सूर्य-चंद्र
सूर्य और चंद्र एक स्थान पर हो तो जातक लोहा या पत्थर का व्यापार करता है। शिल्पकला, वास्तु कला व मूर्तिकला में भी जातक दक्षता हासिल करता है। जातक कार्यदक्ष होता है। जातक मीन व मूर्ति निर्माण में संलग्न रहता है।
सूर्य-मंगल
सूर्य व मंगल जन्म पत्रिका में यदि एक साथ हो तो जातक शूरवीर एवं यशस्वी होता है। जातक असत्य बोलने वाला होता है। जातक कार्यों को करने में मानसिक बल का उपयोग करता है। जातक को धन संबंधी चिंता सदैव बनी रहती है।
सूर्य-बुध
यदि जन्म पत्रिका में सूर्य एवं बुध की युति हो तो जातक मधुरभाषी एवं विद्वान् होता है। जातक का भाग्य प्रबल होता है। जातक विद्या, कला तथा लेखन के प्रति रूचि रखता है। जातक विचारक एवं ऐश्वर्यवान् होता है। जातक गुणवान भी होता है। जातक कलाकार, लेखक, संशोधक एवं विचारक होता है।
सूर्य-गुरू
सूर्य एवं गुरू की युति जन्म पत्रिका में हो तो जातक धार्मिक प्रवृत्ति का एवं परोपकारी होता है। जातक कर्मठ व राजमान्य बनता है जातक ज्ञानी होता है एवं उपदेशक बनता है।
सूर्य-शुक्र
सूर्य एवं शुक्र की एक स्थान पर युति हो तो जातक नेत्ररोगी, कामुक एवं अविचारक होता है। जातक की चित्रकला, अभिनय व कला प्रति विशेष रूचि होती है।
सूर्य-शनि
सूर्य व शनि की युति जन्म पत्रिका में हो तो जातक आस्तिक या धर्म के प्रति कम आस्थावान होता है। जातक को धातु संबंधी कार्य या व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है।
चंद्र-मंगल
चंद्र एवं मंगल की युति जन्म पत्रिका में हो तो जातक शूरवीर एवं साहसी होता है। जातक की माता के लिए यह योग अशुभ है। इससे जातक की माता को शारीरिक या मानसिक कष्ट रहता है। जातक कलाकुशल होता है।
चंद्र-बुध
चंद्र एवं बुध की युति जन्म पत्रिका में होने से जातक को हास्य प्रिय व विनोदी स्वभाव का बनाती है। जातक विद्वान एवं धर्मप्रिय होता है। जातक की बुद्धि निर्मल होती है।
चंद्र-गुरू
चंद्र एवं गुरू की एक स्थान पर युति हो तो जातक धार्मिक एवं सदाचारी होता है। जातक ब्राह्ण की पूजा व सत्कार भी करता है। जातक सबका सम्मान करने वाला होता है। जातक गुणवान व समझदार होता है।
चंद्र-शुक्र
चंद्र एवं शुक्र की युति जन्म पत्रिका में हो तो जातक सुखी, भोगी एवं धनी होता है। जातक व्यापार में सफलता व धनार्जन करता है।
चंद्र-शनि
शनि एवं चंद्रमा की युति चंद्रमा को दूषित करती है जिसके प्रभाव से जातक अनैतिक कार्यो में संलग्न हो जाता है। यदि यह युति लग्न से तृतीय, षष्ठ, दशम या एकादश भाव में हो तो जातक सर्वसम्पन्न हो जाता है।
मंगल-बुध
मंगल एवं बुध की यदि एक स्थान पर हो तो जातक शिल्प कला या औषधियों ज्ञाता होता है। जातक शास्त्रज्ञ व अच्छा ज्ञाता होता है। जातक औषधियों के व्यापार में भी संलग्न हो सकता है। मंगल एवं बुध का योग यदि केंद्र में हो तो जातक धनी और सुखी होता है।
मंगल-गुरू
मंगल एवं गुरू का योग जन्म पत्रिका में एक स्थान पर हो तो जातक विद्वान होता है। जातक शास्त्र में दक्ष होता है। जातक गुणवान भी होता है।
मंगल-शुक्र
मंगल एवं शुक्र की जन्म पत्रिका में एक स्थान पर युति हो तो जातक व्यापार में कुशल होता है। धातु संशोधन, योगाभ्यास या विमान चालनमें भी जातक कुशल हो सकता है।
मंगल-शनि
मंगल एवं शनि की युति यदि जन्म पत्रिका में एक स्थान पर हो तो जातक निर्गुणी होता है। ढ़ोंग व दिखावे से जातक दूसरो का विश्वास पात्र नही बन पाता, तंत्र विद्या में जातक की रूचि रहती है। जातक कलह प्रिय भी होता है।
बुध-गुरू
बुध एवं गुरू एक स्थान पर हो तो बुध के प्रभाव से बुद्धि व गुरू के प्रभाव से गुण का योग जातक में होता है। जातक शास्त्रज्ञ होता है एवं अच्छा वक्त बनता है। जातक प्रख्यात एवं सद्गुणी भी होता है। जातक वक्ता, पण्डित, सभाचतुर, प्रख्यात, कवि एवं संशोधक होता है।
बुध-शुक्र
बुध एवं शुक्र एक स्थान पर हो तो जातक जीवन में हमेशा सुखी रहता है। जातक ठाठ-बाट व विलास युक्त होता है। जातक हास्य व विनोद प्रिय भी होता है। जातक कामुक होता है।
बुध-शनि
बुध एवं शनि जन्म पत्रिका में युति करते हो तो जातक सभा में अच्छा व्याख्याता, कलाकार या कवि होता है। जातक अपनी अपनी विद्ता के कारण उच्च पद को प्राप्त करता है।
गुरू-शुक्र
गुरू एवं शुक्र की युति एक स्थान पर जन्म पत्रिका में होने से जातक सदैव सुखी रहता है। जातक बलवान, चतुर एवं नीतिवान् होता है। जातक तेजस्वी व प्रसिद्ध होता है।
गुरू-शनि
गुरू एवं शुक्र शनि यदि जन्म पत्रिका में एक स्थान पर हो तो जातक लोकमान्य एवं कार्यदक्ष होता है। जातक यशस्वी, कीर्तिवान एवं आदर-पात्र होता है। जातक के पास अपार धन संग्रह होता है। जातक शिल्प कार्य में भी दक्ष होता है।
शुक्र-शनि
शुक्र एवं शनि एक स्थान पर हो तो जातक पहलवान या स्थूल शरीर वाला हो सकता है। जातक को गुप्त रोग भी हो सकता है।