Sshree Astro Vastu

Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors

मार्गशीर्ष (अगहन) मास माहात्म्य

अगहन के महीने को माना जाता है श्री कृष्ण का प्रिय अगहन के महीने को माना जाता है । इस समय भगवान श्री कृष्ण का प्रिय मास यानी अगहन का महीना चल रहा है, जिसे मार्गशीर्ष महीना भी कहा जाता है. इसकी शुरुआत मार्गशीर्ष (अगहन) कृष्ण प्रतिपदा 16 नवम्बर 2024 शनिवार से अगहन (मार्गशीर्ष) शुक्ल पूर्णिमा 15 दिसम्बर 2024 रविवार तक है।. हिंदू कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना अगहन मास कहलाता है. कार्तिक के बाद इस महीने को हिंदू धर्म का दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस महीने में भगवान श्री कृष्ण और विष्णु भगवान की पूजा अर्चना की जाती है.

हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह को अत्यंत महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। मार्गशीर्ष माह को अगहन भी कहा जाता है। 16 नवंबर से मार्गशीर्ष माह की शुरुआत हो चुकी है। यह महीना भगवान कृष्ण को अति प्रिय है। हिंदू पंचांग में मार्गशीर्ष माह नौवां महीना है। दान और व्रत के लिए मार्गशीर्ष मास बहुत ही फलदायी माना जाता है। कहते हैं कि इस माह में पूजा पाठ और दान करने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष माह में विवाह पंचमी से लेकर गीता जयंती और मत्स्य द्वादशी जैसे व्रत-त्यौहार आएंगे। तो आइए जानते हैं मार्गशीर्ष माह में आने वाले प्रमुख व्रत-त्यौहार के बारे में।

 

मार्गशीर्ष माह के त्यौहारों की सूची

 

🍁वृश्चिक संक्रांति- 16 नवंबर 2024

🍁गणाधिप संकष्टी चतुर्थी- 18 नवंबर 2024

🍁कालभैरव जयंती- 22 नवंबर 2024

🍁उत्पन्ना एकादशी- 26 नवंबर 2024

🍁प्रदोष व्रत- 28 नवंबर 2024

🍁मासिक शिवरात्रि- 29 नवंबर 2024

🍁दर्श अमावस्या- 30 नवंबर 2024

🍁 श्रीराम विवाह पंचमी- 6 दिसंबर 2024

🍁चंपा षष्ठी- 7 दिसंबर 2024

🍁भानु सप्तमी- 8 दिसंबर 2024

🍁गीता जयंती- 11 दिसंबर 2024

🍁मोक्षदा एकादशी- 11 दिसंबर 2024

🍁प्रदोष व्रत- 13 दिसंबर 2024

🍁दत्तात्रेय जयंती- 14 दिसंबर 2024

🍁अन्नपूर्णा जयंती- 15 दिसंबर 2024

🍁धनु संक्रांति, मार्गशीर्ष पूर्णिमा- 15 दिसंबर 2024

 

मार्गशीर्ष माह का महत्व

 

भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं गीता में कहा है कि महीनों में मार्गशीर्ष मैं ही हूं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा का चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होने की वजह से इस महीने को मार्गशीर्ष कहते हैं। भगवान कृष्ण की स्तुति एवं भागवत कथा करने के लिए यह मास सबसे श्रेष्ठ होता है। इस महीने यमुना नदी के तट पर स्नान करने से जीवन के सारे कष्ट मिट जाते हैं और व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

जैसा कि हमने बताया कि अगहन महीने की शुरुआत अगहन प्रतिपदा 16 नवंबर 2024 शनिवार से हो चुकी है और ये अगहन पूर्णिमा 15 दिसंबर 2024 रविवार तक रहेगा. कहते हैं कि इसी पवित्र महीने में देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था और राम और सीता का विवाह भी अगहन मास में ही हुआ था. इतना ही नहीं भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान भी इसी महीने में दिया था. वृंदावन के बांके बिहारी भी इसी महीने में प्रकट हुए थे और कश्यप ऋषि ने मार्गशीर्ष महीने में ही कश्मीर बसाया था. मान्यतानुसार इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है और श्री कृष्ण के साथ ही शंख की पूजा भी की जाती है. खासकर इस महीने की अष्टमी पर विशेष पूजा की जाती है, श्री राम और माता सीता का विवाह, दत्तात्रेय प्राकट्य और गीता जयंती  जैसे दिन व्रत किए जाते हैं.

