जमाई : गुड मॉर्निंग पापा।
ससुर : गुड मॉर्निंग जमाई बाबू।
जमाई : डिस्टर्ब तो नहीं किया ना?
ससुर : अरे अच्छा हुआ, तुमने ही कॉल किया।
जमाई : मतलब?
ससुर : धोंडे का महीना शुरू हो गया है ना।
जमाई : फिर?
ससुर : इसलिए तो मैं ही तुम्हें बुलाने के लिए कॉल करने वाला था।
जमाई : ओके।
ससुर : तो कब आ रहे हो?
जमाई : कहाँ?
ससुर : हमारे यहाँ धोंडे खाने।
जमाई : उसी बारे में बात करनी है।
ससुर : हमने कुछ गलती तो नहीं की?
जमाई : नहीं पापा।
ससुर : तो फिर?
जमाई : कुछ सवाल पूछूँ?
ससुर : क्या हुआ?
जमाई : ऐसे ही।
ससुर : पूछो।
जमाई : आपकी कुल कितनी बेटियाँ हैं?
ससुर : मजाक कर रहे हो क्या?
जमाई : बताइए ना।
ससुर : मेरी कुल 3 बेटियाँ हैं।
जमाई : 1 बड़ी और 2 जुड़वाँ।
ससुर : सही।
जमाई : बेटियाँ होने के बाद आपने परिवार नियोजन की सर्जरी करवाई।
ससुर : हाँ।
जमाई : आपकी सबसे बड़ी बेटी की शादी को कितने साल हुए?
ससुर : 9 साल।
जमाई : और जुड़वाँ बेटियों की?
ससुर : तुम्हारी शादी को 5 साल हो गए ना?
जमाई : सही।
ससुर : तो?
जमाई : मेरी बहन की शादी पिछले साल हुई।
ससुर : हमने मान-सम्मान में कमी की क्या?
जमाई : ऐसी कोई बात नहीं।
ससुर : तो फिर?
जमाई : मेरी बहन साल भर में 9 बार मायके आई।
ससुर : ओके।
जमाई : राखी, भाई दूज, धोंडे, वट पूर्णिमा और अन्य मौकों पर।
ससुर : बेटी का हक है वो।
जमाई : पापा, आपको तो पता ही है।
ससुर : क्या?
जमाई : मैं छोटा था तभी मेरे पापा…
ससुर : हाँ, इसलिए तो मैंने तुम्हें हमेशा बेटे जैसा माना।
जमाई : शादी से लेकर आज तक आपने मुझे मार्गदर्शन दिया।
ससुर : वो मेरी जिम्मेदारी है।
जमाई : और कितनी जिम्मेदारियाँ निभाओगे पापा?
ससुर : समझा नहीं बेटा।
जमाई : आपने तीनों बेटियों को ग्रेजुएशन तक पढ़ाया।
ससुर : ताकि वे आत्मनिर्भर बनें।
जमाई : उनकी पढ़ाई पर लाखों रुपए खर्च किए।
ससुर : हाँ।
जमाई : तीनों की शादियाँ धूमधाम से कीं।
ससुर : हाँ।
जमाई : तीनों के प्रसव मायके में करवाए।
ससुर : हाँ।
जमाई : मैंने कल ही हिसाब लगाया पापा।
ससुर : किसका?
जमाई : पिछले 5 सालों में जब-जब मेरी पत्नी मायके आई…
ससुर : तो?
जमाई : आपने हर बार उसके लिए साड़ी खरीदी।
ससुर : उसके नखरे मैं ही पूरे करूँगा।
जमाई : अब तक आपने उसे लगभग 34 महँगी साड़ियाँ दी हैं।
ससुर : तो?
जमाई : शादी से लेकर अब तक आपने हमें 12 तोले के गहने दिए।
ससुर : जमाई का सम्मान हमारा कर्तव्य है।
जमाई : जितना खर्च हम दोनों पर किया, उतना ही खर्च…
ससुर : उतना ही खर्च?
जमाई : आपने बाकी बेटियों और जमाइयों पर भी किया।
ससुर : क्योंकि मेरे लिए सब बराबर हैं।
जमाई : जमाई के घर में कोई भी समारोह या शादी हो तो…
ससुर : तो?
