भारतीय संस्कृति में चन्द्र वर्ष का प्रयोग किया जाता है। चन्द्र वर्ष को ही संवत्सर कहा जाता है। ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से किया था अतः नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। हिंदू परंपरा में समस्त शुभ कार्यों के आरम्भ में संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है। अग्नि ,नारद आदि पुराणों, विभिन्न ज्योतिष ग्रंथो में वर्णित साठ संवत्सरों के नाम तथा उनके विश्व में होने वाले शुभाशुभ फल निम्नलिखित प्रकार से हैं। ये फल वृहत संहिता ज्योतिष ग्रन्थ के अनुसार हैं I प्रथम 20 सम्वत (1 से 20 ) ब्रह्मविंशति अगले 20 सम्वत (21 से 40) विष्णुविंशति अगले 20 सम्बत (41 से 60)रूद्रविंशति होते हैI
संवत्सर का नाम वर्ष फल संवत्सर स्वामी
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पं देवशर्मा