एक दिन एक व्यक्ति ने भगवान श्रीकृष्ण की शक्ति को परखने के लिए खाना-पीना बंद कर दिया।
उसने कहा, “देखता हूँ, कृष्ण मुझे कैसे खिलाते हैं।” उसके बच्चे और परिवार के लोग उसे बहुत समझाते रहे, लेकिन वह किसी भी हालत में खाने को तैयार नहीं हुआ।
उसका बस एक ही वाक्य था, “देखता हूँ कृष्ण मुझे कैसे खिलाते हैं।”
वह घर छोड़कर जंगल में एक जगह बैठ गया और बार-बार यही कहता रहा, “मैं नहीं खाऊँगा।”
तभी अचानक एक बाघ आया और उसे दौड़ाने लगा। डर के मारे वह दौड़कर एक पेड़ पर चढ़ गया। वहाँ भी वह यही कहता रहा, “मैं नहीं खाऊँगा।”
थोड़ी देर में कुछ लोग वहाँ पिकनिक मनाने आए। वे उस पेड़ के नीचे स्वादिष्ट खाने के बर्तन रखकर मस्ती करने लगे।
लेकिन वह व्यक्ति फिर भी यही कहता रहा, “मैं नहीं खाऊँगा।”
तभी डाकुओं का हमला हुआ। जान बचाने के लिए सभी लोग वहाँ से भाग गए। डाकुओं में से एक बोला, “वाह! क्या स्वादिष्ट खाना है, आज तो पेट भरकर खाएँगे।”
सरदार ने उसे रोकते हुए कहा, “अरे रुक! इस खाने में ज़रूर ज़हर ☠ मिला होगा। किसी ने हमें मारने के लिए यह जाल बिछाया है। ज़रूर कोई आसपास छिपा होगा।”
फिर उनकी नजर पेड़ पर बैठे व्यक्ति पर पड़ी। सरदार बोला, “तो तू है वो आदमी।” उसे ज़बरदस्ती पेड़ से नीचे उतारा गया। डाकुओं ने कहा, “तू पहले खा, फिर हम खाएँगे। अगर ज़हर होगा, तो तू मरेगा।”
फिर भी वह व्यक्ति बार-बार कहता रहा, “मैं नहीं खाऊँगा।”
डाकुओं को और ज़्यादा शक हो गया। उन्होंने उसे जमकर पीटा।
पीटने के बाद वह व्यक्ति मजबूर होकर खाने लगा और बोला, “हे कृष्ण! तुम चाहो तो कितने तरीकों से खिला सकते हो, यह आज मैंने समझ लिया। आज मैंने दाएँ खाया, बाएँ खाया, पेट से खाया, पीठ से खाया। खाया और खाता रहा। हरे कृष्ण, हरे कृष्ण।”
भगवान की कृपा असीमित है।
उनकी लीला को समझना बड़ा मुश्किल है। वे किसी को भी भूखा नहीं रखते..!!