जमाई : आप हमें पूरे सम्मान से नवाजते हैं।
ससुर : हाँ।
जमाई : वैसे ही सम्मान आप बाकी बेटियों और जमाइयों को भी देते हैं।
ससुर : हाँ।
जमाई : इस तरह हर साल लाखों रुपए आप हम पर खर्च करते हैं।
ससुर : हाँ।
जमाई : पोते-पोतियों को सोने की चेन, जन्मदिन पर ड्रेस और साइकिलें…
ससुर : जमाई बाबू…
जमाई : पापा, मेरी शादी को 5 साल हो गए ना?
ससुर : हाँ।
जमाई : बेटियों की शादी में आपने स्मार्ट एलईडी टीवी दिए।
ससुर : हाँ।
जमाई : घर में अभी भी पुराना कलर टीवी चलाते हैं।
ससुर : अच्छा चल रहा है वो।
जमाई : दीवारों की पपड़ी उतर रही है, फिर भी घर को रंगने की सोचते नहीं।
ससुर : करने की सोचता हूँ पर रह जाता है।
जमाई : पापा, आपका फ्रिज पिछले साल से बंद पड़ा है।
ससुर : हम दोनों ही बूढ़े हैं घर पर, इसलिए…
जमाई : अपनी बेटियों, जमाइयों और पोते-पोतियों पर लाखों खर्च करने वाले आप…
ससुर : क्या?
जमाई : आज भी पुरानी स्कूटर चलाते हैं?
ससुर : वो मेरी पसंदीदा है।
जमाई : पिछली बार जब हम दोनों मार्केट गए थे, वो अचानक बंद हो गई थी।
ससुर : कभी-कभी…
जमाई : जमाइयों को ब्रेसलेट और घड़ियाँ गिफ्ट देने वाले आप…
ससुर : क्या?
जमाई : खुद टूटी काँच वाली घड़ी पहनते हैं।
ससुर : अब बस करो।
जमाई : हर साल मुझे कपड़े खरीदने को नई-नई नोटें देते हैं।
ससुर : जमाई पर गर्व होता है ना।
जमाई : और खुद पुराने कपड़े पहनते हैं।
ससुर : बेटा, अब बस करो।
जमाई : मैंने बहन को कभी बाप की कमी महसूस नहीं होने दी।
ससुर : देखा है मैंने।
जमाई : इसलिए पिछले साल भर में मुझे महसूस हुआ।
ससुर : क्या?
जमाई : बेटी का बाप होना आसान नहीं होता।
ससुर : सही है।
जमाई : जिस बेटी को लाड़-प्यार से पाला और जान से भी ज्यादा चाहा, उसे आपने मुझे सौंपा।
ससुर : हाँ।
जमाई : वो आज हर मुश्किल में मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहती है।
ससुर : मैंने संस्कारों में कमी नहीं रखी।
जमाई : फिर भी…
ससुर : क्या?
जमाई : मुझे आपसे मान-सम्मान की अपेक्षा रखनी चाहिए क्या?
ससुर : अरे…
जमाई : आपने मुझे अपना हिस्सा दिया है। आपके ये उपकार कभी नहीं चुका सकता।
ससुर : ऐसा मत कहो।
जमाई : पापा, इसलिए मैंने तय किया है।
ससुर : क्या?
जमाई : अब तक आपकी जो खींचतान हुई, बहुत हो गई।
ससुर : मतलब?
जमाई : अब आप हमारे यहाँ आकर सम्मान स्वीकार करेंगे।
ससुर : अरे लेकिन…
जमाई : पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा अब खत्म।
ससुर : क्यों?
जमाई : क्योंकि अब बेटियाँ पढ़-लिखकर आत्मनिर्भर हो गई हैं।
ससुर : हाँ।
जमाई : इसलिए वे जीवन की आधी जिम्मेदारियाँ खुद उठाती हैं।
ससुर : सहमत।
जमाई : मोबाइल पर मैसेज देखिए।
ससुर : क्यों?
जमाई : मैंने आपको ऑनलाइन 15 हजार रुपए भेजे हैं।
ससुर : किसलिए?
जमाई : आप नए कपड़े और मम्मी के लिए नई साड़ी खरीदिए।
ससुर : अरे लेकिन…
जमाई : आप मुझे बेटा मानते हो ना?
ससुर : हाँ।
जमाई : तो इस बार धोंडे खाने आप हमारे घर आओगे।
ससुर : लेकिन…
जमाई : इस बहाने पूरे समाज को पता चल जाए।
ससुर : क्या?
जमाई : कि धोंडे का महीना भले ही शुरू हुआ हो, लेकिन…
ससुर : लेकिन?
जमाई : आपके जमाई का दिल पत्थर नहीं है।