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सूर्य नमस्कार का अर्थ क्या है...? (आरोग्य धनसंपदा श्रृंखला)

हमें स्कूल में आठवीं और नौंवी कक्षा में शरीर रचना विज्ञान (Anatomy) में पढ़ाया गया है कि हमारे पेट में जठर, यकृत (लिवर), प्लीहा, अग्न्याशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, गुर्दे आदि अंग होते हैं। इनमें से छोटी आंत की लंबाई 22 फीट होती है।

अब सोचिए, भगवान ने, प्रकृति ने इतनी छोटी जगह में इतने अंग और 22 फीट की आंत को कैसे समायोजित किया होगा? 22 फीट लंबी आंत, जिसका व्यास (डायमीटर) कम से कम हो, इतनी छोटी जगह में कैसे रह सकती है, और हम जो खाना खाते हैं उसका वॉल्यूम कितना होता है? यह सब कैसे संभव है? सोचने में आता नहीं!

एक दिन मैंने एक गुब्बारे वाले को देखा, जो एक लंबी नली के गुब्बारे में पंप से हवा भर रहा था, और मेरे सारे सवाल सुलझ गए। जब खाना हमारे शरीर में प्रवेश करता है, तो आंत का व्यास बढ़ता है, वह फैलती है, और जब खाना आगे बढ़ता है तो आंत सिकुड़ जाती है। यानी आंत के माध्यम से खाना आगे बढ़ाने और अपचित भोजन को शरीर से बाहर निकालने के लिए आंत का फैलना और सिकुड़ना आवश्यक है।

यानी पेट पर एक बार दबाव पड़ना और उसे खिंचाव आना आवश्यक है। सिर्फ चलने से यह प्रक्रिया नहीं होती, लेकिन सूर्यनमस्कार में यह पूरी तरह होता है।

सूर्यनमस्कार में पेट की क्रिया:

  1. जब आप नीचे झुकते हैं, तो पेट दबता है।
  2. जब दाहिना पैर मोड़ते हैं और बायां पैर पीछे ले जाते हैं, तो पेट का दाहिना हिस्सा दबता है और बायां हिस्सा खिंचता है।
  3. फिर जब आप आगे झुकते हैं, तो पेट सीधा हो जाता है।
  4. इसके बाद जब आप आकाश की ओर देखते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊपर उठाते हैं, तो पेट खिंचता है।
  5. उठते समय जब आप बायां पैर आगे बढ़ाते हैं, तो पेट का बायां हिस्सा दबता है और दाहिना हिस्सा खिंचता है।
  6. अंत में, जब आप खड़े होते हैं, तो पेट फिर सीधा हो जाता है।

इस प्रकार, पेट के दबने और खिंचने की प्रक्रिया से पेट के अंदरूनी अंग सुचारू रूप से कार्य करने लगते हैं। खाना अच्छी तरह पचता है, मल त्याग साफ होता है, और इससे प्रोस्टेट ग्रंथि, गर्भाशय, तथा अंडाशय (ओवरी) को लाभ होता है।

सूर्यनमस्कार के लाभ:

यदि दिनभर के काम के बाद आप शाम को थक जाते हैं, तो सुबह 10-12 सूर्यनमस्कार करने से आप पूरे दिन ताजगी महसूस करेंगे। यह अनुभव कई लोगों को हो चुका है।
सूर्यनमस्कार के लिए सोने जितनी जगह चाहिए। रोज़ाना 12-15 सूर्यनमस्कार करने में 10-15 मिनट लगते हैं। इससे सूर्य उपासना भी हो जाती है। और इसे घर पर करने से जिम की फीस और आने-जाने का समय भी बचता है।

सूर्यनमस्कार में सूर्य के 12 नामों का अर्थ:

  1. मित्राय नमः – सूर्य पर हमारा, प्रकृति का, और पृथ्वी का जीवन निर्भर है। वह समय का परिवर्तन करता है और जीवन देता है। इसलिए वह मित्र है।
  2. रवये नमः – रवि का मतलब श्रेष्ठ। सूर्य सबसे अधिक प्रकाश देता है और तेजस्वी बनाता है।
  3. सूर्याय नमः – सूर्य प्रगति और पराक्रम का प्रतीक है।
  4. भानवे नमः – वह वैभव देता है और उसे बनाए रखता है।
  5. खगाय नमः – वह सौरमंडल के सभी ग्रहों को संतुलित रखता है और गति प्रदान करता है।
  6. पुष्णे नमः – वह पुष्टिकारक है, जो समृद्धि और भोजन देता है।
  7. हिरण्यगर्भाय नमः – ब्रह्मांड का सारस्वरूप, जो इस पृथ्वी का भी स्रोत है।
  8. मरीचये नमः – सूर्य की किरणें विभिन्न गुण और ऊर्जा देती हैं।
  9. आदित्याय नमः – पृथ्वी पर सभी ऊर्जा और गतिविधियों का मूल।
  10. सवित्रे नमः – चेतना और प्रेरणा देने वाला।
  11. अर्काय नमः – वैदिक मंत्रों की प्रेरणा स्रोत।

ॐ भास्कराय नमः – प्रकाश, प्रज्ञा, और प्रतिभा देने वाला।

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