अगहन महीने को मांगलिक कार्य और शादी विवाह के हिसाब से काफी शुभ माना जाता है. ऐसे में इस माह में ढेर सारे विवाह होते हैं. कार्तिक मास के बाद आने वाले महीने को ही अगहन माह कहा जाता है. इस महीने को मार्गशीर्ष  भी कहते हैं. दरअसल, इस महीने का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है, इसी महीने की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है. इसी कारण इसे मार्गशीर्ष मास भी कहा जाता है. इस महीने में भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करने के अलावा चंद्रमा दोष से छुटकारा पाने के लिए विशेष पूजा की जा सकती है. शंख की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि इसमें मां लक्ष्मी का वास होता है और भगवान विष्णु इसे धारण करते हैं. इस मास में तीर्थ स्थान में जाकर स्नान करने से भी बहुत शुभ फल मिलते हैं

मार्गशीर्ष  (अगहन,) मास में श्रीकृष्ण  उपासना का संबंध 

 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह को भगवान कृष्ण ने विशेष महत्त्व प्रदान किया है। इस दौरान विधि पूर्वक किया गया व्रत और जप कई गुना अधिक फल दाई सवित होता है। इसके साथ ही अगहन माह में श्रीकृष्ण के उपदेशों का अध्ययन करना, भगवद्गीता का पाठ करना, और श्रीकृष्ण की उपासना करना अत्यंत फलदायी और ज्ञानवर्धक माना जाता है।

मार्गशीर्ष माह में भक्त भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करते हैं। इस दौरान श्रीकृष्ण को तुलसी पत्र अर्पित करना, माखन-मिश्री का भोग लगाना और दीप जलाना पुण्यकारी माना जाता है। इसके साथ ही गायत्री मंत्र और विष्णु सहस्रनाम का जप करने से विशेष पुण्य फल प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष माह के ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान, यमुना या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने की भी परंपरा है। जो आध्यात्मिक शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष माह न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। भगवान श्रीकृष्ण ने इसे विशेष स्थान दिया है। इसलिए इस माह में पूजा-पाठ, व्रत और धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्त्व है। इस समय की गई भक्ति, तपस्या और साधना का फल अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।

इस माह में हर दिन कृं कृष्णाय नमः मंत्र का जाप 108 बार करना शुभ माना जाता है.

कृं कृष्णाय नमः।

क्लींग् कृष्णाय नमः।

ॐ नमः कृष्णाय।

ॐ नमो भगवते सदाकृष्णाय।

ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय।

ॐ नमो भगवते श्रीरासमंडलेश्वराय।

हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष माह को बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में इसे भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय महीना कहा गया है। क्योंकि श्रीमद्भगवद्गीता के दसवें अध्याय के विभूति योग में भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है- “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” इसका मतलब है कि साल के सभी “महीनों में, मैं मार्गशीर्ष हूँ”। ऐसा माना जाता है कि मार्गशीर्ष (अगहन )स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का ही एक स्वरूप है। मार्गशीर्ष के शुभ अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की अनेक स्वरूपों पूजा की जाती है।

आप सभी लोगों से निवेदन है कि हमारी पोस्ट अधिक से अधिक शेयर करें जिससे अधिक से अधिक लोगों को पोस्ट पढ़कर फायदा मिले |
Share This Article
error: Content is protected !!
×