खराश, दांत में गैप

 

 तृतीय भाव कंधे, भुजाएँ, गर्दन, कान कंधे पर तिल, कान के पीछे दाग, भुजाओं पर चोट का निशान हाथों की कमजोरी या शक्ति

 चतुर्थ भाव ह्रदय, छाती, स्तन, फेफड़े छाती पर तिल/दाग, बाईं ओर जख़्म श्वास, फेफड़ों की समस्या

 

 पंचम भाव उदर (पेट), जठर, यकृत नाभि के पास तिल, पेट पर दाग पाचन संबंधी समस्या, यकृत रोग

 

षष्ठ भाव नाभि से नीचे का भाग, आँत, मलद्वार नाभि के नीचे तिल या चिह्न, कभी गुप्तांग रोग का संकेत पेट दर्द, कब्ज, बवासीर

 

 सप्तम भाव जननांग, मूत्रमार्ग, गुप्त भाग जननांगों पर तिल या मस्सा, छुपे अंगों पर दाग वीर्य, शुक्राणु, प्रजनन रोग

 

 अष्टम भाव गुप्तांग, गुदा, गुप्त नाड़ियाँ गुप्त भागों में तिल, अंदरूनी चोट अंडकोष, पाइल्स या फिस्टुला संकेत

 

 नवम भाव जांघें, नितम्ब जांघों पर तिल, कट का निशान sciatic nerve weakness, जांघ में दर्द

 

 दशम भाव घुटने, घुटनों के पीछे का भाग घुटनों पर मस्सा या चोट का निशान हड्डी में कमजोरी, घुटना दर्द

 

 एकादश भाव पिंडली, टखना, पैर का पिछला भाग टखने पर तिल, पैर के पीछे चोट का दाग पैर में मोच, कमजोरी

 

 द्वादश भाव पैर, पंजे, तलवे तलवे पर तिल या गहरा मस्सा यात्रा में चोट, ठोकर, फूट कॉर्न

 

 विशेष टिप्पणियाँ:

 यदि कोई पाप ग्रह (मंगल, शनि, राहु, केतु) किसी भाव में स्थित हो या दृष्टि दे रहा हो — वहाँ के अंग पर चोट/दाग/घाव संभावित।

 यदि शुभ ग्रह (बुध, शुक्र, गुरु) प्रभावी हों — वहाँ सुंदर तिल, सौंदर्य बिंदु संभव।

 चंद्र व शुक्र – सफेद/हल्के रंग का तिल।

 मंगल – लाल रंग का या रक्तस्राव देने वाला तिल।

 राहु – गहरा काला तिल या मस्सा।

 शनि – नीला/काला मस्सा या पुराना दाग।

 

उद्देश्य —

चिन्हों को यदि जातक की कुंडली से ढूंढ लेने मे सफलता मिलती है तो कुंडली से जातक के प्रभावित अंग का भी पता लगाया जा सकता है और निदान भी किया जा सकता है।

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