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हनुमानजन्मोत्सव

हनुमान जन्मोत्सव एक हिन्दू पर्व है। यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ माना जाता है।

 

          कथानुसार समुद्रमन्थन के पश्चात शिव जी ने भगवान विष्णु का मोहिनी रूप देखने की इच्छा प्रकट की, जो उन्होनें देवताओं और असुरों को दिखाया था। उनका वह आकर्षक रूप देखकर वह कामातुर हो गए। और उन्होंने अपना वीर्यपात कर दिया। वायुदेव ने शिव जी के बीज को वानर राजा केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया। और इस तरह अंजना के गर्भ से वानर रूप हनुमान का जन्म हुआ। उन्हें शिव का ११वाँ रूद्र अवतार माना जाता है।

          इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिये उनको हनुमान का नाम दिया गया। इसके अलावा ये अनेक नामों से प्रसिद्ध है जैसे बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, पवनपुत्र, संकटमोचन, केसरीनन्दन, महावीर, कपीश, शंकर सुवन आदि।

 

          हनुमान जन्मोत्सव को लोग हनुमान मन्दिर में दर्शन हेतु जाते है। कुछ लोग व्रत भी धारण कर बड़ी उत्सुकता और जोश के साथ समर्पित होकर इनकी पूजा करते है। चूँकि यह कहा जाता है कि ये बाल ब्रह्मचारी थे इसलिए इन्हे जनेऊ भी पहनाई जाती है। हनुमानजी की मूर्तियों पर सिन्दूर और चांदी का वर्क चढाने की परम्परा है। कहा जाता है राम की लम्बी उम्र के लिए एक बार हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर चढ़ा लिया था और इसी कारण उन्हें और उनके भक्तो को सिन्दूर चढ़ाना बहुत अच्छा लगता है जिसे चोला कहते है। संध्या के समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर मन्त्र जाप करने को अत्यन्त महत्त्व दिया जाता है। हनुमान जन्मोत्सव पर रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड पाठ को पढना भी हनुमानजी को प्रसन्न करता है। सभी मन्दिरो में इस दिन तुलसीदास कृत रामचरितमानस एवं हनुमान चालीसा का पाठ होता है। जगह-जगह भण्डारे आयोजित किये जाते है। तमिलानाडु व केरल में हनुमान जन्मोत्सव मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को तथा उड़ीसा में वैशाख महीने के पहले दिन मनाई जाती है। वहीं कर्नाटक व आंध्र प्रदेश में चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख महीने के 10वें दिन तक यह त्योहार मनाया जाता है।

 ‘ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्।’

 

*आप भी अपना जन्म विवरण भेजकर संस्थान से अपना वर्तमान, भूतकाल और भविष्य विस्तृत जानकारी ग्रह दोष और निवारण जान सकते है।

 

यदि किसी भी प्रकार का संकट हो भले रोजगार न हो घर में अशांति रहती हो धन बिल्कुल ना शत्रु ने जीवन मुश्किल कर रखा हो।रोग से पीडित हो। कानुनी जाल मै फँस गये हो या आपका अपना कोई जेल मै बद ही क्यो ना हो रह उपाय आप की हर बाधा का नाश कर देगा।
सारे कारज सिद्ध करेगा।
हनुमान जन्मोत्सव के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे स्नान आदि से निवृत होकर यथाशक्ति राम नाम का जाप करे 1 बार हनुमान चालिसा पा पाठ करे और सूर्य देव को जल अर्पित करें और सूर्य देव और प्रभु श्री राम से प्रार्थना करें कि आप मेरे सभी कार्यों को सिद्ध करने हेतु मेरे सभी संकटों का नाश करे व महावीर पवन पुत्र हनुमान को आज्ञा दे की वह अपनी कृपा मुझ पर करें और मेरे सभी संकटो का नाश करें सर्व कार्य सिद्धि करें यदि आपका कोई मुख्य लक्ष्य है या कोई संकट है जिससे निवृत्ति चाहते हैं तो उसका वर्णन करके यह प्रार्थना करें।
उपवास अवश्य करें वह ब्रह्मचर्य का पालन करें पूरे दिन।
अब 108 पीपल के पते लेकर आऐ लाल चंदन लाऐ 5 छैनी के रसगुल्लै लाऐ एक पान वाले सै हनुमान जी का बीडा बनवाकर लाऐ।।
1 जनेऊ लाऐ ।।
गुलाब की माला लाऐ।।
सर्वप्रथम हनुमान जी को चौला चढाऐ। जनैऊ पहनाऐ। गुलाब की माला पहनाऐ। तील्ली के तेल का दिपक और एक देशी घी का दिपक प्रज्वलित करें।
पान का बीडा अर्पित करें।
रसगुल्लै 5 अर्पित करें।
(यदि आप हनुमान जी का रोट बनाने में सक्षम हो तो वह भी भोग मै अर्पित करें)।
अब 108 पीपल के पत्तो पर श्री राम लाल चंदन से लिखे।
यथाशक्ति राम नाम का उच्चारण करें फिर
सर्वप्रथम आपको हनुमान चालीसा का पाठ करना है
अब 108 बार आपको राम स्तुति पढ़नी है हर स्तुति पढ़ने के बाद यह पीपल का एक पत्ता हनुमान जी को अर्पित करना है जब पूरे 108 पेत्ते आप अर्पित कर चुके होंगे।
तब हनुमान जी को अपनी सारी पीड़ा बता देनी है या आपकी जो भी मनोकामना है वह कह देनी है और वचन लेना है कि वह आपका संकट निवारण करें आपकी मनोकामना पूर्ण करें अब आपको बजरंग बाण का पाठ करना है 3 बार फिर 1 बार राम स्तुति का पाठ करते करते 108 पत्तो को उठा लेना है।
इनमे से 107 पत्ते आप जल प्रवाहित करेंगे।
1 पत्ते को लेमिनेट करवाकर अपने मंदिर मै रखे।
अब जब तक आपका कार्य हनुमान जी सिद्धना कर दें आपको नित्य इस पत्ते के सामने एक बार राम स्तुति एक बार बजरंग बान और एक बार हनुमान चालीसा का पाठ करना है और हनुमान जी को हर बार यह कार्य याद दिलाना है आप देखेंगे कि शीघ्र ही आपका वह कार्य सिद्ध हो गया है किसी भी धर्म अनुचित कार्य की प्रार्थना ना करें अथवा आपको हानि हो सकती है।

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