एक विशेष आध्यात्मिक-संरक्षक रक्षा-सूत्र है जिसे स्त्रियों के लिए उनके पति-सौभाग्य, मानसिक शांति, भावनात्मक शक्ति, और ऊर्जा संतुलन हेतु विशेष रूप से बनाया जाता है। यह न केवल एक रक्षा कवच है, बल्कि स्त्री की आंतरिक शक्ति (शक्ति-तत्त्व) को जागृत करता है। सौभाग्यवर्धक तांत्रिक राखी स्त्रियों हेतु – पूर्ण विवरण ——–
1- उद्देश्य व लक्ष्य ——-
(1) स्त्री सौभाग्य (पति की दीर्घायु, प्रेम, सहयोग)।
(2) स्त्री-ऊर्जा (कुण्डलिनी) की रक्षा और जागृति।
(3) गृह कलह, शोक, स्त्री रोग, चिंता, नजर दोष, ग्रह पीड़ा से रक्षा।
(4) सौंदर्य, आकर्षण व आत्मबल में वृद्धि।
2- रक्षा सूत्र निर्माण विधि ——-
(1) आवश्यक सामग्री ——-
घटक/ प्रयोजन ———
* पीला या लाल रेशमी धागा (5, 7 या 9 परत)/ मंगल और सौभाग्य का प्रतीक।
* केसर या चंदन लेप/ शांतिदायक, आकर्षण हेतु।
* नागकेशर/ नकारात्मक ऊर्जा-शमन।
* गोरोचन (यदि उपलब्ध हो)/ तांत्रिक तेज।
* हल्दी गाँठ (या हल्दी से लिपटी लौंग)/ पवित्रता व वाचिक रक्षा।
* तुलसी/ तंतु ग्रह दोष निवारण।
* सप्तमृत्तिका (7 तीर्थों की मिट्टी का स्पर्श) सप्तशक्ति समन्वय।
* अक्षत (चावल, हल्दी में लिपटे) समृद्धि का प्रतीक।
* सीप, कौड़ी या रुद्राक्ष लक्ष्मी तत्त्व (वैकल्पिक)।
* सौंदर्य पुष्प —- गुलाब या अशोक या हरसिंगार स्त्रीभाव पुष्टिकरण।
3- निर्माण प्रक्रिया ——-
(1) एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं।
(2) धागे को 5, 7 या 9 बार मोड़कर, रक्षा सूत्र का आकार दें।
(3) बीच में नागकेशर और हल्दी लौंग को गाँठ में जोड़ें।
(4) उस पर चंदन-कमलगट्टा लेप, गुलाब के पंखुड़ी चूर्ण छिड़कें।
(5) रक्षा सूत्र के सिरों पर तुलसी तंतु बाँधें।
4- अभिमंत्रण (ऊर्जावान बनाना) ——-
(1) तांत्रिक मंत्र ——-
* ” ॐ क्लीं सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः। “
(11 या 21 बार जप करें)
* ” ॐ ऐं ह्रीं श्रीं चामुण्डायै विच्चे। “
(सप्तशक्ति जागरण हेतु 9 बार)
* ” ॐ नमो भगवत्यै दुर्गायै रक्ष रक्ष स्वाहा। “
(ग्रहबाधा और नजर दोष निवारण हेतु 7 बार)
राखी के ऊपर हाथ रखकर या दीपक के पास रखकर यह जप करें।
5- वैकल्पिक तांत्रिक चिह्न या यंत्र (Optional) —–
(1) रक्षा सूत्र के बीच में छोटा ” श्री यंत्र “, ” त्रिकोण चिह्न “, ” चंद्रबिंदु यंत्र ” कागज़ पर बनाकर सिलें।
(2) या श्वेत चंदन से “ॐ क्लीं” मंत्र का चिह्न बनाएं।
6- प्रयोग विधि (कैसे पहनें) ——-
स्थान/ समय/ विधि ——-
(1) दाहिने हाथ की कलाई/ रक्षाबंधन के दिन, या अमावस्या या पूर्णिमा/ पूजा करके , पति या माता से बंधवाएँ।
(2) कमर पर (स्त्रियाँ विशेष)/ गुप्त प्रयोग में/ सौंदर्य, काम-शक्ति, वात-नियंत्रण।
(3) तकिए के नीचे/ नींद, भय, संतान-स्वप्न शांति हेतु/ रात्रि के समय।
(4) पूजा स्थान में/ ग्रह बाधा व सौभाग्य हेतु/ यंत्र के साथ रखें।
7- विशेष सौभाग्य शक्ति प्रयोग (Optional Tantric Uses) ——–
(1) गर्भवती स्त्री हेतु ——-
रक्षा सूत्र को पेट के नीचे बाँधें, हर पूर्णिमा को नया राखी धारण करें।
(2) स्त्री रोग या मासिक धर्म बाधा हेतु ——
रक्षाबंधन पर, अभिमंत्रित राखी बाँधकर, साथ में अशोकघृत सेवन करें।
(3) पति से संबंध सुधरना हो तो ——-
राखी बाँधते समय “ ॐ सौम्याय पतये नमः ” मंत्र 11 बार जपें।
8- साथ में उपयोग हेतु तांत्रिक सौभाग्य तैल ——
रक्षा सूत्र बाँधने से पहले, निम्न तैल कलाई पर लगाएँ ——–
(1) नारियल तैल + चंदन + केसर + अशोक चूर्ण।
(2) इस पर मंत्र करें – ” ॐ क्लीं सौंदर्यलक्ष्म्यै नमः “।
9- राखी की स्थापना व विसर्जन विधि (अनुष्ठान)
कार्य/ समय ——
(1) स्थापना/ रक्षाबंधन के दिन, या गुरु पुष्य योग।
(2) अगले पूर्णिमा पर, तुलसी या पीपल के नीचे गाढे़ दें।
10- नियम व सावधानियाँ ——-
(1) निर्माण व जप के समय, पवित्रता रखें (स्नान, सादा वस्त्र)।
(2) गर्भावस्था या मासिक धर्म के समय राखी स्वयं न बनाएँ, बनवाकर धारण करें।
(3) अभिमंत्रण के बाद, राखी किसी को न दें।