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भाग्योदय कब होगा और समयकाल।

भाग्योदय मतलब अच्छा समय , अच्छी रोजगार/व्यापार(कैरियर)की स्थिति, सुख-सौभाग्य की वृद्धि, अच्छी आर्थिक स्थिति, सफलता मिलने लगना और उन्नति आदि होती जाना ही भाग्योदय है मतलब कम शब्दों में कहू तो एक राजा जैसा जीवन।।                                                                      अब भाग्योदय के लिए क्या ग्रहो की स्थिति जरूरी है और कैसे भाग्योदय के रास्ते बनते है अब इस टॉपिक को समझते है।कुंडली का मुख्य रूप से 9वा भाव भाग्य का होता है यही भाव  भाव कैसा है, भाग्य का साथ कब कितना मिलेगा और कब भाग्योदय होगा आदि के बारे में बताएगा साथ ही कुंडली मे बनने वाले राजयोग, कर्म भाव(10वे भाव) की स्थिति आदि यह सब भी भाग्योदय कराते है।

जब नवे भाव और इस भाव के स्वामी की स्थिति अच्छी हो साथ ही भाग्य के कारक या भाग्योउन्नति के कारक गुरु और सूर्य होते है।जब नवा भाव और इसका स्वामी अच्छी स्थिति में होगा, ज्यादा से ज्यादा सफलता संबंधी ग्रह, धन संबंधी ग्रह 9वे भाव या इस भाव के स्वामी से संबंध करेंगे तब उन्ही ग्रहो की दशाकाल में भाग्योदय होता है।भगयोदय किस स्तर का होगा यह निर्भर करेगा कुंडली मे अन्य सफलता और धन कारक ग्रहो की स्थिति कैसी है और 9वा भाव, इस भाव का स्वामी कितना ज्यादा बलवान और शुभ स्थिति में है।भाग्योदय होना जीवन मे सफलता निश्चित कर देता है।

 

अब भाग्योदय कब, किस स्तर तक का हो सकता है और कैसे इसे हमेशा की तरह उदाहरणों से समझते है।।                                                                       

उदाहरण_अनुसार_मेष_लग्न1:-

किसी भी कुंडली में सबसे पहले नवे भाव और राजयोगों शुभ योगो की स्थिति से भाग्योदय का पता लगेगा, जैसे ,मेष लग्न की कुंडली नवे भाव का स्वामी बृहस्पति होता है।अब बृहस्पति अच्छी स्थिति में हो जैसे, कुंडली के शुभ भावो में बैठकर राजयोग में हो, आदि साथ ही दशा भी नवे भाव संबंधी हो और अन्य स्थितियां भी ग्रहो की सफलता संबंधी और और धनः संबंधी अच्छी होगी, तब ऐसी स्थिति में अच्छा भाग्योदय होगा, उचर स्तर का।अब कब होगा भाग्योदय नवे भाव के स्वामी या नवे भाव भावेश से संबंध बंनने वाले ग्रहो की दशम या राजयोगकाक ग्रहो की दशाओ में भाग्योदय हो जाएगा, जिसे बड़ी सफलता आदि मिलेगी।।                                                                             

 

उदाहरण_अनुसार_सिंह_लग्न2:-

सिंह लग्न में भाग्य का स्वामी मंगल बनता है साथ ही अब मंगल। बलवान हो या शुभ संबंध में राजयोगों में ग्रहो के साथ हो साथ ही धन और अन्य सफलता संबंधी ग्रहो की स्थिति अच्छी हो तब अच्छा भाग्योदय होगा।नवे भाव या इस भाव के स्वामी के साथ राजयोगों का बनना अच्छा भाग्योदय कराएगा, और सफलता के रास्ते खुद मिलेंगे।ग्रह दशाओ का समय अच्छा चलना। चाहिए, क्योंकि जब तक भाग्योदय संबंधी ग्रहो की दशाएं नही आएगी तब तक कोई विशेष भाग्योदय नही। हो सकता है इस कारण भाग्योदय संबंधी दशाएं किस्मत के रास्ते खोलकर भाग्योदय करती है।।                                                                         इस तरह नवे भाव और नवे भाव के स्वामी साथ ही कुंडली मे बने सफलता। और धन आदि योगो पर भाग्योदय का स्तर किस रहेगा आदि से यह तय होता है जितने ज्यादा अच्छी स्थिति भाग्योदय की होगी,उतना ही अच्छा भाग्योदय होगा, कुंडली में जातक के भाग्योदय संबंधित ग्रहो के अनुसार भाग्योदय का स्तर रहेगा।।                                                                                                         नवमांश कुंडली का भी नवा भाव, नवे भाव का स्वामी अच्छी रहे साथ ही जन्मकुंडली का 9वे भाव का स्वामी नवमांश कुंडली मे भी बलवान हो या राजयोग बनाकर बैठा होगा तब बहुत बढ़िया भाग्योदय होता है और बड़े स्तर पर होता है।।

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