जब औरंगजेब ने मथुरा का श्रीनाथ मंदिर तोड़ा तो मेवाड़ के नरेश राज सिंह ने 100 मस्जिद तुड़वा दिये थे।
अपने पुत्र भीम सिंह को गुजरात भेजा, कहा ‘सब मस्जिद तोड़ दो तो भीम सिंह ने 300 मस्जिद तोड़ दी थी’।
वीर दुर्गादास राठौड़ ने औरंगजेब की नाक में दम कर दिया था और महाराज अजीत सिंह को राजा बनाकर ही दम लिया।
कहा जाता है कि दुर्गादास राठौड़ का भोजन, जल और शयन सब अश्व के पार्श्व पर ही होता था। वहाँ के लोकगीतों में ये गाया जाता है कि यदि दुर्गादास न होते तो राजस्थान मुगल हो जाती।
वीर दुर्गादास राठौड़ भी शिवाजी के जैसे ही छापामार युद्ध की कला में विशेषज्ञ थे।
मध्यकाल का दुर्भाग्य बस इतना है कि भारतीय संगठित होकर एक संघ के अंतर्गत नहीं लड़े, अपितु भिन्न भिन्न स्थानों पर स्थानीय रूप से प्रतिरोध करते रहे।
औरंगजेब के समय दक्षिण में शिवाजी, राजस्थान में दुर्गादास,पश्चिम में सिख गुरु गोविंद सिंह और पूर्व में लचित बुरफुकन, बुंदेलखंड में राजा छत्रसाल आदि ने भरपूर प्रतिरोध किया और इनके प्रतिरोध का ही परिणाम था कि औरंगजेब के मरते ही मुगलवंश का पतन हो गया।
इतिहास साक्षी रहा है कि जब जब आततायी अत्यधिक बर्बर हुए हैं, स्थानीय अधिक संगठित होकर प्रतिरोध किया है। जन मानस स्वतंत्र चेतना के लिए ही बना है।
बाबर ने मुश्किल से कोई 4 वर्ष राज किया।हुमायूं को ठोक पीटकर भगा दिया। मुग़ल साम्राज्य की नींव अकबर ने डाली और जहाँगीर, शाहजहाँ से होते हुए औरंगजेब आते आते उखड़ गया।
कुल 100 वर्ष (अकबर 1556ई. से औरंगजेब 1658ई. तक) के समय के स्थिर शासन को मुग़ल काल नाम से इतिहास में पढ़ाया जाता है…।
जबकि उक्त समय में मेवाड़ इनके पास नहीं था। दक्षिण और पूर्व भी एक सपना ही था।
भारत में अन्य तीन चार पीढ़ी और शताधिक वर्षों तक राज्य करने वाले वंशों को इतना महत्त्व या स्थान नहीं मिला है?
अकेला विजयनगर साम्राज्य ही 300 वर्षों तक टिका रहा।
हम्पी नगर में हीरे माणिक्य की मण्डियां लगती थीं।
महाभारत युद्ध के बाद 1006 वर्ष तक जरासन्ध वंश के 22 राजाओं ने, 5 प्रद्योत वंश के राजाओं ने 138 वर्ष, 10 शैशुनागों ने 360 वर्षों तक, 9 नन्दों ने 100 वर्षों तक, 12 मौर्यों ने 316 वर्षों तक, 10 शुंगों ने 300 वर्षों तक, 4 कण्वों ने 85 वर्षों तक, 33 आंध्रों ने 506 वर्षों तक, 7 गुप्तों ने 245 वर्षों तक राज्य किया।
और पाकिस्तान के सिंध,पंजाब से लेकर अफ़ग़ानिस्तान के समरकन्द तक राज करने वाले रघुवंशी लोहाणा (लोहर राणा) जिन्होने देश के सारे उत्तर पश्चिम भारत वर्ष पर राज किया और सब से ज्यादा खून देकर इस देश को आक्रांताओ से बचाया, सिकंदर से युद्ध करने से लेकर मुहम्मद गजनी के पिता को इनके खुद के दरबार मे मारकर इनका सर लेकर मुलतान मे लाकर टाँगने वाले जसराज को भुला दिया।
कश्मीर मे करकोटक वंश के ललितादित्य मुक्तपीड ने अरबों को वो धूल चटाई की सदियो तक कश्मीर की तरफ आँख नहीं उठा सके।
और कश्मीर की सबसे ताकतवर रानी दिद्दा लोहराणा (लोहर क्षत्रिय) ने सब से मजबूत तरीके से राज किया। और सारे दुश्मनों को मार दिया। और इन अरबों को हराते हुए इराक तक भेजने वाले बाप्पा रावल,नागभट प्रथम, पुलकेशिन जैसे वीर योद्धाओ के बारे मे नहीं पढ़ाया जाता।
फिर विक्रमादित्य ने 100 वर्षों तक राज्य किया था। इतने महान सम्राट होने पर भी भारत के इतिहास में गुमनाम कर दिए गए।
भारतीय इतिहासकारों ने सही और सटीक इतिहास लिखा होता, जैसा विदेशियों ने भारत के बारे में लिखा तो आज भारत विश्व का सिरमौर होता।