भूमिका
भारतीय संस्कृति में शक्ति उपासना का विशेष महत्व है। नवरात्रि, दुर्गाष्टमी, चतुर्दशी, दीपावली की रात्रि आदि पर्वों की भाँति ललिता पंचमी भी माँ शक्ति की आराधना का पावन अवसर है। यह पर्व शारदीय नवरात्रि के दौरान पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इसे उपांग ललिता व्रत, उपांग पंचमी या ललिता देवी की पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
भक्तजन इस दिन माँ ललिता की आराधना कर जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और आरोग्य की कामना करते हैं। ऐसा विश्वास है कि ललिता देवी की कृपा से साधक के पाप नष्ट होते हैं और उसे दिव्य ज्ञान, साहस तथा सफलता की प्राप्ति होती है।
ललिता पंचमी का महत्व
ललिता पंचमी की कथा
ललिता पंचमी से जुड़ी एक प्रचलित कथा है।
कहा जाता है कि देवताओं और असुरों के बीच हुए महासंग्राम में असुरों की शक्ति बहुत बढ़ गई थी। असुरों के बढ़ते आतंक से धरती, आकाश और पाताल सभी व्याकुल हो उठे। तब देवताओं ने माँ शक्ति का आह्वान किया।
माँ दुर्गा के तेज से ललिता देवी प्रकट हुईं। उन्होंने असुरों का संहार कर देवताओं को विजय दिलाई। इसी उपलक्ष्य में पंचमी तिथि को माँ ललिता की आराधना प्रारम्भ हुई।
दूसरी मान्यता के अनुसार, शारदीय नवरात्रि में भगवान राम ने रावण वध से पूर्व देवी दुर्गा की पूजा की थी। उस पूजा के क्रम में पंचमी तिथि को माता ललिता का विशेष पूजन हुआ, जिसके कारण इस दिन को ललिता पंचमी कहा जाता है।
ललिता पंचमी की तिथि व समय
पूजन विधि
ललिता पंचमी की पूजा अत्यंत सरल और फलदायी मानी जाती है।
ब्राह्मण भोजन – संभव हो तो इस दिन ब्राह्मण या कन्याओं को भोजन कराएँ और दक्षिणा दें।
ललिता पंचमी के लाभ
धार्मिक मान्यताएँ
शास्त्रीय दृष्टिकोण
ललिता पंचमी का उल्लेख कई पुराणों और तांत्रिक ग्रंथों में मिलता है।
समाज और संस्कृति में महत्व
भारत के विभिन्न प्रांतों में ललिता पंचमी अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है।
ललिता पंचमी नवरात्रि के दौरान आने वाला एक अत्यंत पावन और फलदायी पर्व है। यह दिन हमें यह संदेश देता है कि जीवन के अंधकार को दूर करने के लिए शक्ति का स्मरण और साधना आवश्यक है।
माँ ललिता की कृपा से भक्तजन को सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के उपवास और पूजा के बीच पंचमी का यह दिन साधना को और अधिक शक्तिशाली बनाता है।
जो भी श्रद्धालु पूर्ण भक्ति और आस्था से ललिता पंचमी का व्रत और पूजन करते हैं, उनके जीवन से दुःख, संकट और बाधाएँ समाप्त होती हैं तथा जीवन में नई ऊर्जा, उत्साह और सफलता का उदय होता है।