करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। करवा चौथ से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं, जो इसे और खास बनाती हैं। करवा चौथ का त्योहार मुख्य रूप से पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और राजस्थान आदि राज्यों में मनाया जाता है। माना जाता है कि, ये व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में भी सुख बना रहता है।
इस बार 100 साल बाद करवा चौथ पर महासंयोग का निर्माण हो रहा है। इस वजह से ये पर्व और भी खास होने वाला है, तो आइए जानते हैं इस महासंयोग के बारे में:
बुध-आदित्य योग: करवा चौथ के दिन बुध और सूर्य एक साथ होंगे। जिससे बुध-आदित्य योग बनेगा। इस योग को बहुत शुभ माना जाता है।
मृगशिरा नक्षत्र: करवा चौथ के दिन चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होगा। इस नक्षत्र को भगवान शिव को समर्पित माना जाता है।
शिव-परिघ योग: करवा चौथ के दिन शिव-परिघ योग भी बनेगा। इस योग को भी बहुत शुभ माना जाता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग: करवा चौथ के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बनेगा। इस योग को किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए शुभ माना जाता है।
अमृत योग: करवा चौथ के दिन अमृत योग भी बनेगा। इस योग को सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शुभ माना जाता है।
करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर, 2023 को रखा जाएगा। इस दिन चंद्रोदय का समय रात 8:26 बजे है। करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:44 बजे से 7:02 बजे तक है। इस समय के दौरान सुहागिनें करवा चौथ की पूजा कर सकती हैं।
करवा चौथ की सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें।
करवा चौथ की कथा सुनें।
व्रत का संकल्प लें।
शाम को चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।
अपने पति को भोजन कराएं।
करवा चौथ की शुभकामनाएं!