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मंत्र संसार

आर्थिक परेशानी और कर्ज से मुक्ति दिलाता है शिवजी का दारिद्रय दहन स्तोत्र. कारगर मंत्र है आजमाकर देखे

 

जो व्यक्ति घोर आर्थिक संकट से जूझ रहे हों, कर्ज में डूबे हों, व्यापार व्यवसाय की पूंजी बार-बार फंस जाती हो उन्हें दारिद्रय दहन स्तोत्र से शिवजी की आराधना करनी चाहिए.

 

महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित यह स्तोत्र बहुत असरदायक है. यदि संकट बहुत ज्यादा है तो शिवमंदिर में या शिव की प्रतिमा के सामने प्रतिदिन तीन बार इसका पाठ करें तो विशेष लाभ होगा.

जो व्यक्ति कष्ट में हैं अगर वह स्वयं पाठ करें तो सर्वोत्तम फलदायी होता है लेकिन परिजन जैसे पत्नी या माता-पिता भी उसके बदले पाठ करें तो लाभ होता है.

 

शिवजी का ध्यान कर मन में संकल्प करें. जो मनोकामना हो उसका ध्यान करें फिर पाठ आरंभ करें.

 

श्लोकों को गाकर पढ़े तो बहुत अच्छा, अन्यथा मन में भी पाठ कर सकते हैं. आर्थिक संकटों के साथ-साथ परिवार में सुख शांति के लिए भी इस मंत्र का जप बताया गया है.

 

।।दारिद्रय दहन स्तोत्रम्।।
〰〰🌼〰〰🌼〰〰
 

विश्वेशराय नरकार्ण अवतारणाय

कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय।

 

कर्पूर कान्ति धवलाय, जटाधराय,

दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।१

 

गौरी प्रियाय रजनीश कलाधराय,

कलांतकाय भुजगाधिप कंकणाय।

 

गंगाधराय गजराज विमर्दनाय

द्रारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।२

 

भक्तिप्रियाय भवरोग भयापहाय

उग्राय दुर्ग भवसागर तारणाय।

 

ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय,

दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।३

 

चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय,

भालेक्षणाय मणिकुंडल-मण्डिताय।

 

मँजीर पादयुगलाय जटाधराय

दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।४

 

पंचाननाय फणिराज विभूषणाय

हेमांशुकाय भुवनत्रय मंडिताय।

 

आनंद भूमि वरदाय तमोमयाय,

दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।५

 

भानुप्रियाय भवसागर तारणाय,

कालान्तकाय कमलासन पूजिताय।

 

नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय

दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।६

 

रामप्रियाय रधुनाथ वरप्रदाय

नाग प्रियाय नरकार्ण अवताराणाय।

 

पुण्येषु पुण्य भरिताय सुरार्चिताय,

दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।७

 

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय

गीतप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय।

 

मातंग चर्म वसनाय महेश्वराय,

दारिद्रय दुख दहनाय नमः शिवाय।।८

 

वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्व रोग निवारणम्

सर्व संपत् करं शीघ्रं पुत्र पौत्रादि वर्धनम्।।

 

शुभदं कामदं ह्दयं धनधान्य प्रवर्धनम्

त्रिसंध्यं यः पठेन् नित्यम् स हि स्वर्गम् वाप्युन्यात्।।९

 

।।इति श्रीवशिष्ठरचितं दारिद्रयुदुखदहन शिवस्तोत्रम संपूर्णम।।

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