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माघ मास का माहात्म्य बीसवाँ अध्याय

वेदनिधि कहने लगे कि हे महर्षि! धर्म को जल्दी ही कहिए क्योंकि श्राप की अग्नि बड़ी दुखकारक होती है। लोमश ऋषि कहने लगे कि यह सब मेरे साथ नियमपूर्वक माघ स्नान करें। अंत में यह श्राप से छूट जाएंगे।

मेरा यह निश्चय है शुभ तीर्थ में माघ स्नान करने से शाप का फल नष्ट हो जाता है। सात जन्मों के पाप तथा इस जन्म के पाप माघ में तीर्थ स्थान पर स्नान करने से नष्ट हो जाते हैं। इस अच्छोद में स्नान करने से अवश्य ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।

राजसूय और अश्वमेघ यज्ञ से भी अधिक फल माघ मास स्नान से होता है। अतएव सम्पूर्ण पापों का सहज में ही नाश करने वाला माघ स्नान क्यों न किया जाए।

 
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